Bangladesh Hindu Attack: बांग्लादेश में इस्कॉन पर बैन लगाने की उठ रही मांग, हिन्दुओं को किया जा रहा टारगेट, जानिए मंदिर के खिलाफ क्यों हैं कट्टरपंथी?

Bangladesh Hindu Attack: बांग्लादेश में इस्कॉन पर बैन लगाने की उठ रही मांग, हिन्दुओं को किया जा रहा टारगेट, जानिए मंदिर के खिलाफ क्यों हैं कट्टरपंथी?
Last Updated: 27 नवंबर 2024

बांग्लादेश में इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस) पर प्रतिबंध लगाने की मांग न केवल धार्मिक सहिष्णुता के लिए चुनौती है, बल्कि यह मानवाधिकारों से जुड़ा गंभीर मुद्दा बन चुका हैं। 

ढाका: बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से इस्कॉन समुदाय, पर हालिया घटनाएं गंभीर चिंता का विषय हैं। अगस्त 2024 में हुए तख्तापलट के बाद राजनीतिक अस्थिरता ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा दिया है। इसके परिणामस्वरूप, इस्कॉन के प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और मंदिरों पर हमले जैसी घटनाएं सामने आई हैं।

बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों और अल्पसंख्यकों पर हमले

* शेख हसीना सरकार के गिरने और कट्टरपंथी समूहों के प्रभाव में आने के बाद, इस्कॉन मंदिरों और उसके अनुयायियों को निशाना बनाया गया है।

* सोशल मीडिया पर #BanISKCON और #ISKCONisTerrorist जैसे अभियान चलाए जा रहे हैं, जिसमें इस्कॉन को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताया जा रहा है।

* 5 अगस्त, 2024 को मेहरपुर, खुलना डिवीजन में इस्कॉन मंदिर पर हमला हुआ, जहां इसे तोड़ा गया और उसमें आग लगा दी गई। यह धार्मिक असहिष्णुता का स्पष्ट उदाहरण है।

* शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद बांग्लादेश में प्रशासनिक नियंत्रण कमजोर हुआ, जिससे कट्टरपंथी संगठनों ने हिंदू मंदिरों और अल्पसंख्यकों पर हमले तेज कर दिए।

* रिपोर्ट्स के अनुसार, बांग्लादेश में लगभग 40,000 हिंदू मंदिर हैं, जो अब खतरे में हैं​।

यूनुस सरकार पर लगा आरोप 

बांग्लादेश में नई यूनुस सरकार पर यह आरोप लगाया जा रहा है कि वह कट्टरपंथी इस्लामी गुटों को संतुष्ट करने के लिए हिंदू संगठनों, विशेष रूप से इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस), को निशाना बनाने की अनुमति दे रही है। हालिया घटनाओं में कट्टरपंथी संगठन हिफाजत-ए-इस्लाम ने जुमे की नमाज के बाद इस्कॉन के खिलाफ रैली निकाली, जिसमें प्रदर्शनकारियों ने इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की और इसके समर्थकों के खिलाफ हिंसक नारे लगाए। 

सोशल मीडिया पर #BanISKCON और #ISKCONisTerrorist जैसे हैशटैग ट्रेंड कराए गए। आरोप है कि इस्कॉन को अवामी लीग का समर्थक बताकर निशाना बनाया जा रहा है, जिससे यह कहा जा रहा है कि यूनुस सरकार अपने विरोधियों को दबाने के लिए कट्टरपंथी इस्लामी गुटों को बढ़ावा दे रही है। इन घटनाओं ने बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

बांग्लादेश में फैला सामुदायिक तनाव

बांग्लादेश में हिंदू संगठनों, विशेष रूप से सनातन जागरण मंच और इस्कॉन के सदस्यों ने हाल ही में हिंदुओं पर हो रहे हमलों और धार्मिक स्थलों के खिलाफ हिंसा के विरोध में रैलियां आयोजित कीं। इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग के बीच, इन समूहों ने चेतावनी दी है कि ऐसा कदम हिंदू समुदाय में असुरक्षा की भावना को और बढ़ा देगा और उनकी धार्मिक पहचान पर गंभीर खतरा उत्पन्न करेगा।

बांग्लादेश में इस्कॉन का व्यापक नेटवर्क है, जिसमें इसके मंदिर ढाका, मेमनसिंह, राजशाही, रंगपुर, खुलना, बारिसाल, चटोग्राम और सिलहट जैसे प्रमुख शहरों में स्थित हैं। इन मंदिरों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और यह संगठन न केवल धार्मिक गतिविधियों में सक्रिय है, बल्कि समाज सेवा में भी योगदान देता हैं। 

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