पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच लंबे समय से जारी सीमा विवाद को लेकर एक महत्वपूर्ण अपडेट सामने आया है। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को जानकारी दी कि दोनों देश सीमा पर तनाव को कम करने के लिए एक समझौते पर सहमत हो गए हैं। इस समझौते का उद्देश्य वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर दोनों देशों के बीच शांति और स्थिरता बहाल करना हैं।
नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में बीते 45 महीनों से चल रहा सीमा तनाव अब सुलझ गया है। इस तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों ने सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर व्यापक प्रयास किए, जिनका परिणाम यह हुआ कि दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त और सैन्य तनाव घटाने पर सहमत हो गए हैं। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इस महत्वपूर्ण फैसले की घोषणा की, जिसमें उन्होंने बताया कि 2020 में एलएसी पर हुई घटनाओं के बाद से दोनों देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर संवाद बना रहा हैं।
इस संवाद के तहत, कई दौर की बातचीत वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कोऑर्डिनेशन (WMCC) और सैन्य कमांडर स्तर पर हुई है। इन बातचीतों के परिणामस्वरूप, दोनों देशों ने सीमा पर तनाव कम करने और शांति स्थापित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने पर सहमति जताई है। यह समझौता क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिहाज से एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि 2020 में गलवान घाटी की घटनाओं के बाद से दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव पैदा हो गया था।
दोनों देशों के बीच हुआ समझौता
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच बीते 45 महीनों से चल रहे सीमा विवाद के समाधान को लेकर एक बड़ी प्रगति हुई है। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने जानकारी दी है कि दोनों देशों के वार्ताकार हाल के हफ्तों में लगातार संपर्क में रहे हैं और सीमा विवाद को सुलझाने के लिए एक समझौते पर सहमति बनी है। इस समझौते के तहत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पेट्रोलिंग को लेकर सहमति हो गई है, जिससे सीमा पर तैनात सेनाओं के बीच तनाव कम होगा।
विदेश सचिव मिस्री ने बताया कि 2020 में लद्दाख के गलवान क्षेत्र में हुई घटनाओं के बाद से दोनों देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर कई दौर की वार्ताएं हुईं। इन वार्ताओं का परिणाम यह हुआ कि एलएसी पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच डिस-इंगेजमेंट (सैनिकों की वापसी) की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जिससे दोनों पक्षों के बीच उत्पन्न तनाव का समाधान निकाला जा रहा है। यह समझौता उस समय आया है जब सीमा पर भारी सैन्य तैनाती की गई थी, और दोनों देशों के बीच गतिरोध लंबे समय से बना हुआ था।
2020 में गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हुई झड़प ने इस क्षेत्र में गहरा तनाव पैदा कर दिया था, जिससे दोनों पक्षों को सैन्य और रणनीतिक नुकसान हुआ था। अब इस समझौते के माध्यम से दोनों देश एलएसी पर स्थायी शांति बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और यह सीमा विवाद को सुलझाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।
रूस दौरे पर पीएम मोदी और जिनपिंग की हो सकती हैं मुलाकात
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद को सुलझाने के समझौते की घोषणा ऐसे समय में हुई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने जा रहे हैं। इस साल का ब्रिक्स शिखर सम्मेलन रूस के कजान शहर में आयोजित होने वाला है, और इसमें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी भाग लेंगे। इस सम्मेलन में दोनों देशों के नेता एक-दूसरे के आमने-सामने होंगे, जिससे यह समझौता और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता हैं।
हालांकि, अब तक पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच किसी द्विपक्षीय बैठक को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है। लेकिन, सीमा विवाद का यह समाधान ब्रिक्स सम्मेलन के लिए एक सकारात्मक पृष्ठभूमि तैयार करता है, और दोनों नेताओं के बीच वार्ता की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। इस समाधान के बाद भारत और चीन के संबंधों में सुधार की उम्मीद की जा रही है, जो वैश्विक मंच पर उनके सहयोग को भी प्रभावित कर सकता हैं।