कोविड के कारण लैंगिक समानता खतरे में: EU रिपोर्ट

कोविड के कारण लैंगिक समानता खतरे में: EU रिपोर्ट
Last Updated: 05 अप्रैल 2023

ये बात तो सभी को पता है के कोविड के कारण कोरोना महामारी में लाखो की संख्या में जाने गई, और इसका प्रभाव कितना खतरनाक था, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि  एशिया से लेकर यूरोप, अमेरिका अफ्रीका हर देशो को इस महामारी का सामना करना पड़ा. इसका सीधा और सबसे ज्यादा प्रभाव रोजगार, शिक्षा, और स्वास्थय के क्षेत्र पर पड़ा.

लैंगिक समानता रैंकिंग रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी के कारण यूरोपीय संघ में लैंगिक समानता को लेकर प्रगति उम्मीदों के विपरीत देखने को मिली. इस दौरान रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुए. लिथुआनिया के विल्नियस में यूरोपियन इंस्टीट्यूट फॉर जेंडर इक्वालिटी (ईआईजीई) की ओर से जारी जेंडर इक्वालिटी इंडेक्स 2022 के मुताबिक यूरोपीय संघ में कई क्षेत्रों में लैंगिक समानता को कोरोना वायरस महामारी के दौरान नुकसान उठाना पड़ा है. इस रैंकिंग के ताजा संस्करण में 2020 का डेटा शामिल है, जो कोरोना वायरस के प्रकोप का पहले साल है.

सूचकांक में यूरोपीय संघ ने कुल 100 अंकों में से 68.6 अंक हासिल किए, जो पिछले साल की तुलना में केवल 0.6 अंक अधिक है. इस सूचकांक में पहली बार रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में समानता मूल्यों में कमी देखी गई है. रिपोर्ट के मुताबिक शक्तियों के दायरे में महत्वपूर्ण प्रगति के बिना समग्र परिणामों की स्थिति में गिरावट देखी जा सकती है. इस क्षेत्र में अधिकांश विकास आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी के कारण है, जो कुछ यूरोपीय संघ के सदस्य देशों में कानूनी आरक्षण की शुरूआत से जुड़ा हुआ है.

 

महामारी ने समानता को कैसे प्रभावित किया है?

यूरोपियन इंस्टीट्यूट फॉर जेंडर इक्वालिटी की निदेशक कार्लियन शीले के मुताबिक नतीजे बताते हैं कि "लिंग असमानता कुछ ऐसे लोगों के लिए समस्या को बढ़ा देती है जो संकट के दौरान अधिक असुरक्षित और जोखिम में थे." रिपोर्ट कहती है श्रम बल में भागीदारी दर में गिरावट से संकेत मिलता है कि महिलाएं अपने जीवन के कम साल काम करने में बिताएंगी, जिसका असर उनके करियर और पेंशन पर पड़ेगा.

साल 2020 में पुरुषों की तुलना में कम महिलाओं ने औपचारिक और गैर-औपचारिक शैक्षिक गतिविधियों में भाग लिया. और जिस तरह से कोविड-19 ने स्वास्थ्य क्षेत्र पर अभूतपूर्व दबाव डाला है, स्वास्थ्य देखभाल और अन्य सेवाओं तक पहुंच के मामले में लिंग अंतर ने महिलाओं को प्रभावित किया है.

बच्चों की देखभाल के मामले में भी महिलाओं और पुरुषों के बीच असंतुलन है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पुरुषों (21 फीसदी) की तुलना में दोगुनी महिलाएं (40 फीसदी) दिन में कम से कम चार घंटे छोटे बच्चों की देखभाल में बिताती हैं.

 

यूरोपीय देशों की रैंकिंग

जब लैंगिक समानता की बात आती है, तो यूरोपीय संघ के देशों में अभी भी बहुत अलग आंकड़े हैं. उच्चतम स्कोर स्वीडन (83.9), डेनमार्क (77.8) और नीदरलैंड्स (77.3) में दर्ज किए गए. दूसरी ओर ग्रीस (53.4), हंगरी (53.7) और रोमानिया (54.2) समानता को बढ़ावा देने में सबसे अधिक कठिनाइयों का सामना करने वाले देश हैं.

पिछले संस्करण के बाद से सूचकांक स्कोर में सबसे महत्वपूर्ण वृद्धि लिथुआनिया, बेल्जियम, क्रोएशिया और नीदरलैंड्स में दर्ज की गई थी. जर्मनी (68.7) अंकों के साथ यूरोपीय औसत से ऊपर है, लेकिन यह स्कोर पिछले साल की तुलना में सिर्फ 0.1 अंक अधिक है. समानता के लिए यूरोपीय आयुक्त हेलेना डाल्ली ने रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा कि महिलाओं को अपनी विविधता में "हारना नहीं चाहिए." उन्होंने कहा, "मैं सभी हितधारकों से महिलाओं और पुरुषों के लिए समान अवसर, सुरक्षा और समान अधिकार देने के लिए अपनी भूमिका निभाने का आह्वान करती हूं."

 

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