अमेरिका की आव्रजन नीति के तहत अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी है। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के तहत अमेरिका ने लगभग 300 अवैध प्रवासियों को पनामा भेजा है, जहां उन्हें एक होटल में रखा गया था। अब इन प्रवासियों को उनके मूल देशों में वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी हैं।
नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक और बड़ा फैसला लेते हुए अमेरिका की अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी (USAID) के करीब 2000 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का आदेश दिया है। साथ ही, हजारों कर्मचारियों को अनिश्चितकालीन छुट्टी पर भेज दिया गया है। यह कदम ट्रंप प्रशासन के सरकारी खर्चों में कटौती और प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के दावे के तहत उठाया गया हैं।
महत्वपूर्ण मिशन पर लगे कर्मचारी रहेंगे कार्यरत
USAID के उप प्रशासक पीट मारको के अनुसार, केवल उन्हीं कर्मचारियों को काम जारी रखने की अनुमति दी गई है, जो महत्वपूर्ण मिशन और विशेष कार्यक्रमों से जुड़े हुए हैं। हालांकि, कितने कर्मचारी इस श्रेणी में आते हैं, इसकी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है। अरबपति उद्यमी एलन मस्क के नेतृत्व वाला सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) USAID को पूरी तरह खत्म करने की योजना बना रहा हैं।
अमेरिका से निकाले गए 12 भारतीय दिल्ली पहुंचे
USAID में छंटनी के बीच अमेरिका ने अपने यहां अवैध रूप से रह रहे भारतीय प्रवासियों को भी देश छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया है। हाल ही में 12 भारतीय नागरिकों को पनामा से तुर्की एयरलाइंस की फ्लाइट के जरिए नई दिल्ली लाया गया। इन प्रवासियों को पहले पनामा के एक होटल में ठहराया गया था, जहां अमेरिका से निकाले गए अप्रवासियों को अस्थायी रूप से रखा गया था।
ट्रंप प्रशासन अवैध अप्रवासियों के खिलाफ आक्रामक नीति अपना रहा है। अमेरिका ने अब तक 344 भारतीय नागरिकों को वापस भेज दिया है। इनमें से अधिकतर को हथकड़ियों और बेड़ियों में जकड़ कर भेजा गया, जिसके चलते अमेरिका की आलोचना भी हुई थी।
अमृतसर पहुंची तीन बड़ी फ्लाइट्स
* 5 फरवरी: पहला जत्था, जिसमें 104 भारतीय थे, अमृतसर पहुंचा।
* 15 फरवरी: दूसरा जत्था 116 भारतीयों के साथ भारत आया।
* 16 फरवरी: तीसरी फ्लाइट में 112 भारतीय नागरिक भेजे गए।
इन उड़ानों में ज्यादातर भारतीय पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से थे। खास बात यह रही कि पहले जत्थे में सभी को बेड़ियों और हथकड़ियों में भेजा गया था, लेकिन बढ़ती आलोचनाओं के कारण दूसरे और तीसरे जत्थे में महिलाओं और बच्चों को इस प्रक्रिया से छूट दी गई।
पनामा में अभी भी सैकड़ों भारतीय फंसे
अमेरिका ने पनामा को अस्थायी केंद्र के रूप में इस्तेमाल करते हुए कई देशों से अवैध अप्रवासियों को वहां भेजा है। पनामा में अब भी 300 से अधिक अप्रवासी फंसे हुए हैं, जिनमें से 171 ने अपने देश लौटने की सहमति दी है। बाकी को कैंपों में रखा गया है, जहां से उनकी आगे की प्रक्रिया तय की जाएगी। अमेरिकी राष्ट्रपति के इस फैसले की दुनियाभर में आलोचना हो रही हैं।
ट्रंप प्रशासन का कहना है कि ये फैसले अमेरिका की सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के लिए जरूरी हैं, लेकिन कई मानवाधिकार संगठनों ने इसे कठोर और अमानवीय करार दिया है। इस बीच, भारत सरकार ने भी अमेरिका से अवैध भारतीय प्रवासियों की वापसी को लेकर बातचीत शुरू कर दी हैं।