उत्तर-साउथ कोरिया में सीमा बंद करने का एलान, दक्षिण कोरिया की ओर जाने वाली सड़कें और रेलवे लाइनों को करेगी बंद

उत्तर-साउथ कोरिया में सीमा बंद करने का एलान, दक्षिण कोरिया की ओर जाने वाली सड़कें और रेलवे लाइनों को करेगी बंद
Last Updated: 2 घंटा पहले

उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया से जुड़ी अपनी सीमा को पूरी तरह से बंद करने का ऐलान किया है। तानाशाह किम जोंग की सेना ने मंगलवार को यह जानकारी दी कि वह दक्षिण कोरिया की ओर जाने वाली सभी सड़कें और रेलवे लाइनें बंद कर देगी।

North - South Korea: सीमा से जुड़े क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए किलेबंदी का कार्य भी किया जाएगा। नॉर्थ कोरिया के मीडिया हाउस KCNA के अनुसार, कोरियन पीपुल्स आर्मी ने बताया है कि यह निर्णय साउथ कोरिया और अमेरिका के युद्धाभ्यासों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। वास्तव में, पिछले एक साल में अमेरिका ने कोरियन पेनिनसुला में अपने एयरक्राफ्ट कैरियर, सैन्य जहाज, लंबी दूरी के बमवर्षक और पनडुब्बियां भेजी हैं, जिससे नॉर्थ कोरिया में नाराजगी का माहौल है।

सीमा बंद करने की तैयारी में नॉर्थ कोरिया

साउथ कोरिया के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि उन्होंने अमेरिका के नेतृत्व वाले यूएन कमांड फोर्स को इस बारे में जानकारी दे दी है, ताकि इलाके में किसी भी तरह के टकराव की स्थिति बने। यह फोर्स नॉर्थ और साउथ कोरिया के बीच डीमिलिट्रलाइज्ड जोन (DMZ) का प्रबंधन करती है।

इससे पहले, साउथ कोरियाई सेना ने खुलासा किया था कि किम जोंग की सेना जनवरी से ही सीमा पर लैंड माइंस बिछा रही है। इसके अलावा, एंटी-टैंक ट्रैप्स भी लगाए गए हैं और अधिकांश रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर को हटा दिया गया है। जून में, सीमा पर मिलिट्री इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने के दौरान कई सैनिकों की लैंडमाइन विस्फोट में मौत हो गई थी।

नॉर्थ कोरिया के इस निर्णय के बाद, दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने का खतरा बढ़ गया है। नॉर्थ और साउथ कोरिया ने इससे पहले सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद 1950-53 तक युद्ध लड़ा था।

दो हिस्सों में बट गया कोरिया

कोरिया एक प्रायद्वीप है, जो तीन दिशाओं से समुद्र द्वारा घिरा हुआ है और एक दिशा में यह मुख्य भूमि से जुड़ा हुआ है। यहां 1904 तक कोरियाई साम्राज्य का शासन स्थापित था। इस क्षेत्र पर नियंत्रण पाने के लिए 1904-05 में जापान और चीन के बीच एक भीषण युद्ध हुआ।

इस युद्ध में जापान ने विजय प्राप्त की और कोरिया पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया। 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध में हार के बाद जापान को कोरिया छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। जापान के हटने के तुरंत बाद, कोरिया को दो भागों में विभाजित किया गया। 38वें समानांतर रेखा को विभाजन की सीमा के रूप में मान्यता दी गई। उत्तरी भाग में सोवियत सेना और दक्षिणी भाग में संयुक्त राष्ट्र की सेना तैनात की गई।

उत्तरी कोरिया में कोरियाई कम्युनिस्टों के नेतृत्व में कोरियाई लोक जनवादी गणराज्य की सरकार का गठन हुआ। वहीं, दक्षिण कोरिया में लोकतांत्रिक तरीके से नेता सिंगमन री के नेतृत्व में सरकार बनी। उत्तर कोरिया का झुकाव कम्युनिस्ट विचारधारा की ओर था, जबकि दक्षिण कोरिया पूंजीवादी देशों की ओर। यहीं से विवाद की शुरुआत हुई।

उत्तर कोरिया ने 25 जून 1950 को 38वें समानांतर रेखा को पार कर दक्षिण कोरिया पर आक्रमण कर दिया। तीन साल तक चले युद्ध के बाद, उत्तर और दक्षिण कोरिया ने 1953 में एक युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए। एक बार फिर से सीमा वही 38वां समानांतर रेखा निर्धारित किया गया, जो युद्ध से पहले थी।

उत्तर-साउथ कोरिया की सीमा पर हथियारों की तैनाती

उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच का डेमिलिटेराइज्ड जोन (DMZ) दुनिया की सबसे अधिक हथियारों से भरी हुई सीमा है। आंकड़ों के अनुसार, इस सीमा के भीतर और आसपास लगभग 20 लाख बारूद की खदानें बिछाई गई हैं। इसके अलावा, सीमा के दोनों तरफ कंटीले तारों की बाड़, टैंकों की तैनाती और लड़ाकू सैनिक भी मौजूद रहते हैं। इस सीमा का निर्माण कोरियाई युद्ध को समाप्त करने के लिए किए गए समझौते के अंतर्गत किया गया था।

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