बजरंग पुनिया ने भारतीय डोपिंग रोधी एजेंसी, NADA (राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी) के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उनका दावा था कि NADA के आचरण ने उनके संविधान द्वारा सुरक्षित मौलिक अधिकारों, विशेषकर उनके आजीविका कमाने के अधिकार का उल्लंघन किया हैं।
नई दिल्ली: बजरंग पुनिया के निलंबन पर दिल्ली हाईकोर्ट ने आज सुनवाई की, लेकिन अदालत ने तत्काल राहत देने से इंकार कर दिया है। पुनिया ने राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (NADA) द्वारा उनके खिलाफ किए गए निलंबन को चुनौती देते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। पुनिया ने अपने याचिका में दावा किया है कि NADA का आचरण उनके मौलिक अधिकारों, विशेष रूप से आजीविका कमाने के अधिकार का उल्लंघन कर रहा है। उनका कहना है कि अगर निलंबन को जल्द नहीं हटाया गया, तो उन्हें अपने कुश्ती करियर को समाप्त करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
अदालत ने इस मामले में NADA को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इसका मतलब है कि NADA को अदालत के समक्ष अपने कदम और निलंबन के कारण प्रस्तुत करने होंगे। यह मामला महत्वपूर्ण है, खासकर आगामी सीनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप के दृष्टिकोण से, जो अक्टूबर में अल्बानिया में आयोजित होने वाली हैं।
बजरंग पुनिया को 21 जून को NADA ने किया था निलंबित
21 जून को NADA ने बजरंग पुनिया को दूसरी बार निलंबित कर दिया था, जिसके बाद वह प्रशिक्षण और प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए अयोग्य हो गए। इससे पहले, 10 मार्च को सोनीपत में आयोजित चयन ट्रायल के दौरान पुनिया ने डोप टेस्ट के लिए अपने मूत्र का नमूना देने से इनकार किया था। इसके परिणामस्वरूप, NADA ने 23 अप्रैल को पुनिया को पहले निलंबित किया था। पुनिया का यह निलंबन और दूसरा निलंबन उनकी प्रतियोगिताओं में भाग लेने और प्रशिक्षण पर प्रभाव डाल रहा है। इस निलंबन के खिलाफ पुनिया ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जहां से राहत की उम्मीद नहीं मिल पाई है। अदालत ने इस मामले में NADA को जवाब देने का निर्देश दिया है और पुनिया ने दावा किया है कि यह निलंबन उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हैं।
बजरंग ने अदालत से आदेश को निलंबित या रद करने की मांग की
बजरंग पुनिया ने विदुषपत सिंघानिया के माध्यम से दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने NADA पर परीक्षण दिशानिर्देशों और प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। याचिका में उन्होंने 21 जून के निलंबन आदेश को निलंबित या रद करने की मांग की है। बजरंग पुनिया का तर्क है कि NADA ने सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है। उनका कहना है कि इस निलंबन के कारण वे प्रशिक्षण और प्रतियोगिताओं में भाग लेने से अयोग्य हो गए हैं और अगर यह निलंबन बरकरार रहता है, तो उन्हें संभवतः संन्यास लेने पर मजबूर होना पड़ सकता हैं।