Big Decision of Education Ministry: नो डिटेंशन पॉलिसी खत्म, अब फेल होने पर नहीं मिलेगा पास होने का मौका, जानें शिक्षा मंत्रालय का नया नियम

Big Decision of Education Ministry: नो डिटेंशन पॉलिसी खत्म, अब फेल होने पर नहीं मिलेगा पास होने का मौका, जानें शिक्षा मंत्रालय का नया नियम
Last Updated: 12 घंटा पहले

शिक्षा मंत्रालय ने एक अहम कदम उठाते हुए 'नो डिटेंशन पॉलिसी' को खत्म करने का ऐलान किया है। इस नीति के तहत अब 5वीं और 8वीं कक्षा में फेल होने वाले छात्रों को बिना परीक्षा पास किए अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा। पहले यह नियम था कि अगर छात्र 5वीं या 8वीं कक्षा में फेल हो जाते थे तो उन्हें बिना रिजल्ट के अगले साल में प्रमोट कर दिया जाता था। अब शिक्षा मंत्रालय ने इस नीति में संशोधन किया है, जो केंद्रीय सरकार के तहत आने वाले स्कूलों पर लागू होगा।

केंद्रीय स्कूलों में लागू होगा यह बदलाव

नई नीति के मुताबिक यह बदलाव केंद्रीय सरकार के अधीन आने वाले स्कूलों में लागू होगा। जिनमें केंद्रीय विद्यालय (KV), नवोदय विद्यालय (NV), सैनिक स्कूल और अन्य पैरामिलिट्री स्कूल शामिल हैं। इस संशोधन का मुख्य उद्देश्य सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को सुधारना है। पहले जहां फेल होने वाले छात्रों को प्रमोट कर दिया जाता था, वहीं अब उन्हें अगली कक्षा में प्रमोट करने से पहले उनके प्रदर्शन को गंभीरता से देखा जाएगा।

शिक्षा में गुणवत्ता और गंभीरता बढ़ाने के लिए उठाया गया कदम

इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को सुधारना और छात्रों को अपनी पढ़ाई के प्रति अधिक गंभीर बनाना है। शिक्षाविदों का मानना है कि 'नो डिटेंशन पॉलिसी' के चलते छात्रों को अपनी पढ़ाई में कोई खास रुचि नहीं थी। उन्हें लगता था कि उन्हें बिना मेहनत के अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाएगा, जिससे उनकी मेहनत में कमी रही थी। अब इस नीति को खत्म करके छात्रों को अपनी पढ़ाई में अधिक गंभीर और कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

16 राज्यों में पहले ही खत्म हो चुकी थी नो डिटेंशन पॉलिसी

यह बदलाव उन 16 राज्यों में लागू नहीं होगा, जहां पहले से ही 'नो डिटेंशन पॉलिसी' को खत्म कर दिया गया है। इनमें असम, बिहार, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, मध्य प्रदेश, मेघालय, नागालैंड, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव शामिल हैं। इन राज्यों में छात्रों के प्रदर्शन पर अधिक ध्यान दिया जाता है और फेल होने पर उन्हें प्रमोट नहीं किया जाता।

हरियाणा और पुडुचेरी पर फैसला बाकी

हालांकि हरियाणा और पुडुचेरी ने अभी तक इस संशोधन पर अंतिम निर्णय नहीं लिया है। इन दोनों राज्यों में 'नो डिटेंशन पॉलिसी' को लेकर विचार-विमर्श चल रहा है और जल्द ही इन राज्यों में भी इसका फैसला लिया जाएगा।

नतीजों पर होगा असर

इस संशोधन से यह उम्मीद जताई जा रही है कि सरकारी स्कूलों के नतीजों में सुधार होगा। पहले जहां फेल होने पर छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाता था, अब उन्हें अपनी कड़ी मेहनत और अच्छे प्रदर्शन के आधार पर ही अगली कक्षा में प्रवेश मिलेगा। इस नीति से शिक्षा का स्तर ऊंचा उठने की संभावना है और छात्र अपने भविष्य को लेकर अधिक गंभीर होंगे।

आखिरकार, यह बदलाव क्यों जरूरी था?

'नो डिटेंशन पॉलिसी' की आलोचना करने वाले शिक्षाविदों का कहना है कि इस नीति ने छात्रों को पढ़ाई के प्रति लापरवाह बना दिया था। जब कोई भी छात्र फेल होने के बावजूद पास हो जाता था, तो उन्हें अपनी पढ़ाई के महत्व का एहसास नहीं होता था। अब इस नीति को खत्म करके छात्रों को यह समझाया जाएगा कि सफलता मेहनत से मिलती है, और बिना अच्छे प्रदर्शन के वे अपनी पढ़ाई में आगे नहीं बढ़ सकते।

इस कदम से सरकार ने यह साफ संदेश दिया है कि अब शिक्षा को हल्के में लेने का समय नहीं है। छात्रों को सिर्फ एग्जाम में पास होना ही नहीं, बल्कि सच्ची शिक्षा का हासिल करना भी जरूरी हैं।

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