बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि जल्द ही स्कूलों में नई बिल्डिंग बनाई जाएगी, जिससे शिक्षण और learning के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हो सकेंगी।
Bihar Government: बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए निरंतर प्रयास जारी हैं। इसी दिशा में शिक्षा विभाग ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। उन स्कूलों में, जहां एक ही कमरे में एक-दो या तीन-चार कक्षाओं के बच्चे एक साथ पढ़ाई करते हैं, बड़े बदलाव करने का निर्णय लिया गया है। इन स्कूलों में समय सारणी में बदलाव किया जाएगा और शिक्षकों के लिए शिफ्ट प्रणाली लागू की जाएगी, ताकि कक्षाएं बेहतर तरीके से संचालित की जा सकें।
अलग-अलग शिफ्ट और स्लॉट व्यवस्था का निर्माण
बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने घोषणा की है कि जल्द ही स्कूलों में नई इमारतें बनाई जाएंगी। इसके पहले, पढ़ाई की वैकल्पिक व्यवस्था पर ध्यान दिया जा रहा है। सिद्धार्थ ने बताया कि विभिन्न कक्षाओं के लिए अलग-अलग शिफ्ट और स्लॉट का निर्माण किया जाएगा। स्कूल के हेडमास्टर और शिक्षकों पर यह छोड़ दिया जाएगा कि वे किस शिफ्ट में कौन पढ़ाएंगे और किस टाइमिंग में कक्षाएं चलेंगी। इस व्यवस्था का लक्ष्य है कि पढ़ाई में गुणवत्ता लाई जा सके।
शिक्षकों की प्रशिक्षण और क्लासरूम की गुणवत्ता
हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि यह कार्य कठिन है। "दो कक्षाएं एक ही कमरे में चलाना बहुत मुश्किल है," उन्होंने कहा। उन्होंने समझाया कि पहली और दूसरी कक्षा की शिक्षण तकनीकें भिन्न होती हैं, जिससे शिक्षकों को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। सिद्धार्थ ने कहा कि "हम 100 प्रतिशत क्लासरूम बनाएंगे, लेकिन तब तक हम समय सारणी को समायोजित करके पढ़ाई की गुणवत्ता में सुधार करेंगे।"
छात्रों का ऑनलाइन अटेंडेंस सिस्टम
इसके अलावा, एक जनवरी 2025 से स्कूलों में छात्रों का अटेंडेंस ऑनलाइन किया जाएगा। नए सॉफ्टवेयर द्वारा छात्रों के चेहरों की पहचान की जाएगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि कौन छात्र उपस्थित है। इससे पहले, अक्सर देखा जाता था कि उपस्थिति के प्रतिशत में बढ़ोतरी करने के लिए शिक्षकों और हेड मास्टर द्वारा आंकड़े में हेरफेर किया जाता था, लेकिन अब यह प्रणाली अधिक पारदर्शी होगी।
अभिभावकों और शिक्षकों की मीटिंग
शिक्षा विभाग ने अभिभावकों और शिक्षकों के बीच मीटिंग की भी व्यवस्था की है। इस मीटिंग में अभिभावकों की राय लेकर स्कूलों की समय सारणी को निर्धारित किया जाएगा। स्थानीय जनप्रतिनिधियों, मुखिया और वार्ड पार्षदों की राय भी इस प्रक्रिया में शामिल की जाएगी, जिससे स्कूल प्रबंधन की पूरी टीम एक सम्मिलित निर्णय ले सकेगी।