भारत में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा को सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण माना जाता है। हर साल लाखों अभ्यर्थी इस परीक्षा में अपनी किस्मत आजमाते हैं, लेकिन इस परीक्षा की राह पर केवल कुछ ही लोग सफलता की मंजिल तक पहुंच पाते हैं। हालांकि, कई लोग इस कठिन यात्रा के दौरान असफलता का सामना करते हैं और हार मानकर छोड़ देते हैं, वहीं कुछ लोग अपनी असफलताओं को सीढ़ियों की तरह प्रयोग करते हुए सफलता की नई ऊंचाइयों को छूने में सफल हो जाते हैं। IAS अधिकारी अर्पिता थुबे की कहानी ऐसी ही एक प्रेरणा देने वाली यात्रा है, जो हर युवा को संघर्ष और सफलता के बीच के अंतर को समझाती हैं।
अर्पिता थुबे की शुरुआत
अर्पिता थुबे का जन्म महाराष्ट्र के ठाणे जिले में हुआ था। बचपन से ही उनकी अकादमिक यात्रा शानदार रही और उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा में हमेशा उत्कृष्ट अंक प्राप्त किए। इसके बाद, उन्होंने सरदार पटेल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। अर्पिता की शिक्षा में उनकी रुचि तो थी, लेकिन उनका असली सपना कुछ और था। उनका सपना था भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में शामिल होकर देश की सेवा करना, ताकि वह समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकें।
पहली बार UPSC परीक्षा और असफलता
अर्पिता ने 2019 में पहली बार UPSC परीक्षा दी थी। यह उनका पहला प्रयास था, लेकिन इस प्रयास में उन्हें सफलता नहीं मिल पाई। वह UPSC प्रीलिम्स भी क्वालिफाई नहीं कर पाई थीं, जो उनके लिए एक बड़ा झटका था। हालांकि, इस असफलता ने उन्हें तोड़ा नहीं, बल्कि यह उनके लिए एक बड़ा अनुभव बन गया। उन्होंने इस असफलता को आत्ममंथन और सुधार का एक अवसर माना और अपने प्रयासों में सुधार करने का संकल्प लिया।
आईपीएस में सफलता
2020 में अर्पिता ने अपने दूसरे प्रयास में भाग लिया और इस बार उनकी मेहनत ने रंग दिखाया। उन्होंने 383वीं रैंक प्राप्त की और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में चयनित हो गईं। हालांकि उनका असली सपना IAS बनना था, लेकिन आईपीएस में नियुक्ति मिलने के बाद भी उन्होंने अपनी उम्मीदों को जिंदा रखा और अपने सपने को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ती रहीं।
IAS का सपना पूरा किया
अर्पिता का सपना IAS बनने का था, और उन्होंने 2021 में एक बार फिर UPSC परीक्षा दी। हालांकि, इस बार भी वह अपने लक्ष्य से चूक गईं। लेकिन उनका आत्मविश्वास और संकल्प नहीं टूटा। उन्होंने अपने अगले प्रयास की तैयारी में और भी समर्पण से काम किया और यह तय किया कि इस बार वह पूरी तरह से अपनी तैयारी पर ध्यान केंद्रित करेंगी।
इस बार अर्पिता ने आईपीएस की ड्यूटी से एक ब्रेक लिया और अपनी पूरी ऊर्जा और समय UPSC की तैयारी में लगा दिया। उनका यह प्रयास सफल हुआ, और 2022 में उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में 214वीं रैंक हासिल की। यह उनकी सफलता की कहानी है, जिसमें उन्होंने अपनी मेहनत, धैर्य और समर्पण से अपनी मंजिल हासिल की।
प्रेरणा की कहानी
अर्पिता की यात्रा यह बताती है कि असफलताएं जीवन के अंत नहीं होतीं, बल्कि ये हमें सिखाने का एक मौका देती हैं। अगर हम असफलताओं को सीखने के अवसर के रूप में देखें तो वे हमारी ताकत बन सकती हैं। अर्पिता की सफलता की कहानी लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो असफलताओं के बावजूद अपने सपनों की ओर बढ़ने की हिम्मत जुटाते हैं।
अर्पिता ने यह सिद्ध कर दिया कि असली सफलता उस व्यक्ति की होती है, जो कठिनाइयों और विफलताओं के बावजूद अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रयासरत रहता है। उनके संघर्ष, समर्पण और विश्वास ने उन्हें वह सफलता दिलाई, जो पहले केवल एक सपना था।
अर्पिता थुबे की कहानी यह सिखाती है कि जीवन में संघर्ष और असफलता अस्थायी होती है, लेकिन अगर हम निरंतर मेहनत करते रहें, तो एक दिन सफलता जरूर मिलेगी। उन्होंने दिखाया कि अगर हमारी मेहनत सच्ची और उद्देश्यपूर्ण हो, तो हम किसी भी चुनौती को पार कर सकते हैं।
यह कहानी न केवल UPSC के अभ्यर्थियों के लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए एक प्रेरणा है जो अपनी मेहनत और विश्वास से अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।