IAS Abhinav Siwach: हर किसी के जीवन में एक समय आता है जब उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए कुछ बड़ा निर्णय लेना होता है। ऐसी ही एक प्रेरक कहानी है, आईएएस अधिकारी अभिनव सिवाच की, जिन्होंने अपने जीवन में चुनौतियों को पार कर सफलता की नई ऊंचाइयों को छुआ। आज, वह न सिर्फ एक सिविल सर्वेंट के तौर पर काम कर रहे हैं, बल्कि देश के युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी बन गए हैं। आइए जानते हैं उनकी प्रेरक यात्रा के बारे में, और कैसे उन्होंने अपने सपने को हकीकत में बदलने का कठिन सफर तय किया।
अभिनव सिवाच का शुरुआती जीवन और शिक्षा
अभिनव सिवाच का जन्म हरियाणा के एक छोटे से गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा अपने घर के पास के स्कूल से पूरी की और फिर आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली का रुख किया। यहां, उन्होंने बीटेक की डिग्री प्राप्त की और इसके बाद आईआईएम कोलकाता से एमबीए की डिग्री हासिल की। उनकी शिक्षा और मेहनत से यह स्पष्ट हो गया था कि वह अपनी जिंदगी में कुछ बड़ा करने का सपना रखते हैं।
30 लाख की नौकरी छोड़ने का साहस
अभिनव ने अपनी पढ़ाई के बाद एक बड़ी प्राइवेट कंपनी में काम करना शुरू किया और 30 लाख रुपये के सालाना पैकेज वाली नौकरी हासिल की। यह नौकरी किसी भी युवा के लिए सपना सच होने जैसा था, लेकिन अभिनव का सपना कुछ और था। उनका दिल सिविल सर्विसेज की ओर खींचता था, और उन्होंने वह कदम उठाया, जो बहुत कम लोग उठा पाते हैं।
अभिनव ने इस शानदार नौकरी को छोड़कर हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन (HPSC) की परीक्षा दी और नायब तहसीलदार के रूप में सरकारी सेवा में कदम रखा।
SDM बनने के बाद भी नहीं छोड़ा IAS का सपना
नायब तहसीलदार के पद पर काम करते हुए, अभिनव ने दिल्ली सिविल सर्विस परीक्षा पास की और एसडीएम (सभी जिला अधिकारी) बने। इस पद पर काम करते हुए भी उनका सपना नहीं छूटा - उनका उद्देश्य आईएएस (Indian Administrative Services) बनना था। उनके अनुसार, “मैंने नौकरी के साथ-साथ 7-8 घंटे दिन में पढ़ाई की, और साथ ही सोशल मीडिया से पूरी तरह से दूरी बनाए रखी।”
परिवार से मिली प्रेरणा
अभिनव सिवाच के परिवार का प्रशासनिक क्षेत्र से गहरा संबंध था। उनके पिता सतबीर सिवाच एक एक्साइज एंड टैक्सेशन कमिश्नर हैं और उनके चाचा ललित सिवाच आईएएस अधिकारी हैं। परिवार के इस प्रशासनिक माहौल ने अभिनव को हर कदम पर प्रेरित किया और उनका आत्मविश्वास बढ़ाया।
सेल्फ-स्टडी से मिली सफलता
अभिनव ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी सेल्फ-स्टडी को दिया। उन्होंने कहा, “मैंने कोई कोचिंग नहीं ली थी, बल्कि खुद से ही अपनी तैयारी की। मैंने रोज़ 5-6 घंटे की नियमित पढ़ाई की और अपने बेसिक्स को मजबूत किया। यही वजह है कि मुझे यूपीएससी परीक्षा में ऑल इंडिया 12वीं रैंक हासिल हुई।”
युवाओं को दी सफलता की टिप्स
अभिनव सिवाच हमेशा युवाओं को अपनी सफलता के रास्ते पर चलने की सलाह देते हैं। उनका मानना है कि, “सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। मेहनत ही सफलता की कुंजी है। बेसिक्स को मजबूत करें, रिवीजन करें और निरंतर पढ़ाई करें।”
समाज सेवा करना है मुख्य उद्देश्य
आईएएस अधिकारी बनने के बाद, अभिनव का मुख्य उद्देश्य समाज सेवा करना है। वह मानते हैं, “मेरे पास जो भी पावर और अधिकार होंगे, उनका उपयोग मैं आम जनता की भलाई के लिए करूंगा। समाज की सेवा करने से बढ़कर कुछ नहीं है।”
अभिनव सिवाच की यात्रा यह बताती है कि किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए सही दिशा, दृढ़ निश्चय और लगातार मेहनत जरूरी है। आज वह हर युवा के लिए एक मिसाल हैं कि कैसे अपने सपनों को साकार किया जा सकता है, भले ही रास्ते में कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएं।