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2027 तक भारत में Agentic AI उपयोग 383% तक बढ़ेगा: डिजिटल क्षेत्र में बदलाव की नई लहर

भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल अब सिर्फ डेटा एनालिसिस या चैटबॉट तक सीमित नहीं रहा। तकनीकी दुनिया अब उस मुकाम पर पहुंच चुकी है, जहां AI खुद निर्णय लेने में सक्षम हो रही है, वह भी बिना इंसानी दखल के। इस नई तकनीकी छलांग का नाम है एजेंटिक एआई (Agentic AI) – यानी ऐसी कृत्रिम बुद्धिमत्ता जो पूरी तरह से स्वायत्त रूप से काम करती है।

हाल ही में Salesforce द्वारा जारी की गई एक ग्लोबल रिपोर्ट में यह साफ हुआ है कि भारत समेत पूरी दुनिया में एजेंटिक एआई की मांग तेजी से बढ़ रही है। खासकर भारत के मानव संसाधन (HR) सेक्टर में यह तकनीक नई क्रांति की ओर इशारा कर रही है।

एजेंटिक एआई: क्या है यह तकनीक?

Agentic AI ऐसी एआई तकनीक को कहा जाता है जो किसी इंसानी मदद या हस्तक्षेप के बिना निर्णय लेने, समस्या सुलझाने और कार्रवाई करने में सक्षम होती है। यह तकनीक पारंपरिक एआई से कहीं आगे है, क्योंकि इसमें ऑटोनोमी यानी स्वायत्तता होती है। एक तरह से यह 'डिजिटल वर्कर' की तरह काम करती है, जो न केवल आदेश समझता है बल्कि स्वयं रणनीति बना सकता है।

रिपोर्ट में क्या सामने आया?

Salesforce की इस रिपोर्ट में दुनिया भर के 200 CHROs (Chief Human Resource Officers) की राय ली गई। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2027 तक Agentic AI को अपनाने की दर में 383% की वृद्धि हो सकती है। यह एक चौंकाने वाला आंकड़ा है, जो बताता है कि भारत किस तेजी से डिजिटल वर्कफोर्स की ओर बढ़ रहा है।

सिर्फ यही नहीं, रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि आने वाले दो सालों में AI एजेंट्स के इस्तेमाल से उत्पादकता में औसतन 41.7% का इज़ाफा देखा जा सकता है। यानी कंपनियों को कम समय में ज़्यादा और बेहतर काम मिल सकेगा।

भारतीय HR लीडर्स का नजरिया

  • भारत में HR क्षेत्र के वरिष्ठ अधिकारी Agentic AI को लेकर खासे उत्साहित हैं।
  • 88% CHROs मानते हैं कि इस तकनीक को अपनाने के लिए अपने कर्मचारियों को दोबारा प्रशिक्षित करना जरूरी होगा।
  • 24.7% कर्मचारियों की भूमिकाओं में बदलाव संभावित है, क्योंकि अब इंसानों के साथ डिजिटल एजेंट्स भी काम करेंगे।
  • 81% HR लीडर्स मानते हैं कि टीमवर्क, कम्युनिकेशन जैसे सॉफ्ट स्किल्स अब पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गए हैं।

Salesforce की प्रेसिडेंट और चीफ पीपल ऑफिसर, नाथाली स्कार्डिनो ने कहा है, “हर सेक्टर को अपनी नौकरियों को फिर से डिज़ाइन करना होगा। अब सिर्फ तकनीकी कौशल ही नहीं, बल्कि मानव और रणनीतिक स्किल्स का मिश्रण ज़रूरी होगा।”

डिजिटल लेबर बन रहा है नया स्टैंडर्ड

एक समय था जब AI को सपोर्ट टूल की तरह देखा जाता था, लेकिन अब यह core workforce का हिस्सा बन रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले 5 वर्षों में 85% भारतीय HR अधिकारी मानते हैं कि मानव कर्मचारी और डिजिटल एजेंट मिलकर एक टीम के रूप में काम करेंगे।

हालांकि, अभी स्थिति यह है कि केवल 12% CHROs ने ही Agentic AI को पूरी तरह से अपने संगठनों में लागू किया है। यानी अधिकांश कंपनियां अभी इस बदलाव की तैयारी में हैं।

AI और मानव कौशल का संतुलन ज़रूरी

Agentic AI के बढ़ते प्रभाव के बीच सबसे बड़ी चुनौती यही होगी कि इंसानों और मशीनों के बीच सही संतुलन कैसे बनाया जाए। तकनीक भले ही निर्णय ले सकती हो, लेकिन उसमें मानवीय संवेदनाएं, नैतिकता और सहानुभूति नहीं होती।

इसलिए भारत में कंपनियों को चाहिए कि वे सिर्फ तकनीकी ढांचे पर ही निवेश न करें, बल्कि अपने कर्मचारियों के रिस्किलिंग और अपस्किलिंग पर भी ध्यान दें।

कर्मचारियों की चिंता और जागरूकता की कमी

रिपोर्ट में एक दिलचस्प पहलू यह भी सामने आया कि 60% से अधिक HR अधिकारियों का मानना है कि उनके कर्मचारी अभी तक यह नहीं समझ पाए हैं कि AI उनके करियर पर कैसा असर डालेगी।

इससे यह स्पष्ट होता है कि जहां एक ओर लीडरशिप इस तकनीक को अपनाने के लिए तैयार है, वहीं कर्मचारियों को अभी भी इसकी उपयोगिता, भूमिका और संभावित बदलावों को लेकर स्पष्टता नहीं है।

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