How Astronauts Survive In Space: अंतरिक्ष में ऑक्सीजन की जंग, एस्ट्रोनॉट्स कैसे रहते हैं जिंदा? जानिए पूरी जानकारी

How Astronauts Survive In Space: अंतरिक्ष में ऑक्सीजन की जंग, एस्ट्रोनॉट्स कैसे रहते हैं जिंदा? जानिए पूरी जानकारी
अंतिम अपडेट: 17 घंटा पहले

अंतरिक्ष में जीवन जीना आसान नहीं है। वहां न तो हवा है, न गुरुत्वाकर्षण, और न ही सांस लेने के लिए प्राकृतिक रूप से उपलब्ध ऑक्सीजन। फिर भी, एस्ट्रोनॉट्स कई दिनों, हफ्तों और महीनों तक अंतरिक्ष में सुरक्षित रहते हैं। सवाल उठता है कि आखिर वे वहां जिंदा कैसे रहते हैं? अगर कोई मिशन फेल हो जाए या आपात स्थिति आ जाए, तो क्या उनके पास बचने का कोई तरीका होता है? आइए जानते हैं।

अंतरिक्ष में ऑक्सीजन कैसे मिलती है?

धरती से करीब 120 किलोमीटर की ऊंचाई के बाद वायुमंडल बहुत पतला हो जाता है, जिससे सांस लेने योग्य ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं रहती। यही वजह है कि अंतरिक्ष यात्रियों के लिए विशेष व्यवस्था की जाती हैं।

1. स्पेसक्राफ्ट में ऑक्सीजन सिस्टम: जब एस्ट्रोनॉट्स अंतरिक्ष में होते हैं, तो उनका स्पेसक्राफ्ट एक मिनी धरती की तरह काम करता है। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) जैसे मॉड्यूल्स में ऑक्सीजन को रीसायकल करने और कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने के लिए उन्नत प्रणालियां होती हैं।

2. इलेक्ट्रोलिसिस तकनीक: स्पेसक्राफ्ट के अंदर ऑक्सीजन पैदा करने के लिए वैज्ञानिक पानी को इलेक्ट्रोलिसिस तकनीक से तोड़ते हैं, जिससे हाइड्रोजन और ऑक्सीजन अलग होते हैं। यह प्रक्रिया ऑक्सीजन की सतत आपूर्ति बनाए रखने में मदद करती हैं।

3. स्पेससूट में ऑक्सीजन की व्यवस्था: जब एस्ट्रोनॉट्स स्पेसक्राफ्ट से बाहर स्पेसवॉक (EVA - Extra Vehicular Activity) के लिए जाते हैं, तो उन्हें अपने साथ ऑक्सीजन लेकर जाना पड़ता हैं।

4. स्पेससूट में ऑक्सीजन सिलेंडर: हर एस्ट्रोनॉट का स्पेससूट एक खास सिस्टम से लैस होता है, जिसमें ऑक्सीजन सिलेंडर और नाइट्रोजन गैस होती है। यह एक मिनी लाइफ सपोर्ट सिस्टम की तरह काम करता हैं।

5. कार्बन डाइऑक्साइड स्क्रबर: जब एस्ट्रोनॉट्स सांस छोड़ते हैं, तो कार्बन डाइऑक्साइड निकलती है। इस गैस को हटाने के लिए स्पेससूट में खास स्क्रबर सिस्टम लगा होता है, जिससे यह जहरीली गैस हट जाती है और ऑक्सीजन का संतुलन बना रहता हैं।

अगर मिशन फेल हो जाए तो क्या होगा?

अंतरिक्ष मिशन के दौरान कई आपातकालीन स्थितियां पैदा हो सकती हैं। इसलिए हर संभावित संकट से निपटने के लिए पहले से योजना बनाई जाती है।

1. इमरजेंसी ऑक्सीजन रिजर्व: स्पेसक्राफ्ट और स्पेससूट दोनों में अतिरिक्त ऑक्सीजन की व्यवस्था होती है। अगर मुख्य सिस्टम फेल हो जाए, तो एस्ट्रोनॉट्स कुछ घंटों तक इस बैकअप ऑक्सीजन से जीवित रह सकते हैं।

2. स्पेसक्राफ्ट की आपात वापसी: अगर किसी मिशन में गंभीर गड़बड़ी होती है, तो एस्ट्रोनॉट्स के पास स्पेसक्राफ्ट को जल्दी से धरती पर लौटाने का ऑप्शन होता है। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में हमेशा आपातकालीन वापसी के लिए सोयुज (Soyuz) या अन्य रेस्क्यू कैप्सूल मौजूद रहते हैं।

3. सुरक्षा ड्रिल और ट्रेनिंग: हर एस्ट्रोनॉट को मिशन से पहले कठोर ट्रेनिंग दी जाती है, जिसमें सिखाया जाता है कि अगर ऑक्सीजन सप्लाई बाधित हो जाए, तो वे कैसे खुद को सुरक्षित रख सकते हैं।

अंतरिक्ष में जिंदा रहना एक बेहद चुनौतीपूर्ण काम है, लेकिन आधुनिक टेक्नोलॉजी और वैज्ञानिक तरीकों से एस्ट्रोनॉट्स के लिए सुरक्षित वातावरण तैयार किया जाता है। चाहे स्पेसक्राफ्ट के अंदर हों या स्पेसवॉक कर रहे हों, उनके पास ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था होती हैं। 

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