पीएम मोदी के मन की बात कार्यक्रम के 115वें एपिसोड में Digital Arrest के मुद्दे पर चर्चा की गई, जिसे उन्होंने एक गंभीर चिंता के रूप में प्रस्तुत किया। Digital Arrest एक ऐसा फ्रॉड है जिसमें अपराधी विभिन्न डिजिटल तरीकों से लोगों को धोखा देकर उनकी व्यक्तिगत जानकारी या पैसे चुराते हैं।
डिजिटल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम के 115वें एपिसोड में Digital Arrest पर चर्चा करना इस विषय की बढ़ती गंभीरता को दर्शाता है। Digital Arrest का अर्थ है डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर धोखाधड़ी या साइबर अपराध का शिकार होना, जिसमें फिशिंग, सामाजिक इंजीनियरिंग, और संदिग्ध लिंक या कॉल्स शामिल हैं। पीएम मोदी ने इस विषय पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए तीन सरल कदम सुझाए हैं:
* रुको (Stop) - संदिग्ध कॉल या मैसेज पर तुरंत प्रतिक्रिया देने से बचें।
* सोचो (Think) - सोच-समझकर निर्णय लें।
* एक्शन लो (Act) - यदि आपको धोखाधड़ी का संदेह हो, तो संबंधित अधिकारियों से संपर्क करें।
क्या है Digital Arrest?
डिजिटल अरेस्ट वास्तव में साइबर धोखाधड़ी का एक नया तरीका है, जिसमें ठग विभिन्न सरकारी एजेंसियों, जैसे कि पुलिस, सीबीआई, ईडी, कस्टम, आयकर, या नारकोटिक्स अधिकारियों के रूप में सामने आते हैं। ये ठग पीड़ित को फोन करते हैं और उन पर या उनके करीबी लोगों पर अवैध गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हैं। इस दबाव में, स्कैमर अक्सर मामले को जल्दी निपटाने के लिए वीडियो कॉल की मांग करते हैं और पीड़ित को डराते हैं कि वे उन्हें कॉल या वीडियो कॉल पर गिरफ्तार कर देंगे।
वीडियो कॉल पर, ठग पीड़ित को जाली पहचान पत्र या अदालत के दस्तावेज दिखाकर डराते हैं। इसके बाद, वे उन पर "गिरफ्तारी" से बचने के लिए 'जुर्माना' देने का दबाव डालते हैं। यह पूरी प्रक्रिया पीड़ित को मानसिक तनाव में डालने और उन्हें अवैध रूप से पैसे निकालने के लिए होती हैं।
डिजिटल अरेस्ट वास्तव में एक ऐसी अवधारणा है जिसका कोई वास्तविक आधार नहीं है। यह पूरी तरह से एक फर्जी धमकी होती है, जिसका उद्देश्य केवल पीड़ित व्यक्ति से जल्दी से पैसे ठगना होता है। ठग, पुलिस या अन्य सरकारी एजेंसियों के रूप में पहचान बनाकर लोगों को यह विश्वास दिलाने की कोशिश करते हैं कि वे किसी गंभीर कानूनी समस्या में फंसे हुए हैं।
डिजिटल अरेस्ट से ऐसे करें बचाव
* स्कैमर्स पीड़ितों को डराने-धमकाने के लिए ऐसे हालात बनाते हैं कि लोग आसानी से उनके झांसे में आ जाते हैं। इसलिए, ऐसी स्थितियों में तत्काल प्रतिक्रिया देने से पहले शांत रहकर सोचने के लिए समय निकालना जरूरी हैं।
* यदि कोई व्यक्ति कानून प्रवर्तन एजेंसी से होने का दावा करता है, तो वीडियो कॉल करने से बचें और किसी भी प्रकार का पैसा ट्रांसफर न करें। हमेशा उनकी सत्यता की जांच करें और आधिकारिक स्रोतों से जानकारी प्राप्त करें।
* फोन या वीडियो कॉल के दौरान अपनी संवेदनशील व्यक्तिगत या वित्तीय जानकारी साझा करने से बचें, खासकर जब कॉल अनजान नंबर से आए। सही और कानूनी सरकारी एजेंसियां आधिकारिक बातचीत या गिरफ्तारी के लिए व्हाट्सएप या स्काइप जैसे प्लेटफार्मों का उपयोग नहीं करेंगी, इसलिए ऐसे कॉल्स से सावधान रहें।
* अगर आपको कोई संदिग्ध कॉल आती है, तो तुरंत अपनी स्थानीय पुलिस या नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (cybercrime.gov.in) पर इसकी रिपोर्ट करें। यह कदम न केवल आपको सुरक्षित रखेगा, बल्कि अन्य लोगों को भी ऐसे स्कैम से बचाने में मदद करेगा।
देश में बढ़ते साइबर क्राइम और डिजिटल अरेस्ट के मामलों को देखते हुए गृह मंत्रालय लगातार लोगों को सतर्क रहने की सलाह दे रहा है। इस दिशा में गृह मंत्रालय की साइबर सिक्योरिटी अवेयरनेस ब्रांच, साइबर दोस्त, नियमित रूप से लोगों को डिजिटल अरेस्ट के खिलाफ जागरूक करने के लिए पोस्ट साझा कर रही है। हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में साइबर दोस्त ने स्पष्ट किया कि डिजिटल अरेस्ट वास्तव में एक स्कैम है और कोई भी कानूनी अधिकारी कभी भी कॉल या वीडियो कॉल के माध्यम से गिरफ्तारी नहीं करते हैं।