CBDT का बड़ा फैसला, टैक्सपेयर को ब्याज में राहत देने के लिए अधिकारी को मिली अनुमति, जानें नए नियम

CBDT का बड़ा फैसला, टैक्सपेयर को ब्याज में राहत देने के लिए अधिकारी को मिली अनुमति, जानें नए नियम
Last Updated: 05 नवंबर 2024

धारा 220(2ए) के अंतर्गत देय ब्याज में कटौती या छूट प्राप्त करने के लिए तीन निर्धारित शर्तें पूरी होनी चाहिए। ये शर्तें इस प्रकार हैं: करदाता को ऐसी राशि के भुगतान से वास्तविक कठिनाई का सामना करना पड़ा है या आगे हो सकता है। इसके अलावा, ब्याज के भुगतान में किसी भी प्रकार की चूक करदाता के नियंत्रण से बाहर की परिस्थितियों के कारण हुई हो।

आयकर विभाग ने कर अधिकारियों को कुछ निर्धारित शर्तों के तहत करदाता के लिए देय ब्याज को माफ करने या कम करने की अनुमति दी है। आयकर अधिनियम की धारा 220(2ए) के तहत, यदि कोई करदाता मांग नोटिस में उल्लिखित कर राशि का भुगतान करने में विफल रहता है, तो उसे भुगतान में देरी के कारण प्रति माह एक प्रतिशत की दर से ब्याज चुकाना होता है।

इस अधिनियम के तहत, प्रधान मुख्य आयुक्त (पीआरसीसीआईटी), मुख्य आयुक्त (सीसीआईटी), प्रधान आयुक्त (पीआरसीआईटी) या आयुक्त रैंक के अधिकारियों को यह अधिकार दिया गया है कि वे देय ब्याज की राशि को कम कर सकते हैं या पूरी तरह से माफ कर सकते हैं, यदि विशिष्ट परिस्थितियां पूरी होती हैं।

 जानिए कितना ब्याज माफ हो सकता है

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने चार नवंबर को एक परिपत्र जारी करते हुए ब्याज की मौद्रिक सीमा को स्पष्ट किया है, जिसे कर अधिकारी माफ या कम कर सकते हैं। इस परिपत्र के अनुसार, पीआरसीआईटी रैंक का अधिकारी 1.5 करोड़ रुपये से अधिक के बकाया ब्याज को कम करने या माफ करने का निर्णय ले सकता है।

वहीं, 50 लाख रुपये से 1.5 करोड़ रुपये तक के बकाया ब्याज के लिए सीसीआईटी रैंक का अधिकारी छूट या कटौती का निर्णय करेगा। जबकि पीआरसीआईटी या आयकर आयुक्त 50 लाख रुपये तक के बकाया ब्याज पर निर्णय ले सकते हैं।

ब्याज माफी के लिए तीन महत्वपूर्ण शर्तों को पूरा करना होगा

वहीं, धारा 220(2ए) के तहत दी जाने वाली ब्याज में कटौती या छूट तीन निर्धारित शर्तों के पूरा होने पर ही मिलेगी। ये शर्तें हैं: पहली, ऐसी राशि के भुगतान से करदाता को वास्तविक कठिनाई का सामना करना पड़ा है या भविष्य में सामना करना पड़ सकता है।

दूसरी, ब्याज भुगतान में चूक करदाता के नियंत्रण से परे की परिस्थितियों के कारण हुई हो। तीसरी, करदाता ने कर निर्धारण से संबंधित जांच में या उससे देय किसी राशि की वसूली की प्रक्रिया में सहयोग किया हो। नांगिया एंड कंपनी एलएलपी के साझेदार सचिन गर्ग ने कहा, सीबीडीटी के इस कदम से धारा 220 के तहत ब्याज में छूट या कमी के लिए करदाता द्वारा किए गए आवेदनों का शीघ्र निपटान होने की संभावना है।

हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि ब्याज में छूट या कमी की मांग के लिए निर्धारित शर्तों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ साझेदार रजत मोहन ने इस कदम को सकारात्मक बताया, और कहा कि इससे ब्याज राहत देने की प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता में सुधार होगा।

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