शेयर बाजार में गिरावट, जानिए भारत के शेयर बाजार के क्रैश होने के पांच मुख्य कारण

शेयर बाजार में गिरावट, जानिए भारत के शेयर बाजार के क्रैश होने के पांच मुख्य कारण
Last Updated: 21 घंटा पहले

भारतीय शेयर बाजार में सोमवार (4 नवंबर 2024) को एक बड़ी गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों लगभग 2 प्रतिशत नीचे आ गए, जिससे निवेशकों के करीब 8 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। रिलायंस और ONGC जैसी प्रमुख कंपनियों के शेयरों में भी काफी कमी आई है। आइए, हम पांच बिंदुओं में समझते हैं कि भारतीय शेयर बाजार में इस अचानक आई गिरावट का क्या कारण है।

नई दिल्ली: दीवाली की छुट्टी के बाद भारतीय शेयर बाजार में सोमवार को जबरदस्त गिरावट देखने को मिली। दोनों प्रमुख सूचकांक- सेंसेक्स और निफ्टी ने शुरुआती कारोबार में ही डेढ़ फीसदी (शेयर बाजार में गिरावट) से अधिक की कमी दर्ज की। सभी सेक्टर के शेयरों में भारी गिरावट आई। अरबपति व्यवसायी मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज को सबसे बड़ा झटका लगा, जिसका शेयर शुरुआती कारोबार में लगभग 4 फीसदी तक गिर गया। आइए जानते हैं कि इस बड़ी गिरावट के पीछे की वजहें क्या हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अनिश्चितता

अमेरिका में पांच नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं। इस बार कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप के बीच कड़ी टक्कर देखी जा रही है। दोनों नेताओं के आर्थिक और भू-राजनीतिक नजरिए और नीतियों में काफी अंतर है, जिससे बाजार में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। इस वजह से निवेशक चुनाव परिणामों से पहले सतर्क हैं और उनका ध्यान बिकवाली की ओर बढ़ रहा है।

अमेरिकी फेडरल रिजर्व का ब्याज दरों पर फैसला

अमेरिका के केंद्रीय बैंक, फेडरल रिजर्व की 7 नवंबर को मीटिंग होने वाली है, जिसमें ब्याज दरों पर महत्वपूर्ण फैसला लिया जाएगा। हाल के दिनों में अमेरिका के आर्थिक संकेतकों ने सकारात्मक रुझान दिखाया है, जिससे ब्याज दरों में किसी बड़ी कटौती की संभावना कम हो गई है।

इस स्थिति ने भारतीय शेयर बाजार में अस्थिरता को बढ़ा दिया है, क्योंकि कई प्रमुख कंपनियों का अमेरिका में बड़ा कारोबार है। निवेशकों के लिए यह स्थिति चिंता का विषय बनी हुई है, जो भविष्य में संभावित नकारात्मक प्रभाव के लिए तैयार हो रहे हैं।

कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का प्रभाव

ओपेक+ ने रविवार को घोषणा की कि वह कमजोर मांग और समूह के बाहर बढ़ती सप्लाई के कारण उत्पादन में अभी बढ़ोतरी नहीं करेगा। पहले ओपेक+ का इरादा दिसंबर में उत्पादन बढ़ाने का था, लेकिन इस बदलाव ने कच्चे तेल की कीमतों में तेजी ला दी।

इसके परिणामस्वरूप, रिलायंस इंडस्ट्रीज, इंडियन ऑयल और ONGC जैसी कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट देखी गई। निवेशकों को इस स्थिति के कारण बाजार में अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है, जो आर्थिक गतिविधियों पर भी प्रभाव डाल सकता है।

वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही के निराशाजनक परिणाम

वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में कई बड़ी कंपनियों के वित्तीय नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे। बजाज ऑटो, कोटक महिंद्रा बैंक, आरबीएल बैंक और इंडसइंड बैंक जैसे प्रमुख नामों ने कमजोर प्रदर्शन किया। इसके चलते निवेशकों का मनोबल प्रभावित हुआ, जिससे वे इस समय बड़ा दांव लगाने से बच रहे हैं।

विदेशी निवेशकों की बिकवाली का सिलसिला जारी

फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (FII) भारतीय शेयर बाजार में लगातार बिकवाली कर रहे हैं। अक्टूबर में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से 94,000 करोड़ रुपये (करीब 11.2 अरब डॉलर) की भारी निकासी की, जो अब तक का सबसे खराब महीना साबित हुआ। यह सिलसिला नवंबर में भी जारी है, क्योंकि विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार के ऊंचे मूल्यांकन के चलते बिकवाली कर चाइनीज मार्केट का रुख कर रहे हैं।

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