क्या हर IPO में पैसे लगाना चाहिए? जानें नफा-नुकसान की कितनी रहती है गुंजाईश?

क्या हर IPO में पैसे लगाना चाहिए? जानें नफा-नुकसान की कितनी रहती है गुंजाईश?
Last Updated: 02 अक्टूबर 2024

शेयर मार्केट में इन दिनों आईपीओ की बहार देखने को मिल रही है। हर हफ्ते कोई न कोई आईपीओ खुलता है, और इनमें से अधिकांश अच्छी-खासी लिस्टिंग गेन देने में सफल हो रहे हैं। एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी, हुंडई और स्विगी जैसे बड़े आईपीओ भी लाइन में हैं। तो, क्या आपको हर आईपीओ में निवेश करने की रणनीति अपनानी चाहिए, और इससे जुड़े जोखिम क्या हैं? आइए जानते हैं।

नई दिल्ली: पिछले कुछ समय से शेयर बाजार में इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) की जबरदस्त चर्चा हो रही है। विशेषकर, बजाज हाउसिंग फाइनेंस के आईपीओ ने 114 प्रतिशत का बंपर लिस्टिंग लाभ प्रदान किया है। इसी बीच, KRN हीट एंड एक्सचेंजर के आईपीओ का ग्रे मार्केट प्राइस (GMP) भी 120 प्रतिशत से अधिक के लिस्टिंग लाभ का संकेत दे रहा है।

आगे बढ़ते हुए, स्विगी, हुंडई और NTPC ग्रीन एनर्जी जैसे कई प्रमुख मेन बोर्ड आईपीओ भी कतार में हैं। SME आईपीओ की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। इस स्थिति में एक महत्वपूर्ण सवाल उठता है: क्या हर आईपीओ में निवेश करना चाहिए? यह रणनीति कितनी प्रभावी है और इसमें लाभ या हानि की संभावना कितनी होती है?

आईपीओ की बाढ़ का कारण क्या है?

शेयर मार्केट में वर्तमान में एक बुल रन चल रहा है। इस तेजी के लाभ को उठाने के लिए अधिकतर कंपनियाँ आईपीओ लाने की तैयारी कर रही हैं, ताकि उनके शेयर ऊंची कीमत पर सूचीबद्ध हो सकें। पिछले आंकड़े भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि बुल रन के दौरान ही अधिकांश आईपीओ आते हैं। यह केवल भारत की स्थिति नहीं है, बल्कि दुनियाभर के मार्केट में भी ऐसा ही ट्रेंड देखा गया है।

क्या आईपीओ एक लॉटरी की तरह है?

पिछले दिनों, सेबी ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। इसके अनुसार, अधिकांश आईपीओ निवेशक अलॉटमेंट होने के एक सप्ताह के भीतर 54 प्रतिशत शेयर बेच देते हैं। इसके अलावा, एक वर्ष के भीतर 74 प्रतिशत शेयर बिक जाते हैं। इस संदर्भ में कई मार्केट एक्सपर्ट्स ने चिंता व्यक्त की है कि आईपीओ को लॉटरी के रूप में देखा जा रहा है, जो कि एक खतरनाक प्रवृत्ति है। SME आईपीओ में ज्यादा लाभ कमाने की संभावना होती है, लेकिन इसके साथ हेरफेर और नुकसान का खतरा भी अधिक होता है।

क्या हर आईपीओ में निवेश करना सही है?

अगर आप हर आईपीओ को केवल लिस्टिंग लाभ के लिए सब्सक्राइब करते हैं, तो यह आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है। LIC और पेटीएम जैसे प्रमुख आईपीओ इसके स्पष्ट उदाहरण हैं। LIC का आईपीओ मई 2022 में लॉन्च हुआ था, जिसका प्राइस बैंड 902 से 949 रुपये था। हालांकि, यह लगभग 9 फीसदी की छूट पर लिस्ट हुआ।

इसे अपने लिस्टिंग मूल्य को पार करने में लगभग 2 साल लग गए। वहीं, पेटीएम के आईपीओ ने भी निवेशकों को भारी नुकसान पहुँचाया। पेटीएम की मूल कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस का आईपीओ नवंबर 2021 में आया था, जिसमें इश्यू प्राइस 2,150 रुपये था। लेकिन यह भी 9 फीसदी की छूट पर लिस्ट हुआ। लिस्टिंग के दिन और गिरावट आई, और यह 1,564 रुपये पर बंद हुआ। पेटीएम लिस्टिंग के तीन साल बाद भी अपने इश्यू प्राइस को छू नहीं सका है।

किन आईपीओ में निवेश करें?

आपको किसी भी आईपीओ में निवेश करने से पहले उसके फंडामेंटल्स का ध्यानपूर्वक अध्ययन करना चाहिए। हाल ही में पेटीएम के मालिक विजय शेखर शर्मा ने कहा कि उन्हें आईपीओ के लिए सही निवेशक बैंकर का चयन नहीं करने का पछतावा है। इसका मतलब यह है कि शर्मा भी मानते हैं कि पेटीएम का मूल्य बैंड सही नहीं था।

इसके अलावा, कई बार आईपीओ की शानदार लिस्टिंग होती है, लेकिन फिर भी यह कई सालों तक मुनाफा देने की स्थिति में नहीं रहता। उदाहरण के तौर पर, टाटा टेक्नोलॉजी के आईपीओ का मूल्य बैंड 475 से 500 रुपये के बीच था। लेकिन, यह 1,200 रुपये पर लिस्ट हुआ। इसका मतलब है कि निवेशकों को 140 फीसदी का शानदार लिस्टिंग लाभ मिला। लेकिन, पिछले काफी समय से यह स्टॉक 1100 रुपये के आसपास स्थिर है। इसने लिस्टिंग के बाद से 10 फीसदी का नकारात्मक रिटर्न दिया है।

इन बातों का रखें ध्यान

कंपनी के फंडामेंटल का विश्लेषण किए बिना केवल लिस्टिंग लाभ के लालच में हर आईपीओ में निवेश करने की रणनीति उलट भी सकती है। इस स्थिति में, आईपीओ में निवेश करने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। - कंपनी के उद्योग और बाजार की स्थिति को समझें। - उसकी विकास की संभावनाओं का मूल्यांकन करें। - राजस्व, लाभ, कर्ज और नकद प्रवाह पर ध्यान दें। - आईपीओ में शेयर की कीमत का मूल्यांकन करें। - ब्रोकरेज की रिपोर्ट पढ़ें और उनकी राय को समझें।

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