रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर 3% गिरकर 15 महीने के निचले स्तर पर पहुंचे। बैटरी प्लांट में देरी से ₹125 करोड़ जुर्माने का खतरा, रिटेल और पेट्रोकेम कारोबार में सुस्ती जारी।
Reliance Industries shares: रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के शेयर सोमवार को बीएसई पर 3% गिरकर 15 महीनों के निचले स्तर ₹1,161.40 पर पहुंच गए। यह गिरावट इक्विटी बाजार में व्यापक बिकवाली के कारण आई है। 4 फरवरी से अब तक RIL के शेयरों में 10% की गिरावट आ चुकी है। वर्तमान में यह स्टॉक 13 नवंबर 2023 के बाद अपने सबसे निचले स्तर पर कारोबार कर रहा है।
पिछले छह महीनों में RIL के शेयरों में 22% की गिरावट आई है, जबकि इसी अवधि में बीएसई सेंसेक्स 11.5% गिरा है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कंपनी बाजार से कमजोर प्रदर्शन कर रही है।
बैटरी सेल प्लांट न लगाने पर RIL पर 125 करोड़ रुपये का जुर्माना संभव
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज की एक इकाई, रिलायंस न्यू एनर्जी लिमिटेड, भारत में बैटरी सेल प्लांट स्थापित करने की समयसीमा पूरी करने में विफल रही है। यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आयात निर्भरता कम करने की योजना का हिस्सा थी।
2022 में भारतीय सरकार की उत्पादन प्रोत्साहन (PLI) योजना के तहत RIL को बैटरी सेल निर्माण के लिए अनुबंध मिला था। हालांकि, समयसीमा चूकने के कारण कंपनी को ₹125 करोड़ (लगभग $14.3 मिलियन) तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है।
नए ऊर्जा कारोबार में RIL की रणनीतिक योजनाएं
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने नई ऊर्जा क्षेत्र में विस्तार के लिए दस वैश्विक टेक्नोलॉजी इनोवेटर्स में रणनीतिक निवेश किया है। इन कंपनियों की विशेषज्ञता RIL की नई ऊर्जा संबंधी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में मदद करेगी।
कंपनी का लक्ष्य अगले 15 वर्षों में दुनिया की अग्रणी नई ऊर्जा और नई सामग्री कंपनियों में शामिल होना है। सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए RIL एक 30GWh क्षमता वाली बैटरी गीगा-फैक्ट्री स्थापित कर रही है, जिसे वर्ष 2025 की दूसरी छमाही तक चालू किया जाएगा। इसके बाद कंपनी बैकवर्ड इंटीग्रेशन के तहत सेल निर्माण और बैटरी केमिकल निर्माण भी शुरू करेगी।
कंपनी के अनुसार, उसकी सहयोगी फर्म LithiumWerks और Faradion के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के साथ मिलकर 150 से अधिक टेक्नोलॉजिस्ट उन्नत बैटरियों और ऊर्जा भंडारण समाधानों पर कार्य कर रहे हैं।
रिटेल और पेट्रोकेम कारोबार में कमजोरी से RIL के शेयरों पर दबाव
बीते कुछ वर्षों में RIL ने व्यापक इक्विटी बाजार की तुलना में कमजोर प्रदर्शन किया है। कैलेंडर ईयर 2024 (CY24) में अब तक RIL ने नकारात्मक रिटर्न दिया है, जो पिछले 10 वर्षों में पहली बार हुआ है।
मोतिलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज (MOFSL) के विश्लेषकों का मानना है कि रिलायंस का हालिया कमजोर प्रदर्शन कंपनी के रिटेल कारोबार में सुस्ती और रिफाइनिंग तथा पेट्रोकेमिकल मार्जिन में गिरावट के कारण हुआ है।
बड़े निवेशों के बावजूद जोखिम
MOFSL ने अपनी जनवरी 2025 की रिपोर्ट में बताया कि हाल की तेज गिरावट के बावजूद RIL का मूल्यांकन आकर्षक हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रिलायंस जियो का मूल्यांकन भारती एयरटेल की तुलना में 10% डिस्काउंट पर चल रहा है, जबकि कोर रिटेल कारोबार में सीमित वृद्धि और ऑयल-टू-केमिकल (O2C) सेगमेंट में सुधार नहीं होने के बावजूद स्टॉक में संभावनाएं बनी हुई हैं।
MOFSL का मानना है कि रिलायंस के नए ऊर्जा कारोबार में पूंजीगत व्यय (Capex) अगले कुछ वर्षों में तेज होगा, हालांकि इसकी पूंजी आवश्यकताओं को स्टैंडअलोन बिजनेस के मजबूत कैश फ्लो से पूरा किया जाएगा।
नए ऊर्जा कारोबार में निवेश
कंपनी के नए ऊर्जा कारोबार में पहला बड़ा पड़ाव Q4FY25 में आएगा, जब इसका सोलर मॉड्यूल निर्माण शुरू होगा। इसके बाद अगले दो तिमाहियों में सेल निर्माण और मॉड्यूल उत्पादन के दूसरे चरण की शुरुआत होगी।
MOFSL का अनुमान है कि अगले कुछ वर्षों में RIL का वार्षिक कैपेक्स ₹1.25-1.3 लाख करोड़ रहेगा। हालांकि, Jio के कैपेक्स में गिरावट से यह संतुलित रहेगा। विश्लेषकों का मानना है कि RIL का पूंजीगत खर्च अब चरम बिंदु से गुजर चुका है, जिससे अगले कुछ वर्षों में मुक्त नकदी प्रवाह (FCF) में बढ़ोतरी होगी और ₹90,000 करोड़ की संचयी नकदी प्रवाह (FY24-27) से कर्ज में कमी आ सकती है।