शेयर बाजार: सोमवार से तेज़ी की उम्मीद, इन अहम फैक्टर्स पर रहेगी निवेशकों की नजर

शेयर बाजार: सोमवार से तेज़ी की उम्मीद, इन अहम फैक्टर्स पर रहेगी निवेशकों की नजर
Last Updated: 10 नवंबर 2024

मार्केट अगले हफ्ते: शेयर बाजार में पिछले 5 हफ्तों से लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। बड़े वैश्विक घटनाक्रमों के समाप्त होने के बाद, बाजार का ध्यान एक बार फिर घरेलू घटनाक्रमों पर केंद्रित होगा। इस हफ्ते कुछ महत्वपूर्ण आर्थिक आंकड़े भी जारी होने वाले हैं।

भारतीय शेयर बाजार ने एक और हफ्ते में कंसोलिडेशन का सामना किया। पिछले हफ्ते बाजार की शुरुआत अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सतर्कता के साथ हुई। डॉनल्ड ट्रंप की जीत के बाद बाजार में निचले स्तरों से सुधार भी देखने को मिला।

हालांकि, कई वैश्विक घटनाओं और कंपनियों के तिमाही परिणामों के कारण यह तेजी लंबे समय तक नहीं टिक सकी। नवंबर के दूसरे हफ्ते में भी बाजार विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करेगा। कंपनियों के तिमाही परिणामों का यह लगभग अंतिम हफ्ता है। मध्य पूर्व में जियोपॉलिटिकल तनाव, विदेशी फंड का बहाव, क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतें और आर्थिक आंकड़ों के आधार पर बाजार की दिशा निर्धारित होगी।

लगातार 5 हफ्तों से शेयर बाजार में गिरावट

घरेलू शेयर बाजार में लगातार पांच हफ्तों से साप्ताहिक आधार पर गिरावट देखने को मिल रही है। कंपनियों के सितंबर तिमाही नतीजे और FIIs की लगातार बिकवाली को इस गिरावट की प्रमुख वजह माना जा रहा है। 27 सितंबर के शिखर से निफ्टी करीब 8% तक गिर चुका है, और ब्रॉडर मार्केट में भी बिकवाली का दबाव बना हुआ है।

इस हफ्ते के बाजार की दिशा को तय करने वाले प्रमुख फैक्टर्स में कंपनियों के तिमाही नतीजे, वैश्विक आर्थिक हालात, FIIs का निवेश रुझान और अमेरिकी फेड द्वारा ब्याज दरों पर कोई निर्णय शामिल हो सकते हैं। जानिए किस दिशा में जा सकता है शेयर बाजार इस हफ्ते।

तिमाही नतीजे और आर्थिक आंकड़े तय करेंगे बाजार की दिशा

अब जबकि बड़े ग्लोबल इवेंट्स बीत चुके हैं, घरेलू फैक्टर्स पर बाजार की नजर लौटने वाली है। जुलाई-सितंबर तिमाही के नतीजों का लगभग आखिरी चरण शुरू हो चुका है, और घरेलू मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में तेजी एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। चुनाव के बाद विश्लेषकों का मानना है कि सरकार का खर्च बढ़ेगा, जिसका असर कारोबारी साल की दूसरी छमाही में देखने को मिल सकता है।

फेस्टिव सीजन के चलते तीसरी तिमाही में खपत के आंकड़े बेहतर होने की उम्मीद है, जिससे बाजार का सेंटीमेंट भी बूस्ट हो सकता है। इस हफ्ते 12 नवंबर को IIP (इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन) और महंगाई दर के आंकड़े जारी होंगे, जबकि थोक महंगाई दर के आंकड़े 14 नवंबर को सामने आएंगे। इन आर्थिक आंकड़ों और तिमाही नतीजों से बाजार की दिशा तय होगी।

नए हफ्ते में तीन नए आईपीओ खुलने की उम्मीद है, वहीं चार नई लिस्टिंग भी देखने को मिल सकती है। मेनबोर्ड सेगमेंट में Zinka Logistics Solution का आईपीओ सब्सक्रिप्शन के लिए खुलेगा, जबकि Niva Bupa Health Insurance का आईपीओ 11 नवंबर को बंद होगा। SME सेगमेंट में दो नए आईपीओ सब्सक्रिप्शन के लिए खुलेंगे। इसके अलावा, नए हफ्ते में Sagility India, Swiggy, ACME Solar Holdings, और Niva Bupa Health Insurance शेयर बाजार में लिस्ट होंगे। SME सेगमेंट में इस हफ्ते कोई नई लिस्टिंग नहीं होने वाली है।

संस्थागत निवेशकों के आंकड़े

विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की ओर से लगातार भारी बिकवाली की वजह से भारतीय बाजार में फिलहाल अंडरपरफॉर्मेंस देखा जा रहा है। पिछले हफ्ते भी FIIs ने करीब ₹20,000 करोड़ की बिकवाली की है, जबकि इसी दौरान घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने ₹14,391 करोड़ की खरीदारी की। पिछले 29 सत्रों में FIIs ने कुल ₹1.41 लाख करोड़ की बिकवाली की है।

चीन में राहत पैकेज के बाद FIIs का रुझान वहां बढ़ा है और भारतीय बाजार के मुकाबले सस्ते वैल्युएशन की वजह से वे चीन के बाजार में रुचि दिखा रहे हैं। यह भारतीय बाजार के लिए एक चिंता का विषय बन सकता है, लेकिन DIIs की खरीदारी से बाजार को कुछ सपोर्ट मिल रहा है।

ग्लोबल संकेतों पर नजर

ग्लोबल मोर्चे पर इस समय अमेरिकी राजनीति और आर्थिक आंकड़े भारतीय बाजार के लिए महत्वपूर्ण हैं। अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी की जीत के बाद दुनियाभर के बाजारों को राहत मिली है, वहीं अमेरिकी केंद्रीय बैंकफेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वॉइंट की कटौती की है, जो पहले से ही बाजार की उम्मीद थी।

इस हफ्ते 13 नवंबर को अमेरिका में महंगाई के आंकड़े जारी होंगे, जो फेड की भविष्यवाणी और पॉलिसी निर्णयों के लिहाज से अहम होंगे। साथ ही, चीन द्वारा घोषित राहत पैकेज पर भी बाजार की नजर रहेगी। भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए अमेरिकी बॉन्ड यील्ड और डॉलर इंडेक्स का प्रदर्शन भी महत्वपूर्ण रहने वाला है, क्योंकि इनका सीधा असर निवेश प्रवाह और मुद्रा बाजार पर पड़ सकता है।

कच्चे तेल की चाल

आखिरी सत्र में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव में करीब 2% की गिरावट आई है। अमेरिका के मेक्सिको में तूफान से सप्लाई बाधित होने की आशंका अब कम हो चुकी है, और चीन में राहत पैकेज के एलान का भी कच्चे तेल की कीमतों पर कोई खास असर नहीं पड़ा। शुक्रवार को ब्रेंट क्रूड ऑयल का भाव 2.3% गिरकर 73.87 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ।

हालांकि, साप्ताहिक आधार पर कच्चे तेल में करीब 1% की बढ़त रही है, जो मुख्य रूप से ईरान और वेनेजुएला पर ट्रंप प्रशासन के कड़े प्रतिबंधों की आशंका से आई है। इन दोनों देशों पर कड़े प्रतिबंधों से वैश्विक बाजारों में कच्चे तेल की सप्लाई घट सकती है, जिससे कीमतों में दबाव बना हुआ है।

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