मूंगफली, सूरजमुखी, सोयाबीन जैसी फसलें वर्तमान में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम दामों पर बिक रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप मूंगफली और सोयाबीन का तेल-तिलहन में गिरावट दर्ज की गई है।
नई दिल्ली: खरीफ तिलहन फसलों की आवक में वृद्धि और कल रात शिकागो एक्सचेंज के कमजोर समापन के कारण देश के थोक तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को सभी तेल-तिलहन की कीमतों में गिरावट देखी गई। सरसों, मूंगफली और सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चे पामतेल (CPO), पामोलीन और बिनौला तेल के दाम गिरावट के साथ समाप्त हुए।
शिकागो एक्सचेंज कल रात 1.5 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ, जिससे सभी तेल-तिलहन में कमी आई। बाजार के सूत्रों के अनुसार, सहकारी संस्था नाफेड की बिक्री जारी रहने और किसानों द्वारा अपने उत्पादों की निकासी के कारण सरसों तेल-तिलहन में गिरावट आई है।
मूंगफली और सोयाबीन तेल में गिरावट
मूंगफली सहित सूरजमुखी और सोयाबीन जैसी फसलें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे बिक रही हैं, जिसके कारण मूंगफली और सोयाबीन तेल-तिलहन में गिरावट आई है। कल रात शिकागो एक्सचेंज के कमजोर प्रदर्शन के चलते सीपीओ और पामोलीन तेल की कीमतों में भी गिरावट दर्ज की गई।
बिनौला तेल के दाम भी गिरावट के सामान्य रुख के अनुरूप टूट गए। सूत्रों का कहना है कि खाद्य तेलों के आयात शुल्क में वृद्धि के बाद महंगे होने की आशंका निर्मूल साबित हुई है। शुल्क वृद्धि से पहले गुजरात में मूंगफली तेल का थोक भाव 146 रुपये प्रति लीटर था, जो अब घटकर 135 रुपये प्रति लीटर हो गया है। इसी प्रकार, राजस्थान में मूंगफली तेल का थोक भाव पहले 130 रुपये था, जो अब घटकर 118 रुपये प्रति लीटर रह गया है।
हालांकि, खुदरा में भाव अभी भी ऊंचे बिक रहे हैं, जिसके लिए सरकार को जवाबदेही तय करनी होगी।
रिटेल में दाम क्यों नहीं घट रहे?
समीक्षकों को इस पर विचार करना चाहिए कि जब थोक दाम गिर रहे हैं, तो खुदरा बाजार में दाम क्यों नहीं घट रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, महंगाई को लेकर बिना वजह डर फैलाने से किसान हतोत्साहित होते हैं, क्योंकि उन्हें अपनी फसल के उचित दाम प्राप्त करने में कठिनाई होती है।
सबसे बड़ी बात यह है कि इस तरह की चर्चा से तेल-तिलहन उद्योग की कारोबारी धारणा खराब होती है, जिससे अंततः आयात पर निर्भरता बढ़ती जाती है। यदि रिटेल दामों में कमी नहीं आई, तो यह स्थिति किसानों और उद्योग दोनों के लिए हानिकारक साबित होगी।
तेल-तिलहनों के भाव
सरसों तिलहन: 6,400-6,450 रुपये प्रति क्विंटल
मूंगफली: 6,300-6,575 रुपये प्रति क्विंटल
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात): 14,800 रुपये प्रति क्विंटल
मूंगफली रिफाइंड तेल: 2,250-2,550 रुपये प्रति टिन
सरसों तेल दादरी: 13,100 रुपये प्रति क्विंटल
सरसों पक्की घानी: 2,115-2,215 रुपये प्रति टिन
सरसों कच्ची घानी: 2,115-2,230 रुपये प्रति टिन
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर: 12,650 रुपये प्रति क्विंटल
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला: 9,600 रुपये प्रति क्विंटल
सीपीओ एक्स-कांडला: 11,950 रुपये प्रति क्विंटल
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा): 12,200 रुपये प्रति क्विंटल
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली: 13,325 रुपये प्रति क्विंटल
पामोलिन एक्स-कांडला (बिना जीएसटी के): 12,275 रुपये प्रति क्विंटल
सोयाबीन दाना: 4,650-4,695 रुपये प्रति क्विंटल
सोयाबीन लूज: 4,350-4,585 रुपये प्रति क्विंटल
मक्का खल (सरिस्का): 4,200 रुपये प्रति क्विंटल