महंगाई का प्रभाव: FMCG कंपनियों को खाद्य मुद्रास्फीति और बढ़ती उत्पादन लागत से मार्जिन में गिरावट का सामना करना पड़ रहा है। साबुन, तेल, टूथपेस्ट और ग्रोसरी जैसे रोजमर्रा के सामान की कीमतों में वृद्धि की आशंका है, जिसका असर दूसरी तिमाही के वित्तीय परिणामों पर भी पड़ रहा है। पाम ऑयल, कॉफी और कोको जैसे कच्चे माल की कीमतें हाल ही में तेजी से बढ़ी हैं, जिससे कंपनियों की उत्पादन लागत में इजाफा हो रहा है।
नई दिल्ली: हिंदुस्तान यूनिलीवर, गोदरेज, मैरिको और आईटीसी जैसी फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) कंपनियों ने उपभोक्ताओं को महंगाई का झटका देने की तैयारी कर ली है। खाद्य मुद्रास्फीति और बढ़ती उत्पादन लागत के कारण साबुन, तेल, टूथपेस्ट और ग्रोसरी जैसे रोजमर्रा के सामान के मार्जिन पर गंभीर प्रभाव पड़ा है, जो कंपनियों के दूसरी तिमाही के वित्तीय नतीजों में भी स्पष्ट दिखाई दे रहा है।
अगर कच्चे माल की लागत प्रबंधन के लिए मुश्किल बनी रहती है, तो कीमतों में वृद्धि不可避 हो सकती है। कॉफी और कोको की कीमतों में वृद्धि ने कंपनियों को और भी चुनौती दी है, जिससे वे मुश्किल परिस्थितियों का सामना कर रही हैं।
FMCG कंपनियों की लागत में वृद्धि के पीछे मुख्य कारण
पाम ऑयल, कॉफी और कोको जैसे कच्चे माल के दाम में भारी उछाल है। हाल के दिनों में इन उत्पादों की कीमतों में तेजी आई है, जिससे कंपनियों की मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट बढ़ गई है। इस स्थिति का सामना करते हुए, कुछ कंपनियां अपने उत्पादों की कीमतें बढ़ाने पर विचार कर रही हैं।
हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL), गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (GCPL), मैरिको, आईटीसी और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (TCPL) ने शहरी खपत में कमी को लेकर चिंता व्यक्त की है, क्योंकि FMCG सेक्टर की कुल बिक्री में शहरी खपत की हिस्सेदारी 65-68 प्रतिशत रहती है। बढ़ती लागत और घटती मांग के बीच कंपनियों को संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती खपत की प्रवृत्ति
गांवों में खपत में वृद्धि की तुलना में शहरी क्षेत्रों में मांग में कमी देखने को मिल रही है। जीसीपीएल के एमडी और सीईओ सुधीर सीतापति ने दूसरी तिमाही के नतीजों की घोषणा करते हुए कहा, "हमें लगता है कि यह एक अल्पकालिक झटका है और हम विवेकपूर्ण मूल्य वृद्धि और लागत को स्थिर करके मार्जिन को ठीक कर लेंगे।"
ग्रामीण बाजार, जो पहले कमजोर थे, अब शहरी बाजारों की तुलना में बेहतर वृद्धि की रफ्तार बनाए रखे हुए हैं। दूसरी ओर, एफएमसीजी कंपनी डाबर इंडिया ने भी चुनौतीपूर्ण मांग के माहौल का उल्लेख किया है, जिसमें उच्च खाद्य मुद्रास्फीति और शहरी मांग में कमी शामिल है। डाबर का सितंबर तिमाही में एकीकृत शुद्ध लाभ 17.65 प्रतिशत घटकर 417.52 करोड़ रुपये रह गया, जबकि कंपनी की परिचालन आय 5.46 प्रतिशत घटकर 3,028.59 करोड़ रुपये रही है।