Union Budget 2025: केंद्रीय बजट 2025 के समय में बदलाव, जानिए इनसे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें

Union Budget 2025: केंद्रीय बजट 2025 के समय में बदलाव, जानिए इनसे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें
Last Updated: 3 घंटा पहले

केंद्रीय बजट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है, जो सरकारी खर्च और सार्वजनिक सेवाओं की योजना तैयार करता है। इस साल 01 फरवरी को बजट पेश होगा। 10 बिंदुओं में जानें।

Budget 2025: भारत की आर्थिक नीतियों को आकार देने वाला केंद्रीय बजट 01 फरवरी को पेश किया जाएगा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में इस बजट को पेश करेंगी। यह बजट आगामी वित्तीय वर्ष के लिए अनुमानित आय और व्यय का रेखांकन करता है, जो सरकार की योजनाओं और देश के नागरिकों पर असर डालता है।

बजट की समयसीमा और प्रक्रिया

केंद्रीय बजट हर साल 01 फरवरी को पेश किया जाता है, जिससे आगामी वित्तीय वर्ष की शुरुआत होती है। यह 1 अप्रैल से शुरू होकर अगले साल 31 मार्च तक चलता है। बजट को संसद के पटल पर रखा जाता है और मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद वित्त मंत्री इसे पेश करती हैं। चुनावी वर्षों में बजट दो हिस्सों में पेश होता है: अंतरिम बजट और पूर्ण बजट।

बजट का समय क्यों बदला?

वर्ष 1998 तक केंद्रीय बजट शाम 5 बजे पेश किया जाता था। लेकिन 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय बजट पेश करने का समय बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया गया। इस बदलाव के पीछे सरकार का मानना था कि यह समय चर्चा और कार्यान्वयन के लिए अधिक व्यावहारिक है।

1 फरवरी को बजट पेश करने की परंपरा

साल 2017-18 से केंद्रीय बजट को 1 फरवरी को पेश करने की परंपरा शुरू की गई। इसके साथ ही, रेलवे बजट को अलग से पेश करने की दशकों पुरानी परंपरा को समाप्त कर दिया गया।

बजट का उद्देश्य और संरचना

केंद्रीय बजट के माध्यम से विभिन्न सरकारी मंत्रालयों और विभागों को धन आवंटित किया जाता है। इसमें रक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, बुनियादी ढांचे, और सब्सिडी जैसे क्षेत्रों के लिए फंड की व्यवस्था की जाती है। केंद्रीय बजट दो भागों में विभाजित होता है: राजस्व बजट और पूंजी बजट।

1. राजस्व बजट में सरकार के दैनिक खर्चों जैसे परिचालन व्यय, वेतन, पेंशन, और नियमित सेवाओं की जानकारी दी जाती है।
2. पूंजी बजट का उद्देश्य दीर्घकालिक निवेशों पर केंद्रित होता है, जैसे बुनियादी ढांचे का विकास, शैक्षिक परियोजनाएं और स्वास्थ्य सेवा पहल।

राजकोषीय घाटा

अगर पूंजीगत व्यय राजस्व बजट से अधिक होता है, तो राजकोषीय घाटा उत्पन्न होता है। यह देश की वित्तीय स्थिति को प्रभावित करता है और सरकार के लिए चुनौती पेश करता है।

बजट की तैयारी

बजट की तैयारी में विभिन्न सरकारी विभागों, विशेषज्ञों और अन्य हितधारकों के साथ व्यापक चर्चा की जाती है। इन बैठकों में राष्ट्र की जरूरतों और प्राथमिकताओं पर विचार किया जाता है, ताकि बजट को देश की वास्तविक स्थिति के अनुरूप तैयार किया जा सके।

बजट का प्रभाव

केंद्रीय बजट केवल सरकार के खर्चों का हिसाब नहीं बल्कि देश की आर्थिक नीतियों को आकार देने का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। यह बजट न केवल सरकारी खर्चों और योजनाओं को प्रभावित करता है, बल्कि देश के आम नागरिकों को भी प्रभावित करता है, जैसे कर व्यवस्था, लोक कल्याण योजनाएं, और आर्थिक विकास के विभिन्न पहलू।

इस प्रकार, केंद्रीय बजट भारत की समग्र आर्थिक दिशा को निर्धारित करता है और आगामी वित्तीय वर्ष के लिए योजनाओं का खाका तैयार करता है।

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