ॐ जय नरसिंह हरे
प्रभु जय नरसिंह हरे।
स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे,
स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे,
जनका ताप हरे ॥
ॐ जय नरसिंह हरे॥
तुम हो दिन दयाला,
भक्तन हितकारी,
प्रभु भक्तन हितकारी।
अद्भुत रूप बनाकर,
अद्भुत रूप बनाकर,
प्रकटे भय हारी ॥
ॐ जय नरसिंह हरे॥
सबके ह्रदय विदारण,
दुस्यु जियो मारी,
प्रभु दुस्यु जियो मारी।
दास जान आपनायो,
दास जान आपनायो,
जनपर कृपा करी ॥
ॐ जय नरसिंह हरे॥
ब्रह्मा करत आरती,
माला पहिनावे,
प्रभु माला पहिनावे।
शिवजी जय जय कहकर,
पुष्पन बरसावे ॥
ॐ जय नरसिंह हरे॥