Kumbh Sankranti 2025: कब और क्यों मनाई जाती हैं कुंभ संक्रांति? जानिए स्नान-दान का महत्व और मुहूर्त

Kumbh Sankranti 2025: कब और क्यों मनाई जाती हैं कुंभ संक्रांति? जानिए स्नान-दान का महत्व और मुहूर्त
अंतिम अपडेट: 2 घंटा पहले

कुंभ संक्रांति का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इस दिन सूर्य देवता कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं, जो शनि की राशि है। शनि देव सूर्य के पुत्र माने जाते हैं, इसलिए कुंभ संक्रांति पर पिता और पुत्र का मिलन होता है, जो इसे अत्यधिक महत्वपूर्ण बनाता है। धार्मिक दृष्टिकोण से, इस दिन तीर्थ स्थलों पर स्नान, दान, तर्पण और अन्य पूजा अनुष्ठान किए जाते हैं, जो व्यक्ति को अपार पुण्य और शांति प्रदान करते हैं। 

कहा जाता है कि इस दिन किए गए अच्छे कर्मों का फल हमेशा के लिए मिलता है और व्यक्ति के जीवन में शनि के प्रभाव से होने वाली कठिनाइयों का निवारण होता हैं। 

कब हैं कुंभ संक्रांति?

कुंभ संक्रांति का महत्व हिन्दू धर्म में बहुत अधिक है। 12 फरवरी 2025, बुधवार को मनाई जाने वाली कुंभ संक्रांति विशेष रूप से महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि इस दिन सूर्य कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे, जो शनि देवता की राशि मानी जाती है। इस तिथि को एक विशेष शुभ संयोग बनता है, जिसमें सूर्य और शनि का मिलन होता है, जिससे खास लाभ की प्राप्ति होती हैं। 

* कुम्भ संक्रान्ति पुण्य काल - दोपहर 12:35 - शाम 06:09 (अवधि - 05 घण्टे 34 मिनट्स)

* कुम्भ संक्रान्ति महा पुण्य काल - शाम 04:18 - शाम 06:09 (अवधि - 01 घण्टा 51 मिनट्स)

क्यों मनाई जाती हैं कुंभ संक्रांति?

कुंभ संक्रांति विशेष रूप से सूर्य के राशि परिवर्तन के कारण मनाई जाती है। इस दिन सूर्य मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं। इसे सूर्य के पर्व के रूप में मनाना जाता है, और यह दिन विशेष रूप से शनि देवता से जुड़ा हुआ है। कुंभ संक्रांति पर सूर्य देवता की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य की पूजा करने से व्यक्ति को न केवल धार्मिक बल्कि मानसिक और शारीरिक लाभ भी मिलते हैं।

सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है और उनके द्वारा दी गई ऊर्जा जीवन के हर पहलू को प्रभावित करती है। इस दिन सूर्य पूजन से सफलता प्राप्ति की संभावना बढ़ती है और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है। सूर्य देवता की पूजा करने से व्यक्ति की आयु लंबी होती है और कई प्रकार के जीवन के दोष, जैसे शनि के कष्ट, समाप्त हो जाते हैं। इसके साथ ही जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति मिलती हैं। 

संक्रांति पर्व पर विशेष रूप से नदियों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और इसे ब्रह्म लोक की प्राप्ति का मार्ग माना जाता है। यह पुण्य और आत्मिक शुद्धि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता हैं। 

कुंभ संक्रांति का महत्व 

* सूर्य पूजा: इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में सूर्य की पूजा और अर्घ्य देने से विशेष रूप से आत्मिक उन्नति और मानसिक शांति मिलती है। सूर्य को आत्मा का कारक माना जाता है, और सूर्य की पूजा से जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं।

* दोषों से मुक्ति: सूर्य देवता की पूजा और विशेष रूप से कुंभ संक्रांति पर सूर्य के आशीर्वाद से जीवन के अनेक दोष दूर होते हैं। यह व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है।

* पुण्य की प्राप्ति: कुंभ संक्रांति पर नदियों, खासकर पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति को ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है। साथ ही, यह पुण्य और आशीर्वाद का दिन माना जाता है।

* दान और तर्पण: इस दिन विशेष रूप से दान और तर्पण का महत्व होता है। लोग विशेष रूप से ब्राह्मणों को दान देते हैं और अपने पूर्वजों को तर्पण करते हैं, जिससे उनका जीवन सुखमय और कष्टों से मुक्त हो जाता हैं। 

कुंभ संक्रांति की पूजा विधि 

* कुंभ संक्रांति पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा में स्नान करना अत्यधिक पुण्यकारी माना जाता है। यह समय मानसिक शुद्धि और आत्मिक उन्नति के लिए सबसे अच्छा होता है।

* स्नान के बाद गंगा जल और तिल मिलाकर भगवान सूर्य को अर्घ्य देना, और फिर काले तिल और कुश मिलाकर पितरों का तर्पण करना, दोनों ही कार्य पितृ दोषों को समाप्त करने के लिए किए जाते हैं।

* शनि देव की प्रसन्नता के लिए काली गाय और कुत्ते को भोजन खिलाना एक अच्छी परंपरा है, जो शनि के प्रभाव से मुक्ति पाने में मदद करता है।

* सूर्य देव के 108 नामों का जाप और सूर्य चालीसा का पाठ करने से उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख, समृद्धि और लंबी उम्र मिलती है।

* दान का महत्व कुंभ संक्रांति पर विशेष रूप से बढ़ जाता है। कंबल, गेहूं, घी, गुड़, चप्पल और वस्त्रों का दान गरीबों या पंडितों को करना पुण्यकारी माना जाता है। यह न केवल दाता के लिए बल्कि प्राप्तकर्ता के लिए भी लाभकारी होता है।

* बिना तेल-घी और तिल-गुड़ से बनी चीजें खाना, शरीर और मन को शुद्ध रखने के लिए सही आहार की ओर संकेत करता है, जो संक्रांति के दिन सेहत के लिए भी अच्छा होता हैं। 

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