22 मई 2025, दिन गुरुवार, धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से एक विशेष दिन है। इस दिन ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि है, जो अगले दिन 23 मई की प्रातः 1:12 बजे तक रहेगी। ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति, बनते शुभ-अशुभ योग और पंचक की उपस्थिति इस दिन को और भी अधिक महत्वपूर्ण बना रही है। ऐसे में आइए विस्तार से जानते हैं आज का संपूर्ण पंचांग, राहुकाल, शुभ मुहूर्त, ग्रहों की स्थिति, और आज के दिन क्या करें व क्या न करें।
22 मई 2025 का विस्तृत पंचांग
- तिथि: दशमी (ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष)
- दिन: गुरुवार
- नक्षत्र: पूर्व भाद्रपद (प्रातः 5:27 से शाम 6:58 तक), इसके पश्चात उत्तर भाद्रपद
- योग: विष्कंभ योग (प्रातः 5:27 से शाम 5:57 तक), फिर प्रीति योग
- करण: वणिज (दोपहर 2:21 तक), इसके बाद विष्टि
- पंचक: पूरे दिन
- भद्रा काल: दोपहर 2:21 बजे से 23 मई प्रातः 1:12 तक
- सूर्य और चंद्रमा की स्थिति
- सूर्योदय: प्रातः 5:27
- सूर्यास्त: सायं 7:09
- चंद्रोदय: प्रातः 2:23
- चंद्रास्त: दोपहर 1:59
- चंद्र राशि: कुंभ
अशुभ समय (राहुकाल व अन्य योग)
- राहुकाल: दोपहर 2:01 से 3:44 तक
- यमगण्ड काल: सुबह 5:27 से 7:10 तक
- गुलिक काल: सुबह 8:52 से 10:35 तक
- आडल योग: सुबह 5:27 से शाम 6:58 तक
- विडाल योग: सुबह 5:27 से शाम 5:57 तक
टिप: इन समयों में किसी भी प्रकार का शुभ कार्य करने से परहेज करें। विशेष रूप से राहुकाल और भद्रा काल में विवाह, नया व्यवसाय, वाहन खरीद आदि कार्य वर्जित माने जाते हैं।
शुभ योग व मुहूर्त
22 मई को पंचक और भद्रा काल के चलते कोई बड़ा शुभ कार्य करने की अनुशंसा नहीं की जाती है। हालांकि, व्रत, दान, पूजा और तपस्या जैसे धार्मिक कार्य इन योगों में किए जा सकते हैं। विष्कंभ योग किसी भी प्रकार के कठोर निर्णय, राजनीति या प्रशासनिक कार्यों के लिए उपयुक्त माना जाता है।
ग्रहों की चाल और उनका प्रभाव
- सूर्य: वृषभ
- चंद्रमा: कुंभ
- मंगल: कर्क
- बुध: मेष
- गुरु (बृहस्पति): मिथुन
- शुक्र: मीन
- शनि: मीन
- राहु: कुंभ
- केतु: सिंह
इन ग्रह स्थितियों का प्रभाव विभिन्न राशियों पर पड़ेगा, विशेषकर वृषभ, कुंभ और मीन राशि के जातकों को मानसिक एवं आर्थिक रूप से सतर्क रहने की आवश्यकता है। गुरुवार को गुरु ग्रह का विशेष प्रभाव होता है, अतः इस दिन आध्यात्मिक गतिविधियों से लाभ होगा।
गुरुवार का महत्व व पूजा विधि
गुरुवार को भगवान बृहस्पति की पूजा करने का विधान है। साथ ही भगवान विष्णु की आराधना से भी विशेष पुण्य मिलता है। इस दिन केले के पेड़ की पूजा कर जल चढ़ाना और केले का दान करना विशेष फलदायी माना गया है।
- प्रातः स्नान के पश्चात पीले वस्त्र धारण करें।
- हल्दी व केसर का तिलक लगाएं।
- भगवान बृहस्पति और श्रीहरि विष्णु को पीले पुष्प अर्पित करें।
- पीली मिठाई, चने की दाल या केला दान करें।
क्या करें?
- हल्दी और केसर का तिलक करें – सौंदर्य और आकर्षण में वृद्धि होती है।
- पीले वस्त्र पहनें और पीले रंग के खाद्य पदार्थ का सेवन करें।
- केले के पेड़ की पूजा करें और केले का दान करें।
- धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें, विशेषकर “विष्णु सहस्रनाम”।
- बृहस्पति ग्रह के बीज मंत्र ॐ बृं बृहस्पते नमः का जाप करें।
क्या न करें?
- काले और नीले रंग के कपड़े पहनने से परहेज करें।
- इस दिन सिलाई-कढ़ाई जैसे कार्य न करें, विशेषकर महिलाएं।
- पूजा-पाठ का सामान जैसे धूप, अगरबत्ती, मूर्ति आदि इस दिन न खरीदें।
- पंचक में लकड़ी, घास, चारपाई, ईंधन से संबंधित क्रय-विक्रय या निर्माण न करें।
- मृत शरीर को दक्षिण दिशा में नहीं ले जाएं (पंचक में वर्जित)।
यदि आप किसी बड़े कार्य की योजना बना रहे हैं, तो पंचक समाप्त होने के बाद ही शुभ मुहूर्त में आरंभ करें। आज के दिन स्नान-दान का विशेष महत्व है। धर्म और आध्यात्मिक साधना से जुड़े कार्य आपको सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करेंगे। 22 मई 2025 का दिन धार्मिक रूप से अत्यंत शुभ है, परंतु पंचक और भद्रा काल के कारण कुछ कार्यों में सावधानी बरतनी होगी।
ग्रहों की स्थिति भी संकेत दे रही है कि आज मानसिक शांति और पारिवारिक समरसता के लिए आदर्श दिन है। इसलिए दिन का अधिकतम लाभ लेने हेतु पूजा, व्रत और दान जैसे सत्कर्म करें।