Dattatreya Jayanti 2024: कब है दत्तात्रेय जयंती? जानें भगवान दत्तात्रेय का महत्व और पूजा विधि

Dattatreya Jayanti 2024: कब है दत्तात्रेय जयंती? जानें भगवान दत्तात्रेय का महत्व और पूजा विधि
Last Updated: 14 दिसंबर 2024

दत्तात्रेय जयंती हर साल मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस साल, यह पर्व आज, 14 दिसंबर 2024, शनिवार को मनाया जाएगा। दत्तात्रेय भगवान को कलयुग के भगवान और त्रिदेव के अवतार के रूप में पूजा जाता है। इस दिन का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसे भगवान दत्तात्रेय के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनकी पूजा से पितृ दोष से मुक्ति, साथ ही जीवन के तमाम कष्टों से छुटकारा पाने की मान्यता हैं।

कौन हैं भगवान दत्तात्रेय?

भगवान दत्तात्रेय को परब्रह्म, सद्गुरु और श्रीगुरुदेवदत्त के रूप में पूजा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, दत्तात्रेय भगवान त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) के एकत्रित रूप हैं। वे केवल आध्यात्मिक गुरु रहे हैं, बल्कि उन्हें प्राकृतिक तत्वों और जीव-जंतुओं से भी ज्ञान प्राप्त हुआ था। उनके कुल 24 गुरु थे, जिनमें पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, सूर्य, चंद्रमा, समुद्र जैसे प्राकृतिक तत्व, और पतंगा, मछली, हाथी जैसे जीव-जन्तु शामिल थे।

भगवान दत्तात्रेय का जन्म कैसे हुआ?

भगवान दत्तात्रेय का जन्म महर्षि अत्रि और उनकी पत्नी सती अनुसूया से हुआ था। भगवान विष्णु ने महर्षि अत्रि और अनुसूया की अभिलाषा के अनुसार, दत्तात्रेय रूप में अवतार लिया। दत्तात्रेय के तीन सिर और छह भुजाएं हैं, जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समवाय को दर्शाते हैं। उनकी इस अद्वितीय रूप की पूजा उनके भक्तों द्वारा विशेष रूप से की जाती हैं।

दत्तात्रेय जयंती का महत्व

दत्तात्रेय जयंती को लेकर मान्यता है कि इस दिन भगवान दत्तात्रेय का पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही, पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए इस दिन विशेष पूजा की जाती है। भगवान दत्तात्रेय के मंत्रों का जप करने से व्यक्ति की आत्मिक उन्नति होती है, और उसे विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन पूजा करने से जीवन के तमाम कष्ट समाप्त हो जाते हैं।

दत्तात्रेय जयंती 2024 की पूजा विधि

·       स्नान और संकल्प प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें। उसके बाद व्रत और पूजा का संकल्प लें।

·       पूजा स्थल तैयार करें एक स्वच्छ स्थान पर एक पटिया रखें और उसके ऊपर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान दत्तात्रेय की प्रतिमा स्थापित करें।

·       तिलक और फूलों से पूजा सबसे पहले भगवान को कुंकुम से तिलक करें, फिर फूल और माला अर्पित करें।

·       दीपक जलाना शुद्ध घी का दीपक जलाएं और भगवान की पूजा शुरू करें।

·       मंत्र जप हाथ में फूल लेकर, नीचे लिखे मंत्र का जाप करें और भगवान को अर्पित करें: "ऊं अस्य श्री दत्तात्रेय स्तोत्र मंत्रस्य भगवान नारद ऋषि: अनुष्टुप छन्द:,

·       श्री दत्त परमात्मा देवता, श्री दत्त प्रीत्यर्थे जपे विनोयोग:"

·       चढ़ावा अर्पित करें गुलाल, अबीर, चंदन, और अन्य सामग्री भगवान को चढ़ाएं। अपनी इच्छानुसार भोग अर्पित करें और आरती करें।

·       मंत्र जाप यदि संभव हो तो इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें।

दत्तात्रेय जयंती का आध्यात्मिक महत्व

दत्तात्रेय जयंती केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति में भी सहायक है। इस दिन पूजा करके व्यक्ति अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का अनुभव करता है। साथ ही, यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, जो पितृ दोष से ग्रस्त हैं, क्योंकि भगवान दत्तात्रेय की पूजा से पितृदोष का नाश होता है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।

इस दिन भगवान दत्तात्रेय की पूजा करने से केवल पितृ दोष से मुक्ति मिलती है, बल्कि जीवन के तमाम विघ्नों का नाश होता है। दत्तात्रेय जयंती का पर्व एक शुभ अवसर है, जब हम अपने जीवन में अध्यात्मिक उन्नति की ओर एक कदम और बढ़ सकते हैं। साथ ही, भगवान दत्तात्रेय के उपदेशों को अपने जीवन में उतारने से हम सच्चे ज्ञान की ओर अग्रसर हो सकते हैं।

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