Magh Purnima 2025: कब है माघ पूर्णिमा? जानिए इसका धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व, माघ पूर्णिमा पर किए जाने वाले शुभ कार्य

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माघ पूर्णिमा हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास का अंतिम दिन होता है और इसे विशेष रूप से धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्णता के साथ आकाश में दिखाई देता है, जो इसे "पूर्णिमा" बनाता है। माघ पूर्णिमा का दिन विशेष रूप से पुण्य अर्जन के लिए जाना जाता है, और इसे गंगा स्नान, दान-पुण्य, जप-तप, और अन्य धार्मिक कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना जाता हैं।

कब है माघ पूर्णिमा?

हिन्दू धर्म में माघ पूर्णिमा का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है, और इस दिन का महत्व इस वर्ष विशेष रूप से बढ़ गया है क्योंकि यह महाकुंभ के दौरान मनाई जा रही है। माघ पूर्णिमा का दिन खासतौर पर गंगा स्नान, दान-पुण्य, और जप-तप के लिए प्रसिद्ध है, क्योंकि इसे पुण्य और आत्मिक शुद्धि का दिन माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और वह धार्मिक दृष्टि से शुद्ध हो जाता है। इसके अलावा, इस दिन किया गया जप, ध्यान और साधना व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं।

इस वर्ष माघ पूर्णिमा 11 फरवरी की शाम 6 बजकर 55 मिनट से प्रारंभ होकर 12 फरवरी की शाम 7 बजकर 22 मिनट तक रहेगी, और उदया तिथि के अनुसार इसे 12 फरवरी को मनाया जाएगा। महाकुंभ के आयोजन के कारण इस पर्व का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है, खासकर प्रयागराज स्थित त्रिवेणी संगम पर लाखों श्रद्धालु अपनी आस्था की डुबकी लगाने के लिए एकत्रित होंगे। महाकुंभ के दौरान माघ पूर्णिमा के दिन स्नान करने से अत्यधिक पुण्य की प्राप्ति होती है और यह दिन मोक्ष के लिए भी विशेष माना जाता हैं।

माघ पूर्णिमा का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व

माघ पूर्णिमा का दिन हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व रखता है, क्योंकि यह न केवल माघ माह का अंतिम दिन होता है, बल्कि इसके साथ कई धार्मिक और ज्योतिषीय विशेषताएँ जुड़ी होती हैं। इस दिन चंद्रमा अपनी संपूर्ण कलाओं के साथ आकाश में स्थित होता है, जो इसे आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष बनाता है। माघ पूर्णिमा के दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं, जबकि चंद्रमा कर्क राशि में रहता है, जिससे यह खगोलीय संयोग उत्पन्न होता है, जो व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद करता हैं।

धार्मिक दृष्टि से माघ पूर्णिमा पर गंगा स्नान का अत्यधिक महत्व है, क्योंकि इस दिन को लेकर मान्यता है कि देवगण स्वयं गंगा नदी में स्नान करने के लिए पृथ्वी पर आते हैं। इसलिए इस दिन गंगा में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति के जीवन में शांति व समृद्धि का वास होता है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी यह कहा गया है कि इस दिन भगवान विष्णु स्वयं गंगा जल में निवास करते हैं, जिससे गंगा स्नान करने से विशेष कृपा मिलती हैं।

इसके अतिरिक्त, माघ पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है। इस दिन अन्न, वस्त्र और जरूरतमंदों को आवश्यक वस्तुएं दान करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और उसके पूर्व जन्मों के पाप समाप्त होते हैं। इस दिन पूजा, जप और ध्यान करने से मानसिक शांति मिलती है और आत्मिक उन्नति की दिशा प्राप्त होती हैं।

इसलिए, माघ पूर्णिमा का पर्व ना केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक खगोलीय और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक प्रभाव डालने वाला होता हैं।

माघ पूर्णिमा पर किए जाने वाले शुभ कार्य

माघ पूर्णिमा के दिन किए गए विशेष धार्मिक कर्मों से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है और उसके जीवन में सुख-शांति आती है। इस दिन के लिए प्रमुख शुभ कार्य इस प्रकार हैं:

1. स्नान: माघ पूर्णिमा के दिन गंगा, यमुना, सरस्वती या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। इससे शारीरिक और मानसिक शुद्धि होती है और व्यक्ति के पापों का नाश होता हैं।

2. दान: इस दिन विशेष रूप से जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, तिल, गुड़, आंवला और घी का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। दान से न केवल इस जीवन में सुख-संपत्ति आती है, बल्कि पूर्व जन्मों के पाप भी समाप्त होते हैं।

3. भगवान विष्णु और हनुमान जी की पूजा: माघ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से धन, सुख और समृद्धि प्राप्त होती है। वहीं, हनुमान जी की पूजा से भय, संकट और नकारात्मकता का नाश होता है। हनुमान जी के आशीर्वाद से शारीरिक और मानसिक बल मिलता हैं।

4. व्रत और जप: इस दिन व्रत रखना और विशेष रूप से 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इस मंत्र का जाप करने से मानसिक शांति, भगवान की कृपा और आत्मिक उन्नति होती हैं।

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