Pradosh Vrat 2025: शिव जी की पूजा से मिलेगा जीवन में सुख और समृद्धि, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Pradosh Vrat 2025: शिव जी की पूजा से मिलेगा जीवन में सुख और समृद्धि, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
Last Updated: 6 घंटा पहले

Pradosh Vrat: हर महीने की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा के लिए किया जाता है, जो उनके भक्तों को मानसिक शांति, सुख, और समृद्धि प्रदान करता है। प्रदोष व्रत का आयोजन न केवल भक्तों को भगवान शिव की कृपा का पात्र बनाता है, बल्कि उनके जीवन से समस्त कष्ट भी दूर हो जाते हैं। इस वर्ष, 11 जनवरी 2025 को पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर पहला प्रदोष व्रत मनाया जाएगा। यह दिन भगवान शिव की पूजा के लिए बेहद श्रेष्ठ और फलदायी माना जाता हैं।

प्रदोष व्रत महत्व और विधि

प्रदोष व्रत हर महीने दो बार मनाया जाता है—एक बार शुक्ल पक्ष में और एक बार कृष्ण पक्ष में। प्रदोष व्रत के दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा की जाती है, जो व्रति को पुण्य प्रदान करने के साथ-साथ उनकी अनुकंपा भी प्राप्त कराते हैं। इस दिन, प्रदोष काल (शाम के समय) में पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और मानसिक शांति का वास होता हैं।

प्रदोष व्रत की पूजा विधि के अनुसार, इस दिन विशेष रूप से नटराज स्तुति का पाठ करने की परंपरा है। नटराज की पूजा से सभी प्रकार के संकट समाप्त होते हैं और जीवन में खुशहाली आती है। नटराज को तांडव नृत्य का आचार्य माना जाता है, और उनके ध्यान से हर समस्या का समाधान होता हैं।

प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा का समय

इस बार प्रदोष व्रत का आयोजन 11 जनवरी 2025 को होगा। पूजा का विशेष मुहूर्त प्रदोष काल में शाम 05:43 बजे से लेकर 08:26 बजे तक रहेगा। यह समय विशेष रूप से व्रति के लिए शुभ माना जाता हैं।

प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त

•    समय: शाम 05:43 बजे से 08:26 बजे तक
•    तिथि: 11 जनवरी 2025
•    समाप्ति: 12 जनवरी 2025, सुबह 06:33 बजे

नटराज स्तुति का महत्व

भगवान शिव के नटराज रूप की पूजा से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है। नटराज की पूजा से व्रति की सारी इच्छाएं पूरी होती हैं और वह हर तरह के संकटों से मुक्त हो जाता है। नटराज स्तुति का पाठ इस दिन विशेष रूप से किया जाता है, जो फलदायी होता है। इसके कुछ प्रमुख मंत्र इस प्रकार हैं।

नटराज स्तुति मंत्र

सत सृष्टि तांडव रचयिता नटराज राज नमो नम
हे आद्य गुरु शंकर पिता, नटराज राज नमो नम
गंभीर नाद मृदंगना, धबके उरे ब्रह्माडना
नित होत नाद प्रचंडना, नटराज राज नमो नम
शिर ज्ञान गंगा चंद्रमा, चिद्ब्रह्म ज्योति ललाट मां
विषनाग माला कंठ मां, नटराज राज नमो नम

शिव मंत्रों का जाप और उनका लाभ

प्रदोष व्रत के दौरान भगवान शिव के मंत्रों का जाप भी अत्यंत लाभकारी होता है। शिव मंत्रों का जप करने से व्यक्ति को शांति और समृद्धि प्राप्त होती है, और उनका जीवन हर प्रकार के संकट से मुक्त हो जाता हैं।

शिव मंत्र
ॐ नमः शिवाय
महामृत्युञ्जय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्

शिव गायत्री मंत्र:
ॐ महादेवाय विद्महे रुद्रमूर्तये धीमहि
तन्नः शिवः प्रचोदयात्
इन मंत्रों का जाप विशेष रूप से प्रदोष व्रत के दिन किया जाता है, जो व्रति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने में सहायक होता हैं।

प्रदोष व्रत के लाभ

•    प्रदोष व्रत के दौरान भगवान शिव की पूजा से कई लाभ होते हैं।
•    शिव जी की कृपा: इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से उनके भक्तों पर उनकी विशेष कृपा बनी रहती हैं।
•    सुख-समृद्धि: प्रदोष व्रत से व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि आती हैं।
•    मानसिक शांति: यह व्रत मानसिक शांति प्राप्त करने में मदद करता है और जीवन के तनाव को कम करता हैं।
•    दुखों का नाश: प्रदोष व्रत से जीवन के कष्ट और समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।

प्रदोष व्रत एक अद्भुत अवसर

प्रदोष व्रत भगवान शिव की पूजा करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह व्रत न केवल व्यक्तिगत सुख और समृद्धि लाने में सहायक है, बल्कि यह व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से भी सशक्त बनाता है। नटराज स्तुति का पाठ और शिव मंत्रों का जाप इस दिन को और भी अधिक शुभ और फलदायी बनाता हैं।

इस दिन की पूजा विधि और मंत्रों का जाप करके हम न केवल अपने पापों से मुक्ति प्राप्त करते हैं, बल्कि सुख और समृद्धि के मार्ग पर भी अग्रसर होते हैं। प्रदोष व्रत, भगवान शिव की पूजा करने का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अवसर है, जो जीवन में संतुलन, समृद्धि और शांति लाने में मदद करता हैं।

प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा और अर्चना से जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। यह व्रत विशेष रूप से पुण्य और शिव जी की अनुकंपा प्राप्त करने का सबसे उत्तम अवसर हैं।

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