मूर्ख बातूनी कछुआ की कहानी, बेहतरीन ज्ञानवर्धक कहानी

मूर्ख बातूनी कछुआ की कहानी, बेहतरीन ज्ञानवर्धक कहानी
Last Updated: 21 जून 2024

एक समय की बात है, एक तालाब में एक कछुआ रहता था। उसी तालाब में दो हंस तैरने के लिए आते थे। हंस बहुत हंसमुख और मिलनसार थे। उनकी और कछुए की दोस्ती हो गई। हंसों को कछुए का धीमे-धीमे चलना और उसका भोलापन बहुत अच्छा लगता था। हंस बहुत ज्ञानी थे और कछुए को अद्भुत बातें और ॠषि-मुनियों की कहानियाँ सुनाते थे। वे दूर-दूर तक घूमते थे और दूसरी जगहों की अनोखी बातें भी कछुए को बताते थे। कछुआ मंत्रमुग्ध होकर उनकी बातें सुनता। सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन कछुए की एक बुरी आदत थी कि वह बातों के बीच में टोका-टाकी करता था। अपने सज्जन स्वभाव के कारण हंस उसकी इस आदत का बुरा नहीं मानते थे। उनकी घनिष्‍ठता बढ़ती गई।

समय बीतता गया। एक बार बहुत बड़ा सूखा पड़ा। बरसात के मौसम में भी एक बूंद पानी नहीं बरसा। तालाब का पानी सूखने लगा और जीव-जंतु मरने लगे, मछलियाँ तड़प-तड़पकर मर गईं। तालाब का पानी तेजी से सूखने लगा और एक समय ऐसा आया कि तालाब में केवल कीचड़ बचा। कछुआ बड़े संकट में पड़ गया। उसके लिए जीवन-मरण का प्रश्न खड़ा हो गया। हंस अपने मित्र पर आए संकट को दूर करने का उपाय सोचने लगे। वे अपने मित्र कछुए को समझाते और हिम्मत न हारने की सलाह देते।

 

हम नहीं दे हे सिर्फ झूठा दिलासा 

हंस सिर्फ झूठा दिलासा नहीं दे रहे थे। वे दूर-दूर तक उड़कर समस्या का हल ढूंढते। एक दिन लौटकर हंसों ने कहा, "मित्र, यहां से पचास कोस दूर एक झील है जिसमें काफी पानी है। तुम वहां मजे से रहोगे।" कछुआ रोनी आवाज में बोला, "पचास कोस? इतनी दूर जाने में मुझे महीनों लगेंगे। तब तक तो मैं मर जाऊंगा।" कछुए की बात भी सही थी। हंसों ने एक उपाय सोचा। वे एक लकड़ी लेकर आए और बोले, "मित्र, हम दोनों अपनी चोंच से इस लकड़ी के सिरे पकड़कर एक साथ उड़ेंगे। तुम इस लकड़ी को बीच में से मुंह से पकड़कर रखना। इस प्रकार हम तुम्हें उस झील तक पहुंचा देंगे। लेकिन याद रखना, उड़ान के दौरान अपना मुंह न खोलना, वरना गिर पड़ोगे।

कछुए ने सहमति में सिर हिलाया। हंस लकड़ी पकड़कर उड़ चले और कछुआ बीच में लकड़ी मुंह से पकड़े था। वे एक कस्बे के ऊपर से उड़ रहे थे कि नीचे खड़े लोगों ने आकाश में अद्भुत नजारा देखा। सभी लोग आकाश का दृश्य देखने लगे। कछुए ने नीचे लोगों को देखा और उसे आश्चर्य हुआ कि इतने लोग उन्हें देख रहे हैं। वह अपने मित्रों की चेतावनी भूल गया और चिल्लाया, "देखो, कितने लोग हमें देख रहे हैं!" मुंह के खुलते ही वह नीचे गिर पड़ा और उसकी हड्डी-पसली का भी पता नहीं लगा।

 

कहानी से मिलती है यह सीख

इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि बेमौके मुंह खोलना बहुत महंगा पड़ता है।

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