Death anniversary of Madhavrao Peshwa:माधवराव पेशवा एक मराठा साम्राज्य के पुनर्निर्माण के महान शासक

Death anniversary of Madhavrao Peshwa:माधवराव पेशवा एक मराठा साम्राज्य के पुनर्निर्माण के महान शासक
Last Updated: 2 घंटा पहले

पेशवा माधवराव प्रथम की पुण्य तिथि 18 नवंबर को मनाई जाती है, और इस दिन मराठा साम्राज्य के महान शासक की यादें ताजगी से समाहित हो जाती हैं। माधवराव ने कम उम्र में ही अपने अद्वितीय नेतृत्व और दूरदर्शिता से मराठा साम्राज्य को उबारने का कार्य किया। उनका शासनकाल भले ही मात्र 11 वर्षों का था, लेकिन उनकी नीतियों, युद्ध कौशल और प्रशासनिक दक्षता ने मराठा राज्य को पुनः शक्ति और विस्तार की दिशा में अग्रसर किया।

पेशवा माधवराव प्रथम का जीवन

पेशवा माधवराव प्रथम, मराठा साम्राज्य के महान शासक थे जिनका जीवन संघर्ष, नेतृत्व और दूरदर्शिता से भरपूर था। उनका जन्म 16 फरवरी 1745 को हुआ था और वे मराठा साम्राज्य के चौथे पेशवा थे। उनके शासनकाल को एक सशक्त प्रशासन, युद्ध कौशल और मराठा साम्राज्य के पुनर्निर्माण के रूप में देखा जाता हैं।

प्रारंभिक जीवन और परिवार

माधवराव का जन्म पेशवा बालाजी बाजीराव (नाना साहब) और उनकी पत्नी गोपिकाबाई के घर हुआ था। उनका एक छोटा भाई नारायणराव था। माधवराव का जीवन शुरू से ही संघर्षों से भरा था, क्योंकि उनके पिता बालाजी बाजीराव की मृत्यु 1761 में हो गई थी, जब वे बहुत छोटे थे। बालाजी बाजीराव ने अपने जीवन के अंतिम समय में यह निर्णय लिया था कि उनके बाद उनका बड़ा बेटा माधवराव ही पेशवा बनेगा, हालांकि वह अल्पवयस्क था।

उनकी माता गोपिकाबाई ने पेशवा पद की जिम्मेदारी संभाली, जबकि रघुनाथराव (राघोबा) को उनके संरक्षक के रूप में नियुक्त किया गया। हालांकि, रघोबा के साथ कुछ मतभेद थे, और यह गृह कलह का कारण बना। माधवराव ने इस कठिन समय में अपनी चतुराई और नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया।

पेशवा पद की प्राप्ति और प्रारंभिक संघर्ष

माधवराव ने 1761 में पेशवा पद की जिम्मेदारी ली, लेकिन उनका शासन बहुत ही कठिन परिस्थितियों में शुरू हुआ। पानीपत की तीसरी लड़ाई में मराठा सेना को भीषण पराजय का सामना करना पड़ा था, जिससे मराठा साम्राज्य की शक्ति और प्रतिष्ठा दोनों को क्षति पहुँची थी। इस दौरान पेशवा पद का अधिकार संभालते हुए माधवराव ने मराठा राज्य को एकजुट किया और युद्ध के बाद के संकटों का सामना किया।

उनकी प्रशासनिक क्षमता और दूरदर्शिता ने उन्हें इस कठिन समय में उबारने का मार्ग दिखाया। माधवराव ने न केवल आंतरिक कलह को समाप्त किया, बल्कि मराठा राज्य का पुनर्निर्माण भी किया। वे नाना फडणवीस और महादजी शिंदे जैसे महान नेताओं के साथ मिलकर मराठा साम्राज्य को फिर से सत्ता की कुर्सी पर लाए।

शासन और सुधार

माधवराव के शासनकाल में उन्होंने कई सुधार किए। सबसे पहले, उन्होंने मराठा प्रशासन को मजबूत किया और मराठा राज्य के विभिन्न हिस्सों में समृद्धि और सुरक्षा का माहौल बनाया। उनके शासन में न्याय व्यवस्था, कर व्यवस्था, और सशस्त्र बलों का पुनर्निर्माण हुआ।

महादजी शिंदे की सूझबूझ और नेतृत्व में उन्होंने उत्तरी भारत में मराठा साम्राज्य की पुनः प्रतिष्ठा स्थापित की। महादजी शिंदे ने दिल्ली में मुग़ल सम्राट शाह आलम को फिर से सिंहासन पर बैठाया और इस तरह मराठा साम्राज्य ने एक बार फिर उत्तर भारत में अपनी पकड़ मजबूत की।

हैदर अली से संघर्ष

पेशवा माधवराव ने दक्षिण भारत में हैदर अली के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ भी कई आक्रमण किए। 1770 से 1772 के बीच उन्होंने हैदर अली से तीन बार युद्ध लड़ा और 1771 में मोती तालाब की लड़ाई में हैदर अली को पराजित किया। हालांकि, राघोबा की ओर से कई बार युद्ध को समाप्त करने की कोशिश की गई, लेकिन पेशवा ने हैदर अली के खिलाफ अपनी कार्रवाइयों को जारी रखा।

स्वास्थ्य और निधन

माधवराव का स्वास्थ्य उनके अंतिम वर्षों में खराब हो गया, और उन्हें क्षय रोग (टीबी) हो गया, जिसके कारण वह काफी पीड़ित रहे। इसके बावजूद, उन्होंने अपनी सोच और नेतृत्व क्षमता को कभी खोने नहीं दिया। वह लगातार मराठा राज्य के भविष्य के बारे में चिंतित रहते थे और अपने क़दमों से राज्य की दिशा तय करते रहे।

18 नवंबर 1772 को उनका निधन हो गया। उनकी मृत्यु से पहले, उन्होंने अपने छोटे भाई नारायणराव को राज्य का उत्तराधिकारी नियुक्त किया और उन्हें राघोबा से बचाने का वचन लिया। उनकी पत्नी रमाबाई, जो उनसे गहरे प्रेम करती थीं, उनके निधन के बाद सती हो गईं।

धरोहर और पुण्य तिथि

पेशवा माधवराव प्रथम का जीवन मराठा साम्राज्य के पुनर्निर्माण और उसके विस्तार के लिए समर्पित था। उनका शासन एक स्वच्छ और सशक्त प्रशासन, वीरता, और नीति में निपुणता का उदाहरण है। उनकी पुण्य तिथि 18 नवंबर को मनाई जाती है, और इस दिन उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती हैं।

माधवराव के योगदानों को आज भी मराठा साम्राज्य के इतिहास में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, और वे एक महान शासक के रूप में इतिहास में जीवित रहते हैं।

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