पी.वी. नरसिम्हा राव का निधन 23 दिसंबर 2004 को हुआ था। उनका निधन भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा नुकसान था, क्योंकि उनके नेतृत्व में देश ने महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों और वैश्वीकरण की दिशा में कदम बढ़ाए थे। उनकी पुण्यतिथि पर उनके योगदान और उनके द्वारा किए गए ऐतिहासिक कार्यों को याद किया जाता हैं।
प्रारंभिक जीवन और राजनीतिक यात्रा
पामुलापति वेंकट नरसिंह राव, भारतीय राजनीति के एक महान नेता और पूर्व प्रधानमंत्री, जिन्होंने भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए, का जन्म 28 जून 1921 को तेलंगाना राज्य के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनके राजनीतिक जीवन का प्रारंभ आंध्र प्रदेश की राजनीति से हुआ, जहां उन्होंने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में भी अपनी सेवा दी। उनके नेतृत्व में राज्य में कई अहम विकास कार्य हुए, लेकिन उनकी पहचान असल में भारत के 9वें प्रधानमंत्री के रूप में बनी, जब उन्होंने देश के सबसे कठिन समय में नेतृत्व संभाला।
प्रधानमंत्री बनने की अनोखी कहानी
राजीव गांधी की हत्या के बाद 1991 के आम चुनावों में कांग्रेस को भारी सहानुभूति मिली। इस सहानुभूति लहर ने पार्टी के पक्ष में स्थिति बनाई और कांग्रेस ने सबसे बड़े दल के रूप में अपनी स्थिति मजबूत की। हालांकि, पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला, लेकिन कांग्रेस ने अपने सांसदों को एकत्रित कर पामुलापति वेंकट नरसिंह राव को कांग्रेस संसदीय दल का नेता चुना और उन्हें प्रधानमंत्री पद का अवसर मिला।
कठिन समय में मजबूत नेतृत्व
1991 में प्रधानमंत्री बनने के बाद, नरसिंह राव के सामने कई राजनीतिक और आर्थिक संकट थे। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार चिंताजनक स्तर तक गिर चुका था, और स्थिति इतनी बिगड़ चुकी थी कि भारत को अपनी स्वर्ण मुद्राएँ गिरवी रखनी पड़ी थीं। ऐसे समय में जब देश में वित्तीय संकट गहरा चुका था, राव ने डॉ. मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री के रूप में नियुक्त किया, जिन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को संकट से उबारने के लिए कई सुधारों की शुरुआत की। नरसिंह राव ने देश में लाइसेंस राज की समाप्ति की दिशा में कदम बढ़ाया और भारतीय अर्थव्यवस्था में खुलापन की प्रक्रिया को लागू किया, जिसे आज हम आर्थिक सुधार के रूप में जानते हैं।
आर्थिक सुधार और वैश्वीकरण
नरसिंह राव के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत ने बड़े आर्थिक सुधार किए। 1991 में आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण, और वैश्वीकरण की प्रक्रिया ने देश के विकास के नए द्वार खोले। भारत ने पहले से बंद विदेशी निवेश दरवाजों को खोला और कई सरकारी कंपनियों का निजीकरण किया। इन सुधारों से न केवल भारतीय उद्योगों को गति मिली, बल्कि भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भी महत्वपूर्ण स्थान बनाने में सक्षम हुआ। इन सुधारों के माध्यम से भारत ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी एक नई पहचान बनाई।
देश को पुन खड़ा किया
भारत के संकटग्रस्त स्थिति से उबारने के लिए नरसिंह राव ने कई अन्य कदम भी उठाए। उनका दृढ़ नेतृत्व और साहसिक निर्णय ने देश को संकट से बाहर निकाला। उन्होंने विदेश नीति में भी कई अहम कदम उठाए। उनका लोकप्रियता से परे दृष्टिकोण देश के लिए समग्र विकास का कारण बना। उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद, भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को और मजबूती से स्थापित किया।
सम्मान और योगदान
2024 में भारत सरकार ने उनके योगदान को मान्यता देते हुए उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया। यह सम्मान उनकी नीतियों और उनके संघर्ष का प्रतीक है। नरसिंह राव का कार्यकाल भारतीय राजनीति का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, जिसे लंबे समय तक याद रखा जाएगा।
पामुलापति वेंकट नरसिंह राव एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने देश को सबसे कठिन समय में नेतृत्व प्रदान किया। उनकी दूरदर्शिता और साहसिक फैसलों ने भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में स्थायी बदलाव किए। उनकी जयंती पर हम न केवल उनके योगदान को याद करते हैं, बल्कि उनके दिखाए मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी प्राप्त करते हैं। उनके नेतृत्व के कारण ही आज भारत दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में गिना जाता हैं।