राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती: सत्य और अहिंसा के प्रतीक का स्मरण

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती: सत्य और अहिंसा के प्रतीक का स्मरण
Last Updated: 2 घंटा पहले

2 अक्टूबर 2024: महात्मा गांधी जयंती पर देशभर में श्रद्धांजलि और कार्यक्रम

 

2 अक्टूबर 2024 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 155वीं जयंती पूरे देश में श्रद्धा और आदर के साथ मनाई जा रही है। इस दिन को भारत में गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है और विश्व स्तर पर इसे अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी पहचाना जाता है। महात्मा गांधी, जिन्हें प्यार से "बापू" कहा जाता है, ने सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों पर चलते हुए भारत को आज़ादी दिलाई थी। उनके विचार और सिद्धांत आज भी पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

 

राजघाट पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम

दिल्ली स्थित राजघाट, जहाँ महात्मा गांधी का स्मारक है, पर हर साल की तरह इस बार भी भव्य श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया जा रहा है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, और अन्य गणमान्य व्यक्ति राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। राष्ट्रगान और बापू के प्रिय भजनों, जैसे "रघुपति राघव राजा राम", का गान भी इस अवसर पर किया जाएगा। राजघाट पर आने वाले लोग बापू के सत्य, अहिंसा और सद्भावना के संदेश को आत्मसात करने का संकल्प लेंगे।

गांधी के आदर्शों को लेकर विशेष कार्यक्रम

महात्मा गांधी के आदर्शों को सम्मानित करने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में सामाजिक और शैक्षिक संस्थाएँ विशेष कार्यक्रमों का आयोजन कर रही हैं। स्कूल, कॉलेज, और विश्वविद्यालयों में निबंध प्रतियोगिताओं, भाषण, और पोस्टर बनाने जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। गांधीजी के जीवन पर आधारित नाटकों और फ़िल्मों का प्रदर्शन भी किया जा रहा है, जिससे नई पीढ़ी को उनके योगदान और विचारों के बारे में जानकारी दी जा सके।

 

स्वच्छता अभियान और राष्ट्र निर्माण में योगदान

महात्मा गांधी के "स्वच्छ भारत" के सपने को आगे बढ़ाने के लिए 2 अक्टूबर 2024 को स्वच्छता अभियान भी बड़े पैमाने पर चलाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए "स्वच्छ भारत अभियान" को गांधीजी की स्वच्छता के प्रति प्रतिबद्धता का सम्मान माना जाता है। इस दिन देशभर में स्वच्छता रैलियाँ निकाली जाएँगी, और लोगों को अपने आस-पास स्वच्छता बनाए रखने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

 

गांधी के विचार: अहिंसा और सत्याग्रह

महात्मा गांधी के विचारों की चर्चा आज के सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ में भी बहुत प्रासंगिक है। उन्होंने सत्य और अहिंसा के बल पर स्वतंत्रता संग्राम लड़ा, और यह सिद्धांत आज भी दुनिया भर में मानवाधिकारों और स्वतंत्रता आंदोलनों के प्रेरणास्त्रोत बने हुए हैं। गांधीजी का सत्याग्रह केवल राजनीतिक आज़ादी का आंदोलन नहीं था, बल्कि यह एक नैतिक और आध्यात्मिक जागरूकता की प्रक्रिया भी थी।

 

गांधी जयंती पर अंतरराष्ट्रीय मंच

2 अक्टूबर को केवल भारत में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में भी महात्मा गांधी की जयंती को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2007 में इसे मान्यता दी थी। इस मौके पर कई देशों में गांधीजी के अहिंसा और शांति के संदेश पर सेमिनार, चर्चाएँ और कार्यक्रम आयोजित होते हैं। उनके योगदान को सम्मानित करते हुए, विश्व समुदाय को अहिंसा के मार्ग पर चलने का संकल्प दिलाया जाता है।

गांधीजी के विचारों की प्रासंगिकता

महात्मा गांधी के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके समय में थे। सत्य, अहिंसा, स्वराज, और स्वदेशी जैसे उनके सिद्धांत आज के समाज में नैतिकता, समानता, और न्याय की माँग करते हैं। उनके जीवन और संदेश से हमें आज भी सीखने की प्रेरणा मिलती है कि कैसे शांति और अहिंसा से दुनिया को बेहतर बनाया जा सकता है।

 

इस गांधी जयंती पर, देशवासियों के लिए यह अवसर है कि वे महात्मा गांधी के आदर्शों को अपने जीवन में उतारें और समाज में शांति, समानता, और सद्भाव का संदेश फैलाएँ। महात्मा गांधी की जयंती के इस अवसर पर, राष्ट्र उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है और उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प दोहराता है

Leave a comment