धरती की उत्पति कैसे हुई? जानें इसके पीछे की रोचक कहानी

धरती की उत्पति कैसे हुई? जानें इसके पीछे की रोचक कहानी
Last Updated: 11 जुलाई 2024

ब्रह्माण्ड व दुनिया इंसानों के लिए हमेशा से ही रहस्यो का विषय रही है। आज  विज्ञान को इतना तरक्की होने के बावजूद भी हमारी धरती पर ऐसे कई रहस्य छिपा हैं जिसका पता लगाना वैज्ञानिकों के लिए लगभग असंभव सा है।मानव धरती पर हजारों सालों से रह रहा है। परंतु जब भी हम आसपास की चीजों से हटकर हम खुद से प्रकृति की तरफ देखते है तो हमारे जहन(मन) में यह सवाल आते हैं कि धरती का आरंभ कैसा हुआ होगा? धरती की उत्पत्ति कैसे हुई होगी? या धरती ने करोड़ो सालों में किस-किस तरीके का समय देखा होगा? तो आइए जानते है आज इस आर्टिकल में घरती से जुड़े कुछ रोचक और रहस्यमयी तथ्यों के बारें में।

इतिहास में वैज्ञानिकों ने धरती की उत्पत्ति के संबंध में अनेक बातें कहीं हैं। इसके धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही मत सुनने को मिलते हैं। यदि धार्मिक मत की माने तो पृथ्वी की रचना भगवान या ईश्वर द्वारा की गई है।दूसरी तरफ वैज्ञानिक मत को देखें तो उसके अनुसार पृथ्वी की उत्पत्ति सूर्य और एक विशालकाय पुच्छल तारे के बीच टकराव के कारण हुई है। इतिहास में अनेक विद्वानों ने पिछले कुछ सालों में पृथ्वी कि उत्पत्ति पर अनेक टिप्पणी दीं। जिनमें बफन, कांट, लाप्लास, रास और लौकीअर आदि प्रमुख विद्वानों का नाम है।

 पृथ्वी का इतिहास – Duniya Kaise बानी

पृथ्वी की उत्पति के बारे में वैज्ञानिक धारणा यह हैं कि तकरीबन 5 बिलियन वर्ष पूर्व कई गैसों के एक साथ मिलने से भयंकर धमाका हुआ। इस कारण बहुत ही बड़ा एक आग का गोला बना जिसे वर्तमान में हम सूर्य  कहते है। धमाका इतना तेज था कि इसके आसपास चारों ओर धूल के कण फ़ैल गए। और गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ये कण छोटे-छोटे पत्थर के टुकड़ों के रूप में बदल गए। कई वर्षों के अंतराल के बाद यह कण आपस में जुड़ने लगे और एक समय बाद सौर मंडल की उत्पति हुई।

इस प्रकार लाखों वर्षों के पश्चात गुरुत्वाकर्षण के कारण पत्थर और चट्टानें आपस में जुड़ने लगी, इस प्रकार से धरती का जन्म एक आग के गोले के रूप में हो रहा था। वैज्ञानिक अवधारणा के मुताबिक 4.54 बिलियन वर्ष पूर्व पृथ्वी का तापमान 1200 डिग्री सेल्सियस था। ऐसे समय पर धरती पर केवल उबलता हुआ लावा, चट्टानें और कई जहरीली गैसें हुआ करती थी। ऐसे में पृथ्वी पर जीवन का होना असंभव था।

पृथ्वी की उत्पति के दौरान थिया नाम का एक ग्रह धरती की ओर 50 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ़्तार से बढ़ रहा था। यह रफ़्तार बन्दुक से चलाई गयी गोली से 20 गुना अधिक है। ऐसे में जब थिया ग्रह पृथ्वी की सतह से टकराया तो बहुत बड़ा धमाका हुआ। जिससे बहुत सारा कचरा धरती से बाहर निकला और साथ ही वह ग्रह धरती में समा गया। हजारों वर्षों के अंतराल के बाद धरती से निकला कचरा गुरुत्वाकर्षण के कारण एक गेंद का रूप बन गया, जिसे हम चाँद कहते हैं, इस प्रकार से चाँद की उत्पति हुई।

पृथ्वी की उत्पति के बाद अंतरिक्ष में बची हुई बाकी चट्टानें पृथ्वी पर गिरने लगी। इन चट्टानों में अजीब प्रकार के क्रिस्टल थे, जिसे आज हम नमक के रूप में प्रयोग करते हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह समुद्र का पानी इन्हीं चट्टानों के अंदर मौजूद नमक से निकलता हैं।

वैज्ञानिकों के अनुसार यह चट्टानें धरती पर करीब 20 मिलियन वर्षों तक धरती पर गिरती रही जिस कारण समुद्र के रूप में धरती पर काफी पानी इकट्ठा हो गया। लगातार इतने पानी के इकट्ठा होने से पृथ्वी की सतह ठंडी होने लगी और चट्टानें अधिक सख्त। धरती का अंदरूनी भाग में लावा अब भी अपने उसी रूप में मौजूद था। तथा ऊपर का तापमान 70-80 डिग्री सेल्सियस हो चूका था। वर्तमान में धरती पर मौजूद पानी लाखों वर्ष पहले का है। उस समय चाँद धरती के बेहद करीब था और गुरुत्वाकर्षण बल के कारण धरती पर अक्सर तूफ़ान आते थे और लम्बे अन्तराल के बाद चाँद और धरती कि बढ़ती दूरी के कारण तूफ़ान शांत होने लगे।

धरती पर जीव कि उत्पत्ति और विकास

जिस समय धरती पर इतनी भयानक उथल-पुथल हो रही थी। ऐसे में किसी भी जीव का धरती पर रहना संभव नहीं था। पर यहाँ पर दिलचस्प बात यह है कि ऐसी अवस्था में भी धरती पर मानव जीवन की उत्पत्ति हुई। इसके विपरीत मानव धरती पर कैसे आया? कब आया? यह अपने आप में ही एक बहुत कठिन प्रश्न है। यदि हम जीव वैज्ञानिकों के अनुमान के अनुसार समझें तो वर्तमान से 120 करोड़ वर्ष से 300 करोड़ वर्ष पूर्व, जल में जीव का जन्म हुआ था।

ऐसा माना जाता है कि उस समय पैदा हुआ जीव एक जेली की तरह एक कोशिका वाला अत्यंत सूछ्म प्राणी था। जिसमें ना तो त्वचा थी और ना ही हड्डियां थी। समय के साथ जीव की प्रकृति में भी अनेक प्रकार के परिवर्तन हुए और धरती पर अनेक तरह के वनस्पति और जीव जंतु धीरे-धीरे अस्तित्व में आने लगे। जैसे कि समुद्र के जल में मछलियों का जन्म हुआ। फिर मेंढक जैसे जीव धीरे-धीरे धरती पर आए जोकि जल और धरती दोनों पर रह सकते थे। कुछ समय के बाद पेट से रंगने वाले जीवो का आगमन हुआ। जिसमें सांप छछूंदर और डायनासोर जितने बड़े जीव जंतु भी थे। उनकी लंबाई 30 मीटर तक हुआ करती थी।

उसके करोड़ों वर्ष बाद धीरे-धीरे आकाश में उड़ने वाले पक्षियों का आगमन हुआ। ऐसा माना जाता है कि आज से लगभग 5 करोड वर्ष पूर्व धरती पर मैमल्स यानी स्तनधारी जीवों का जन्म हुआ था। इनकी खास बात यह थी कि यह जीव अपने बच्चों को दूध पिला सकते थे। जिनमें आज के समय के हाथी, ऊंट, सूअर और भेड़ों जैसी बनावट वाले जीव उस समय में पाए जाते थे। इस स्थिति के बाद कुछ ऐसे जीव भी उत्पन्न हुए जो वृक्षों पर या पेड़ों पर रह सकते थे। जैसे कि आज के समय के बंदर, लंगूर आदि। यदि जीव वैज्ञानिकों की माने तो प्राणियों का जन्म और विकास के बीच वर्तमान से लगभग 20 से 10 लाख वर्ष पूर्व आज के मानव का जन्म हुआ होगा।

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