शीतकालीन संक्रांति (Winter Solstice) वह समय होता है जब पृथ्वी के उत्तरी या दक्षिणी गोलार्ध में दिन का सबसे छोटा समय और रात का सबसे लंबा समय होता है। यह घटना आमतौर पर 21 या 22 दिसंबर को होती है और इसे सर्दियों का आरंभ भी माना जाता हैं।
संक्रांति क्या है?
* गर्मी संक्रांति (Summer Solstice): यह वह समय होता है जब सूर्य पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध के सबसे ऊंचे बिंदु पर होता है, जिससे दिन की लंबाई सबसे लंबी और रात की लंबाई सबसे छोटी होती है। यह आमतौर पर 20 या 21 जून को होता है और उत्तरी गोलार्ध में ग्रीष्मकाल का आरंभ होता हैं।
* शीतकालीन संक्रांति (Winter Solstice): शीतकालीन संक्रांति वह समय होता है जब सूर्य पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध के सबसे ऊंचे बिंदु पर होता है, जिससे दिन की लंबाई सबसे छोटी और रात की लंबाई सबसे लंबी होती है। यह घटना आमतौर पर 21 या 22 दिसंबर को होती है और उत्तरी गोलार्ध में सर्दियों का आरंभ होता हैं।
शीतकालीन संक्रांति क्या है?
शीतकालीन संक्रांति के दौरान, पृथ्वी का उत्तरी गोलार्ध सूर्य से सबसे दूर होता है। इस कारण से उत्तरी गोलार्ध में दिन की लंबाई कम और रात की लंबाई अधिक होती है। इसका उल्टा, दक्षिणी गोलार्ध में दिन की लंबाई अधिक होती है और रात कम होती है। इस दिन के बाद, धीरे-धीरे दिन लंबे होते जाते हैं, और रातें छोटी होती जाती हैं।
शीतकालीन संक्रांति के दौरान, सूर्य पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध की ओर अधिक झुका होता है, जिससे दक्षिणी गोलार्ध में गर्मी का मौसम शुरू होता है, जबकि उत्तरी गोलार्ध में सर्दी का मौसम अपने चरम पर होता है। इस समय सूर्य क्षितिज से बहुत कम ऊँचाई पर होता है, जिससे दिन छोटे होते हैं और रातें लंबी होती हैं।
शीतकालीन संक्रांति सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
शीतकालीन संक्रांति को विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों में विशेष महत्व दिया जाता है। यह प्रकृति के चक्र का प्रतीक है और इसके साथ नई शुरुआत का प्रतीक जुड़ा होता है।
* ईसाई धर्म में: क्रिसमस (25 दिसंबर) के आसपास शीतकालीन संक्रांति होती है, जिसे "सूर्य के पुनः जन्म" के रूप में मनाया जाता है।
* हिंदू धर्म में: शीतकालीन संक्रांति मकर संक्रांति के रूप में मनाई जाती है, जो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने को दर्शाती है। यह दिन विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है।
* नॉर्स और अन्य पौराणिक संस्कृतियों में: इस दिन को "यूल" के नाम से मनाया जाता है, जो सूर्य के पुनः बढ़ने और अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने का प्रतीक होता है।
कब है शीतकालीन संक्रांति?
2024 की शीतकालीन संक्रांति 21 दिसंबर को होगी, और यह उत्तरी गोलार्ध में सर्दियों की शुरुआत को चिह्नित करती है। नासा के अनुसार, यह संक्रांति सुबह 4:20 बजे (पूर्वी समय) होगी, जिससे उत्तरी गोलार्ध में दिन की सबसे छोटी अवधि और रात की सबसे लंबी अवधि होगी। वहीं, दक्षिणी गोलार्ध में यह दिन गर्मियों की शुरुआत का प्रतीक होगा। इस दिन का प्रभाव स्थान विशेष के हिसाब से भिन्न होता है:
* उत्तर में स्थित क्षेत्रों जैसे अलास्का में सूरज मुश्किल से दिखाई देता है, क्योंकि ये क्षेत्र सर्दियों में काफी अंधेरे में रहते हैं।
* दक्षिण में स्थित क्षेत्रों जैसे फ्लोरिडा में दिन में थोड़ी और रोशनी मिलती है।