हर साल 3 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस (International Day of Persons with Disabilities) मनाया जाता है। यह दिन दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों, उनके समावेशन और समाज में उनके योगदान को पहचानने के लिए समर्पित है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1992 में इस दिवस को घोषित किया था, ताकि दिव्यांगता से जुड़े मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके और दिव्यांगजनों के अधिकारों और कल्याण के लिए समर्थन जुटाया जा सके।
अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस का इतिहास
• 1992 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे हर साल मनाने का निर्णय लिया।
• इसका उद्देश्य दिव्यांगजनों के अधिकारों की रक्षा और उनके मुद्दों पर वैश्विक चर्चा को बढ़ावा देना हैं।
• 1981 को "दिव्यांग व्यक्तियों का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष" और 1983-1992 को "दिव्यांगजनों का दशक" घोषित किया गया था।
संयुक्त राष्ट्र महासभा की घोषणा
यह दिवस 1992 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा प्रस्ताव 47/3 के तहत घोषित किया गया। इसका उद्देश्य दिव्यांगजनों के मुद्दों पर वैश्विक ध्यान आकर्षित करना और उनके अधिकारों के समर्थन में कदम उठाना था।
समावेश और समानता पर जोर
1981 को दिव्यांग व्यक्तियों का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष (International Year of Disabled Persons) घोषित किया गया था। इसके बाद, 1983-1992 को संयुक्त राष्ट्र ने दिव्यांगजनों के लिए कार्य योजना दशक (Decade of Disabled Persons) के रूप में समर्पित किया।
विकलांग अधिकार समझौता
2006 में संयुक्त राष्ट्र ने दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों पर कन्वेंशन (UNCRPD) को अपनाया। यह संधि दिव्यांगजनों के अधिकारों और गरिमा को सुनिश्चित करने का महत्वपूर्ण वैश्विक प्रयास हैं।
अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस का उद्देश्य
1. जागरूकता बढ़ाना
समाज में दिव्यांगजनों के मुद्दों, उनके अधिकारों और उनके समावेशन की आवश्यकता को समझाना।
2. नीतियों का निर्माण
ऐसी नीतियां बनाना जो दिव्यांगजनों को शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं तक समान पहुंच प्रदान करें।
3. सकारात्मक दृष्टिकोण
दिव्यांगजनों की क्षमताओं को पहचानकर उनके योगदान को प्रोत्साहित करना।
अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस की थीम
2024 की थीम
हर साल एक नई थीम के साथ इस दिवस को मनाया जाता है। 2024 की थीम पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा जल्द घोषणा की जाएगी, लेकिन इसका मुख्य फोकस दिव्यांगजनों के लिए एक समावेशी, सुलभ और सतत समाज का निर्माण रहेगा।
2023 की थीम "Transformative solutions for inclusive development: the role of innovation in fueling an accessible and equitable world."
2022 की थीम "Leadership and participation of persons with disabilities toward an inclusive, accessible, and sustainable post-COVID-19 world."
वर्तमान परिदृश्य
आज, दुनिया भर में दिव्यांगजन समाज के हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। सरकारों और संगठनों द्वारा उठाए गए कदमों से उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार में सुधार हो रहा है। हालांकि, अभी भी बहुत से देशों में सामाजिक और आर्थिक भेदभाव का सामना करना उनकी प्रमुख चुनौतियों में से एक है।
अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस समाज को यह याद दिलाने का अवसर है कि दिव्यांगजन भी समाज का अभिन्न हिस्सा हैं और उन्हें समान अधिकार और सम्मान मिलना चाहिए। यह दिवस केवल जागरूकता बढ़ाने का नहीं, बल्कि समाज में बदलाव लाने का आह्वान भी हैं।