दिल्ली के सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम में चल रहे जागरण फिल्म फेस्टिवल का तीसरा दिन अभिनेता अर्जुन कपूर की मौजूदगी से खास बन गया। फेस्टिवल में 1250 थिएटर आर्टिस्ट और दर्शकों की भारी भीड़ जुटी, जो अर्जुन की एक झलक पाने के लिए उत्साहित थी। संवाद के दौरान अर्जुन कपूर ने अपने करियर के अनुभवों, संघर्षों और भविष्य की योजनाओं को लेकर खुलकर बात की।
असफलता से मिली सीख
अर्जुन कपूर ने अपने 12 साल के फिल्मी करियर में सफलता और असफलता दोनों का सामना किया है। उन्होंने कहा, "हर किसी की जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते हैं। विफलता जिंदगी का अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत होती है। मैंने भी असफलता के दौर में अपने आप को संभाला और उससे सीखा।"
'डैंजर लंका' बना फैंस का पसंदीदा किरदार
सिंघम अगेन में नेगेटिव किरदार निभाने वाले अर्जुन कपूर ने बताया कि उनके किरदार 'डैंजर लंका' को दर्शकों ने खूब सराहा। उन्होंने कहा, "यह मेरे करियर में पहली बार हुआ है कि लोग मुझे मेरे किरदार के नाम से बुला रहे हैं। बच्चे भी 'डैंजर लंका' कहते हैं, यह मेरे लिए बहुत खास है।"
कभी नहीं देखी अपनी खुद की फिल्म
अर्जुन ने बताया कि उन्होंने अब तक सिंघम अगेन नहीं देखी है। लेकिन फिल्म को मिल रही प्रशंसा और फैंस के प्यार ने उन्हें बेहद खुश किया है। उन्होंने कहा, "मुझे इस फिल्म के लिए अलग-अलग शहरों और देशों से सराहना मिल रही है। अगर भविष्य में अच्छे नेगेटिव रोल आए, तो मैं जरूर करूंगा, लेकिन एक ही तरह की भूमिका दोहराने का इरादा नहीं है।"
इश्कजादे के ऑडिशन से मिली पहचान
अर्जुन कपूर ने अपने करियर की शुरुआत इश्कजादे से की। उन्होंने साझा किया, "शानू शर्मा ने मुझे फेसबुक पर देखा और ऑडिशन के लिए बुलाया। अगर मैं इश्कजादे का ऑडिशन नहीं देता, तो पता नहीं आज मैं कहां होता। इस फिल्म ने मेरे करियर की दिशा बदल दी।"
परिवार का दबाव नहीं, प्रेरणा है
फिल्मी परिवार से आने पर अर्जुन कपूर ने कहा कि वह अपने परिवार के किसी सदस्य से तुलना नहीं करते। "मेरी बहनें और चाचू अनिल कपूर बेहतरीन काम कर रहे हैं। मैं भाग्यशाली हूं कि ऐसे परिवार का हिस्सा हूं।"
पांचवां पराठा की प्रस्तुति
फेस्टिवल में "पांचवां पराठा" शॉर्ट फिल्म का भी प्रदर्शन हुआ, जो प्रसिद्ध साहित्यकार पद्मश्री गिरिराज किशोर की कहानी पर आधारित है। फिल्म के निर्देशक संजय गुप्ता ने कहा, "यह फिल्म कानपुर की मिलबंदी और मजदूरों के संघर्ष की सच्ची कहानी है। इसे बनाने में गिरिराज जी की बेटी और डॉ. असगर वजाहत ने मदद की।"
जागरूकता और प्रेरणा का मंच
जागरण फिल्म फेस्टिवल न सिर्फ मनोरंजन, बल्कि सामाजिक मुद्दों और कला की विविधता पर विचार-मंथन का मंच भी है। अर्जुन कपूर की बेबाक बातें और पांचवां पराठा जैसी फिल्मों की प्रस्तुति ने इस आयोजन को और खास बना दिया।