फिल्मों में खलनायक की भूमिका के लिए मशहूर रंजीत ने एक दिलचस्प किस्सा साझा किया कि फिल्म "लावारिस" के दौरान हमने एक गाना अचानक ही शूट कर लिया था। कश्मीर में हमें नौ दिन का समय मिला था। बप्पी दा ने मुंबई से गाना तैयार करके भेज दिया। निर्देशक ने जब "एक्शन" कहा, तो जिनत वहां घूमकर गाना गाने लगी। मैं पेड़ों के पीछे से उन्हें देख रहा था। बस, इस तरह नौ दिनों के भीतर वह गाना शूट हो गया।
New Delhi: फिल्में बनाना कई लोगों के लिए एक गहरा जुनून रहा है। पुरानी फिल्मों से जुड़े कई दिलचस्प किस्से हमें बताते हैं कि यह बात कितनी सही है। फिल्मों में खलनायक की भूमिका के लिए जाने जाने वाले रंजीत ने भी एक ऐसा ही किस्सा एक साक्षात्कार के दौरान साझा किया। उन्होंने बताया कि उन दिनों फिल्मों का एक निश्चित फार्मूला होता था।
गाने, संगीत, प्रेम कहानी, और फिर एक विलेन, जो कि पेड़ के पीछे से सिगार पीते हुए निकलता था। रंजीत ने बताया कि फिल्म 'लावारिस' के दौरान हमने एक गाना इसी तरह से फिल्माया था। अमिताभ बच्चन, मेरी और जीनत अमान की कुछ डेट्स बची हुई थीं। कश्मीर में हमारे पास नौ दिन थे। निर्देशक ने मुंबई में बप्पी लाहिड़ी को फोन किया और कहा कि हमें एक रोमांटिक गाना चाहिए, किसी से लिखवाकर उसे बनाकर भेज दो।
फिल्मों के निर्माण के प्रति बेहद जुनूनी
उस समय फिल्मों में रोमांटिक सीन तो आम थे ही। गाने जल्दी ही तैयार हो जाते थे। निर्देशक जब एक्शन कहते, तो जीनत वहीं पर घूमते हुए गाना गाने लगती। मैं पेड़ों के पीछे से छिपकर उन्हें देखता रहता था। पूरे नौ दिनों में उस गाने की शूटिंग पूरी हो गई। उस वक्त फिल्म बनाने के प्रति लोगों का जोश और दीवानगी अद्भुत थी।
सिर्फ फिल्मों की होती थी चर्चा
आगे उन्होंने कहा कि लोग केवल फिल्मों की चर्चा किया करते थे। मुझे एक बार राज कपूर के बेटे रणधीर कपूर ने बताया था कि मेरे पिता अच्छे बादलों के शॉट्स के लिए मुंबई से बाहर गए थे, क्योंकि उन्हें संतोषजनक बादल नहीं मिल रहे थे। बादलों की तलाश में वह खंडाला, पुणे और बेंगलुरु तक गए थे। उन दिनों निर्माता-निर्देशक ऐसे ही मेहनत किया करते थे।