IC814 कंधार हाईजैक में विवाद IC814 कंधार हाईजैक में आतंकियों के हिंदू नाम को लेकर विवाद हुआ था। इस सीरीज में आतंकवादियों के नाम चीफ डॉ. बर्गर भोला और शंकर था, जिसे लेकर लोगों ने जमकर विरोध किया। उनका कहना है कि आतंकवादियों को जानबूझकर हिंदू नाम दिए गए थे, भले ही वे मुस्लिम थे। IC814 कंधार अपहरण कांड के इतिहास और नामों का सच क्या है?
IC814 कंधार: 29 अगस्त को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई वेब सीरीज IC814 कंधार हाईजैक को सोशल मीडिया पर काफी प्रतिक्रिया मिली है। इस वेब सीरीज़ में उल्लिखित आतंकवादियों के नामों (रईस, डॉ, बर्जर, भोला, शंकर) पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया गया है। शंकर और बोहरा नाम के साधु-संतों समेत कई लोग विरोध कर रहे हैं। हंगामे के बीच सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने नेटफ्लिक्स के कंटेंट मैनेजर को पूछताछ के लिए बुलाया है।
1999 में हाईजैक हुआ था विमान IC814
घटना करीब 25 साल पुरानी है। 24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस की उड़ान IC814 ने नेपाल की राजधानी काठमांडू के त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से शाम 4:30 बजे दिल्ली के लिए उड़ान भरी। विमान में 178 यात्री सवार थे। 17:00 बजे जैसे ही विमान ने भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश किया, उस पर पांच हथियारबंद आतंकवादियों ने हमला कर दिया।
हाई जैक के बाद कहां पहुंचा विमान?
आतंकियों ने विमान को पाकिस्तान ले जाने का आग्रह किया, लेकिन उन्हें वहां उतरने की इजाजत नहीं दी गई। लंबी दूरी तक उड़ान भरने के लिए पर्याप्त ईंधन नहीं था। इसी बीच विमान शाम 6:00 बजे अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरा। विमान 25 मिनट तक जमीन पर खड़ा रहा लेकिन समस्या के कारण ईंधन नहीं भर सका। गुस्साए आतंकवादियों ने यात्री रूपिन काटल का गला काट दिया और फिर लाहौर की ओर बढ़ गए।
अपहरणकर्ताओं ने रिहाई के बदले मांगे 200 डोलर
भारतीय अधिकारियों की एक टीम अपहरणकर्ताओं से बातचीत करने के लिए कंधार पहुंची। उस समय केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में गठबंधन सरकार थी। सरकार की मुश्किलें दिन-ब-दिन बढ़ती गईं।
इस बीच, अपहर्ताओं ने मसूद अज़हर समेत भारतीय जेलों में बंद 35 आतंकवादियों की रिहाई, कश्मीर में मारे गए आतंकवादियों के शव और यात्रियों की रिहाई के बदले में 200 मिलियन डॉलर की मांग की। लंबी बातचीत के बाद अब अपहर्ताओं ने 153 यात्रियों की रिहाई के बदले मौलाना मसूद अज़हर समेत तीन आतंकवादियों की रिहाई की शर्तें रखीं।
भारत सभी यात्रियों को सुरक्षित वापस लाने के लिए भारतीय जेल में बंद आतंकवादियों मौलाना मसूद अज़हर, मुश्ताक अहमद ज़रगर और अहमद उमर सईद शेख को एक विशेष विमान से कंधार लाया। तत्कालीन विदेश मंत्री जसवन्त सिंह ने भी इन आतंकवादियों के साथ कंधार की यात्रा की।
कंधार हाईजैक के साथ में था तालिबान
कंधार हाईजैक मामला 1999 में पेश आया, जब भारतीय Airlines की फ्लाइट IC-814 को आतंकवादियों ने हाईजैक किया। इस घटना में तालिबान की भूमिका महत्वपूर्ण थी क्योंकि उस वक्त अफगानिस्तान में तालिबान का शासन था और यह समूह हाईजैकर्स के साथ संपर्क में था। जब विमान ने कंधार पहुंचकर उतरने के बाद भारतीय सरकार ने तालिबान से मदद मांगी। तो उन्होंने बातचीत के माध्यम से स्थिति को संभालने का प्रयास किया। यह भी उल्लेखनीय है कि तालिबान ने एक आतंकवादी के शव की मांग और राशि की भी बात की थी। इस दौरान, तालिबान ने भारतीय अधिकारियों पर दबाव बनाया कि वे जल्दी से जल्दी समझौता करें ताकि यात्रियों की जान बचाई जा सके।
इस पूरे घटनाक्रम में तालिबान ने एक मध्यस्थ की भूमिका निभाई, जिससे वह अपनी शक्ति और स्थिति को और मजबूत करने का प्रयास कर रहा था, जबकि भारत को स्थिति को सुलझाने के लिए तत्कालता का अनुभव था। कंधार हाईजैक का यह मामला तब से लेकर अब तक आतंकवाद, सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में चर्चा का विषय रहा है।
विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने कंधार जाने का लिया फैसला
कंधार हाईजैक मामले के दौरान तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह का कंधार जाने का फैसला लिया था। इस यात्रा का उद्देश्य उन भारतीय नागरिकों की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करना था, जो हाइजैक किए गए विमान में फंसे हुए थे। जब आतंकियों ने मौलाना मसूद अजहर, मुश्ताक अहमद जरगर और अहमद उमर सईद शेख को छोड़ने की मांग की, तो यह स्पष्ट था कि भारत को इस मामले को सुलझाने के लिए उच्चस्तरीय वार्ता की आवश्यकता थी।
इस स्थिति में जसवंत सिंह की भूमिका यह सुनिश्चित करने के लिए थी कि वे खुद वहां उपस्थित रहकर निर्णय ले सकें। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण था क्योंकि बातचीत में जिन अधिकारियों को भेजा गया था, उन्होंने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए एक ऐसे शख्स को वहां भेजने की आवश्यकता महसूस की जो तत्काल निर्णय ले सके। जब जसवंत सिंह कंधार पहुंचे, तो प्रारंभ में तालिबान से संपर्क स्थापित करने में कठिनाई हुई।
उनकी आत्मकथा में उल्लेखित उस क्षण में, जब विवेक काटजू ने उनसे पूछा कि क्या पहले आतंकियों को छोड़ना है या पैसेंजर्स को सुरक्षित करना है, यह इस बात का संकेत था कि स्थिति कठिन और संवेदनशील थी। अंततः, उनके पास आतंकियों को छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, जो कि उस समय की असाधारण स्थिति में एक कठिन उपाय था।
"IC814: द कंधार हाइजैक" पर क्यों हुआ बवाल?
वेब सीरीज में दिखाए गए आतंकियों के नामों पर उठे विवाद का मुख्य कारण यह है कि इन नामों को हिंदू नामों के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जबकि वास्तविकता में ये आतंकवादी मुस्लिम थे। सोशल मीडिया पर इसे लेकर जनाक्रोश उस समय बढ़ गया जब दर्शकों ने यह महसूस किया कि निर्माताओं ने जानबूझकर इस प्रकार के नामों का चयन किया है, जो कि सांस्कृतिक और धार्मिक आधार पर विवादित हो सकता है।
इस आलोचना का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि जब इतनी संवेदनशील और गंभीर घटनाओं को फिल्माया जाता है, तो उन्हें किस प्रकार से प्रस्तुत किया जाता है, यह दर्शकों की धारणाओं और संवेदनाओं पर गहरा असर डाल सकता है। कई लोग इसे एक गलतफहमी या फिर चेष्टा मानते हैं, जिसके माध्यम से सांप्रदायिक स्टीरियोटाइप को बढ़ावा दिया जा रहा है।