Tesla: भारत में टेस्ला की होगी एंट्री, प्रधानमंत्री मोदी और Elon Musk की मीटिंग का दिखा असर, जानिए Tesla Cars की बिक्री कब होगी शुरू?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संयुक्त राज्य अमेरिका में टेस्ला के मालिक एलोन मस्क से मुलाकात के बाद, टेस्ला ने भारत में अपनी गतिविधियों को तेज कर दिया है। टेस्ला ने भारत में अपनी इलेक्ट्रिक कारों की पहली खेप उतारने की तैयार हैं।

नई दिल्ली: हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने अमेरिका दौरे के दौरान इलेक्ट्रिक कार निर्माता कंपनी टेस्ला के मालिक एलोन मस्क से मिले। पीएम मोदी और एलोन मस्क की मुलाकात के बाद टेस्ला ने भारत में कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके साथ ही, टेस्ला की इलेक्ट्रिक कारों की पहली खेप भी अब भारत आने वाली है। इसके अलावा, टेस्ला कारों की बिक्री के लिए एक बुकिंग पोर्टल भी लॉन्च किया जाएगा, जिससे भारतीय ग्राहक आसानी से अपनी कार बुक कर सकेंगे।

क्या हैं भारत में टेस्ला का प्लान?

टेस्ला, जो कि एक प्रमुख इलेक्ट्रिक कार निर्माता कंपनी है, अब भारतीय बाजार में अपनी एंट्री की योजना बना रही है। कंपनी का उद्देश्य भारत में पहले अपने महंगे मॉडलों को लॉन्च करना है, और इसके बाद सस्ते मॉडल्स को भी पेश किया जाएगा। टेस्ला की पहली खेप की इलेक्ट्रिक कारें अगले कुछ महीनों में मुंबई के पास स्थित बंदरगाह पर उतारी जा सकती हैं। इनकी बिक्री इस साल की तीसरी तिमाही में मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु जैसे प्रमुख शहरों में शुरू की जा सकती है।

क्या भारत में टेस्ला कारें बनाई जाएंगी?

अब सवाल यह उठता है कि क्या टेस्ला भारत में अपनी कारों का निर्माण करेगी? फिलहाल इस पर कोई स्पष्ट संकेत नहीं हैं। टेस्ला की योजना इस पर निर्भर करेगी कि भारत सरकार आयात शुल्क में कितनी छूट देती है। अगर भारत में मैन्युफैक्चरिंग के लिए निवेश किया जाता है, तो टेस्ला को ज्यादा छूट मिल सकती है। लेकिन अभी तक ऐसा कोई संकेत नहीं है कि टेस्ला भारत में अपनी गाड़ियों का उत्पादन शुरू करने वाली है। वर्तमान में कारें आयात की जाने की संभावना है।

कस्टम ड्यूटी में कमी

पहले 40 हजार डॉलर (करीब 35 लाख रुपये) से महंगी गाड़ियों पर 110% कस्टम ड्यूटी लागू होती थी, जिसे अब घटाकर 70% कर दिया गया है। वहीं, यदि टेस्ला भारत सरकार के साथ एमओयू करती है, तो 35 हजार डॉलर से महंगी गाड़ियों पर 15% कस्टम ड्यूटी लगेगी, लेकिन इसके लिए एक शर्त होगी कि एक साल में 8 हजार से कम इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (ईवी) आयात किए जाएं।

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