Digital Arrest: डिजिटल अरेस्ट की साजिश, पार्सल और वॉट्सएप कॉल से होती है ठगी की शुरुआत, जानें पूरा सच

Digital Arrest: डिजिटल अरेस्ट की साजिश, पार्सल और वॉट्सएप कॉल से होती है ठगी की शुरुआत, जानें पूरा सच
Last Updated: 02 नवंबर 2024

Digital Arrest Scam: साइबर अपराधी खुद को अधिकारी बताकर लोगों को मनी लॉन्ड्रिंग या ड्रग्स जैसे झूठे आरोपों में फंसाने की धमकी देते हैं और उनसे मोटी रकम ऐंठते हैं। जानिए इस साइबर धोखाधड़ी से बचने के तरीके।

साइबर अपराधों का बढ़ता खतरा डिजिटल अरेस्ट से बचें! देश भर में साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं, और डिजिटल अरेस्ट स्‍कैम एक नया खतरा बनकर उभरा है। इन धोखाधड़ी में, ठग लोगों को उनके डिजिटल उपकरणों, जैसे मोबाइल फोन या कंप्यूटर को जब्त कर लेने का डर दिखाकर करोड़ों रुपये लूट रहे हैं। इस तरह के धोखाधड़ी के बढ़ते प्रसार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक को चिंता में डाल दिया है, जिन्होंने देशवासियों को इस तरह के स्कैम से सतर्क रहने की सलाह दी है। क्या आप जानते हैं कि डिजिटल अरेस्ट क्या है? कैसे पहचानें इस खतरे को और इससे बचने के लिए क्या करें? आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं...

डिजिटल अरेस्ट: सावधान रहें, ये एक साइबर स्कैम है!

 आजकल, साइबर क्राइम तेजी से बढ़ रहा है और "डिजिटल अरेस्ट" नामक एक नया स्कैम सामने आया है। इस स्कैम में, आपको फोन पर पुलिस, सीबीआई, नारकोटिक्स, आरबीआई या दिल्‍ली/मुंबई पुलिस अधिकारी बनकर फोन किया जाता है। वॉट्सएप या स्काइप कॉल पर, ये स्कैमर बहुत ही यकीन दिलाने वाले अंदाज में बात करते हैं, जिससे आपको लगता है कि आप सच में एक पुलिस अधिकारी से बात कर रहे हैं। वे आपको भावनात्मक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हैं, आपको यह कहकर डराते हैं कि आपके या आपके परिजनों के साथ कुछ बुरा हुआ है या होने वाला है। वे अपनी बातों को इतनी सच्चाई से पेश करते हैं कि ज्यादातर लोग डर जाते हैं और उनके जाल में फंस जाते हैं। इसलिए, अगर आपको कभी ऐसा फोन आए तो सावधान रहें। पुलिस कभी भी इस तरह से संपर्क नहीं करेगी। कोई भी व्यक्तिगत जानकारी या बैंक डिटेल शेयर न करें। यदि आपको संदेह हो, तो तुरंत अपनी स्थानीय पुलिस से संपर्क करें। धोखाधड़ी का शिकार होने से बचने के लिए जागरूक रहें और अपने और अपने परिवार की सुरक्षा का ध्यान रखें।

डिजिटल अरेस्ट का खेल कैसे खेला जाता है?

अनजान नंबर से व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल आती है। इस कॉल में बताया जाता है कि कोई व्यक्ति किसी मुसीबत में फंसा हुआ है या परिवार के किसी सदस्य को किसी मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है। इसके बाद, कॉल करने वाले द्वारा लगातार वीडियो कॉल पर बने रहने के लिए धमकी दी जाती है। स्कैमर्स अक्सर पीड़ितों पर मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स के धंधे, या अन्य अवैध गतिविधियों का आरोप लगाते हैं। इसके साथ ही, पीड़ित को यह भी कहा जाता है कि वह इस मामले के बारे में किसी को कुछ न बताए। वीडियो कॉल करने वाले व्यक्ति का बैकग्राउंड पुलिस स्टेशन जैसा दिखता है, जिससे पीड़ित को यह भ्रम होता है कि पुलिस उससे ऑनलाइन पूछताछ कर रही है या उसकी मदद कर रही है। फिर, केस को बंद करने और गिरफ्तारी से बचने के लिए मोटी रकम की मांग की जाती है। यह सब एक संगठित तरीके से किया जाता है, जिससे पीड़ित जल्दी से डर और तनाव में फंस जाते हैं।

डिजिटल अरेस्ट को कैसे पहचानें?

डिजिटल अरेस्ट की पहचान करने के लिए सतर्कता जरूरी है। यदि आपको किसी अनजान नंबर से फोन या वॉट्सएप कॉल आती है, तो कॉल रिसीव करते समय मुंबई पुलिस की सलाह को ध्यान में रखें।

मुंबई पुलिस की सलाह

 पुलिस अधिकारी कभी भी अपनी पहचान बताने के लिए वीडियो कॉल का सहारा नहीं लेंगे। - पुलिस अधिकारी आपसे किसी एप को डाउनलोड करने के लिए नहीं कहेंगे। - पहचान पत्र, FIR की कॉपी और गिरफ्तारी वारंट को ऑनलाइन साझा नहीं किया जाएगा। - पुलिस अधिकारी कभी भी वॉयस या वीडियो कॉल पर आपके बयान नहीं रिकॉर्ड करते हैं। - पुलिस अधिकारी कॉल के जरिए कभी भी पैसे या व्यक्तिगत जानकारी मांगने के लिए आपको डराते नहीं हैं। वे आपको अन्य लोगों से बात करने से भी नहीं रोकते हैं। ध्यान रखें कि कानून में डिजिटल गिरफ्तारी का कोई प्रावधान नहीं है; वास्तविक गिरफ्तारी ही होती है। ऐसे मामलों में सतर्क रहना जरूरी है।

डिजिटल अरेस्ट से बचाव के उपाय

सतर्कता बरतें

किसी भी सरकारी एजेंसी द्वारा वॉट्सएप या स्काइप पर संपर्क नहीं किया जाता। अनजान कॉल या संदेशों पर संदेह हो तो तुरंत कॉल काट दें और लंबी बातचीत से बचें।

नज़रअंदाज़ करें

यदि किसी कॉल या ईमेल में मनी लॉन्ड्रिंग या अपराध के आरोप की बात हो, तो उस पर ध्यान न दें। ऐसे संदेशों को इग्नोर करें।

घबराएं नहीं

साइबर ठग कानूनी कार्रवाई की धमकी दे सकते हैं, लेकिन घबराएं नहीं। बैंक डिटेल्स या यूपीआई आईडी जैसी संवेदनशील जानकारी साझा न करें।

जल्दबाजी न करें

ठगों के सवालों का जवाब देने में हड़बड़ी न करें। शांत रहें और निजी जानकारी साझा करने से बचें।

सबूत जुटाएं

कॉल के स्क्रीनशॉट या वीडियो रिकॉर्डिंग रखें ताकि जरूरत पड़ने पर इन्हें उपयोग में ला सकें।

फिशिंग से सावधान रहें

अनजान ईमेल से आए लिंक या संदेशों पर क्लिक न करें, क्योंकि ये ठग आपके कंप्यूटर से डेटा चुरा सकते हैं।

धोखाधड़ी रिपोर्ट करे

किसी भी संदिग्ध गतिविधि को साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर या वेबसाइट cybercrime.gov.in पर तुरंत रिपोर्ट करें।

क्या आप फर्जी कॉल्स की ऑनलाइन शिकायत कर सकते हैं?

 व्हाट्सएप पर आने वाली फर्जी कॉल्स और संदेशों को रोकने के लिए टेलीकॉम विभाग ने 'चक्षु' (Chakshu) नामक एक पोर्टल लॉन्च किया है। इस पोर्टल पर आप स्पैम कॉल्स, संदेश, और व्हाट्सएप पर आने वाली फर्जी कॉल्स और संदेशों की शिकायत कर सकते हैं।

चक्षु पोर्टल पर शिकायत करने की प्रक्रिया

संचार साथी पोर्टल की आधिकारिक वेबसाइट sancharsaathi.gov.in पर जाकर शुरुआत करें।

सिटीजन सेंट्रिक सर्विसेज" विकल्प पर क्लिक करें।

रिपोर्ट सस्‍पेक्‍टेट फ्रॉड कम्युनिकेशन" पर क्लिक करके धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज करने के लिए आगे बढ़ें।

कंटीन्यूअस फॉर रिपोर्टिंग विकल्प पर क्लिक करें।

एक फॉर्म खुल जाएगा, जिसमें आपको फर्जी कॉल या संदेश की जानकारी भरनी है।

उपलब्ध फ्रॉड लिस्ट में से संबंधित शिकायत पर क्लिक करें।

फर्जी कॉल या मैसेज का स्क्रीनशॉट अपलोड करें ताकि आपके दावे को समर्थन मिले।

अपना नाम और मोबाइल नंबर प्रदान करें।

कैप्चा कोड दर्ज करें और OTP के माध्यम से वेरिफाई करें, फिर फॉर्म सबमिट कर दें।

डिजिटल अरेस्ट से कितना नुकसान?

गृह मंत्रालय की साइबर विंग के अनुसार, डिजिटल अरेस्ट के माध्यम से साइबर ठग हर दिन निर्दोष लोगों से लगभग छह करोड़ रुपये की ठगी कर रहे हैं। इस साल अक्टूबर तक, डिजिटल अरेस्ट से जुड़ी कुल 92,334 घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिसमें 2140 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी हुई है। यदि औसत निकाला जाए, तो हर महीने करीब 214 करोड़ रुपये की साइबर ठगी होती है। यह आंकड़ा बेहद छोटा प्रतीत होता है, जबकि वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक है। कई लोग तो डर और सामाजिक बदनामी के कारण इस मुद्दे को सामने लाने से कतराते हैं।

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