पश्चिम बंगाल की अपराधशील जांच विभाग (CID) ने साइबर धोखाधड़ी गिरोह का पर्दाफाश करते हुए, उन्होंने हजारों करोड़ रुपये के कई घोटालों में शामिल दो मास्टर माइंड को गिरफ्तर किया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से पैसे ठगे हैं। वे सोशल मीडिया पे एक्टिव लोगों के एक ग्रुप को टारगेट बनाकर उन प्लेटफॉर्म पर ग्रुप बनाते थे और उसके बाद पैसे ठगते थे।
West Bengal: पश्चिम बंगाल (West Bengal) की अपराधशील जांच विभाग (CID) ने भारत के सबसे बड़े साइबर धोखाधड़ी गैंग में शामिल एक ग्रुप का पर्दाफाश किया है। बता दें कि, यह गैंग कथित तौर पर हजारों करोड़ रुपये के कई घोटालों में शामिल थी। जांच में सामने आया है कि इस गैंग ने पिछले 5 साल से यूपी से दिल्ली और हरियाणा तक अपना अलग समाज बनाना शुरू किया। यह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए लोगों से पैसे ठगने की वारदात को अंजाम देते थे।
सोशल मीडिया पर ग्रुप बनाकर पैसे ठगते थे
CID सूत्रों के अनुसार, मास्टर माइंड की एक गैंग ने कई सोशल मीडिया मैसेंजर प्लेटफॉर्म जैसे WhatsApp, Telegram, और Facebook Messenger पर गतिविधि की है। उन्होंने सोशल मीडिया के जरिये आम लोगों के एक ग्रुप को टारगेट बनाया और उस ग्रुप में ऐड होकर ग्रुप के लोगों से पैसे ठगते थे। यह तकनीकी रूप से योजनित और संगठित था, जिसमें सोशल मीडिया के माध्यम से विशेष ध्यान देने वाले लोगों को लक्ष्य बनाया गया।
इस मामले की CID ने दी जानकारी
CID ने जांच के दौरान अपने बयान में बताया कि, यह मास्टर माइंड गैंग सोशल मीडिया यूजर्स कोअपने अलग ग्रुप में जोड़ता था, जो वित्तीय निवेश की संभावनाओं में रुचि रखते थे। उन्होंने इन लोगों को कई ग्रुप्स में जोड़ा और उन्हें क्रिप्टोकरेंसी और अन्य निवेश के बारे में सलाह दी, जिसमें उन्होंने विशेष रूप से अधिक पैसे कमाने की बात की। ये ग्रुप बनाने का उद्देश्य था कि लोगों को उनकी सम्मानितता और विश्वास के साथ विशेष निवेश करने के लिए प्रेरित किया जाए, जो बाद में उनको ठगा गया।
कैसे ठगते थे लोगों से पैसे?
CID अधिकारियों के बयान के अनुसार, ये धोखाधड़ी गैंग सोशल मीडिया ग्रुप्स में मेंबर्स को जोड़कर उनसे वित्तीय निवेशों के माध्यम से पैसे कमाने का धोखा देते थे। ग्रुप का विचारित प्रबंधन इन गिरोहों के लिए मुख्य होता था, जहां एडमिन्स ने निर्दिष्ट निवेश योजनाओं की प्रचार-प्रसार किया और नए सदस्यों को इसमें जोड़ा गया। इन ग्रुप्स में ज्यादातर मेंबर्स उनके सुझाए गए इन्वेस्ट प्लान्स पर चर्चा करते और इसमें शामिल होने के लिए रुचि दिखाते थे। ये धोखाधड़ी कार्य एक परिणामशील प्रक्रिया के तहत चलता था, जिसमें धोखाधड़ ग्रुप के सदस्यों को विशेष तकनीकी और सामाजिक तरीके से प्रभावित करने का प्रयास किया जाता था।
उनकी इस क्रिप्टोकरेंसी प्रक्रिया के माध्यम से पैसे विदेश भेजना या इन्वेस्ट करना बहुत मुश्किल हो सकता है और इसे ठगों का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह लोगों को अपने पैसे को खोने के खतरे में डाल सकता है और उनकी वित्तीय स्थिति को भी प्रभावित कर सकता है।
फर्जीवाड़े के लिए बनाई कंपनी
मिली जानकारी के अनुसार, धोखाधड़ी में शामिल गैंग ने फर्जी कंपनियों के माध्यम से लूटे गए पैसे को फर्जी कंपनी बनाने में इन्वेस्ट किया। ये कंपनियां फर्जी डाक्यूमेंट्स के जरिए संचालित किया गया था ताकि, लोगों को यकीन दिलाया जा सके कि उनके पैसे सुरक्षित हैं और वे इन कंपनियों में इन्वेस्ट कर सके।
इस दौरान बदननगर साइबर पुलिस स्टेशन में 43 लाख रुपए की साइबर थोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया था, जिसकी जांच के लिए पश्चिम बंगाल CID को जिम्मेदारी सौंप दी गई थी। इस जांच के दौरान, पश्चिम बंगाल आपराधिक जांच विभाग के साइबर पुलिस स्टेशन ने एक शेल कंपनी की जांच पड़ताल की, जिसमें घोटाले का पैसा इन्वेस्ट किया गया था। इस शेल कंपनी के बैंक विवरणों की जांच से पता चला कि इसमें अन्य शेल कंपनियों के खातों में हजारों करोड़ रुपए के ट्रांसफर हुए थे।
घोटाले में शामिल दो मास्टर माइंड गिरफ्तार
पश्चिम बंगाल के आपराधिक जांच विभाग (CID) के सूत्रों के अनुसार, सीआईडी ने दो फर्जी कंपनियों के डायरेक्टर की पहचान की और उन्हें कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार किया है। जांच में बताया कि इन आरोपियों की पहचान हरियाणा से मानुष कुमार और दिल्ली के सत्येंद्र महतो के रूप में हुई है। इस दौरान उन्हें ट्रांजिट रिमांड पर लेकर पश्चिम बंगाल ले जाया गया है।
इस मामले के अनुसार, अधिकारियों का कहना है कि छापेमारी में एक हजार करोड़ रुपये का बड़ा घोटाला सामने आया है, बताया कि यह केवल इस पुरे मामले की एक झलक है। अभी इस मामले में जांच और न्यायिक प्रक्रिया जारी हैं, ताकि अपराधियों को सख्त से सख्त सजा मिल सके।