उड़ीसा: अग्नि-5 मिशन का सफल परीक्षण, PM ने DRDO को दी बधाई; ऐसी तकनीक... पाक-चीन की उडी नींद
भारत ने पहली बार ज्यादा परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम एमआइआरवी तकनीकी से निर्मित लैस बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफलता पूर्वक परीक्षण किया है. इसके साथ ही भारत ने भी दुनिया के चुनिंदा देशों में खुद को शामिल कर लिया है. मिसाइल की मारक (प्रहार) क्षमता 5 हजार किमी. से भी अधिक हैं।
भुवनेश्वर: भारत ने अधिक परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम एमआइआरवी तकनीकी से निर्मित अग्नि 5 मिसाइल का सफल तौर परीक्षण किया है. इस परिक्षण के बाद भारत दुनिया के चुनिंदा देशों में स्थान हासिल कर है, जिनके पास एमआइआरवी तकनीकी पर आधारित लैस मिसाइल है. अधिकारी ने इस मिसाइल की खासियत के बारे Subkuz.com की टीम को बताया कि ओडिशा के बालेश्वर में स्थित इंटरिम परीक्षण रेंज से इस ताकतवर और लंबी दूरी तक भेदन करने वाली मिसाइल का सफल परीक्षण हुआ है. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने DRDO के वैज्ञानिकों को बधाई दी हैं।
प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर दी जानकारी
जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी जी ने सोमवार को ट्वीट पर लिखा कि मल्टिपल इंडीपेंडेंटली टारगेट ब्लू री-एंट्री व्हीकल तकनीकी के आधार पर निर्मित देश में पहली बार अग्नि 5 मिसाइल फ्लाइट टेस्ट (सफल टेस्ट) किया गया है. इस मिशन के लिए मुझे डीआरडीओ (Defence Research and Development Organisation) के वैज्ञानिकों पर बहुत गर्व हैं।
लंबी दुरी और अधिक परमाणु ले जाने वाली मिसाइल
जानकारी के अनुसार ओडिशा के बालेश्वर में स्थित एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप के इंटररिम परीक्षण रेंज में ताकतवर और लंबी दूरी की मिसाइल के 25वें वर्जन का सफलपूर्वक टेस्ट हुआ। यह मिसाइल जमीन से जमीन पर वार करने वाली महादेशीय बैलेस्टिक मिसाइल है. इस मिसाइल की लक्ष्यभेद क्षमता 5 हजार किलोमीटर से भी ज्यादा है. यह मिसाइल पाकिस्तान और चीन देश के लिए चिंता व्यक्त कर रही है क्योकि यह किसी भी शहर में तांडव मचाने में सक्षम हैं।
बताया गया है कि मल्टीपल इंडिपेंडेंट टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल तकनीक पर आधारित है जो बैलिस्टिक मिसाइल को एक से अधिक परमाणु हथियार ले जाने की अनुमति प्रदान करता है. यह मिसाइल 1.6 टन वजन तक परमाणु एवं गैर परमाणु विध्वसंक ले जाने में उपयोगी है. इस मिसाइल को डीआरडीओ रिसर्च सेंटर बिल्डिंग, एडवांस सिस्टम लाबोरेटरी और डिफिेंस रिसर्च तथा डेवलेपमेंट लाबोरेटरी (डीआरडीएल) ने मिलकर निर्माण (विकसित) किया हैं।