Jammu-Kashmir: जम्मू-कश्मीर विधानसभा में आर्टिकल 370 को लेकर उथल-पुथल, हाथापाई और हंगामे के बाद स्थगित हुई बैठक

Jammu-Kashmir: जम्मू-कश्मीर विधानसभा में आर्टिकल 370 को लेकर उथल-पुथल, हाथापाई और हंगामे के बाद स्थगित हुई बैठक
Last Updated: 1 दिन पहले

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में आज अनुच्छेद 370 की बहाली को लेकर हंगामा हुआ। विधायक खुर्शीद अहमद शेख ने सदन में बैनर प्रदर्शित किया, जिसके बाद विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने विरोध जताया। दोनों पक्षों के बीच हाथापाई हुई, और विधानसभा की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई।

Jammu-Kashmir: जम्मू-कश्मीर विधानसभा में अनुच्छेद 370 की वापसी पर प्रस्ताव को लेकर हंगामा जारी है। इस दौरान सदस्यों के बीच जमकर बवाल हुआ और हाथापाई की घटना भी हुई। विधायक खुर्शीद अहमद शेख, जो इंजीनियर रशीद के भाई हैं, ने अनुच्छेद 370 के समर्थन में बैनर प्रदर्शित किया। इस पर विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने विरोध जताया, जिसके बाद हंगामा शुरू हो गया। हंगामे के बाद विधानसभा की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में एक दिन पहले भी हंगामा हुआ था, जिसके बाद सदन को स्थगित कर दिया गया था। गुरुवार को फिर से सेशन शुरू हुआ, जहां इंजीनियर रशीद के भाई और विधायक खुर्शीद अहमद शेख ने अनुच्छेद 370 पर एक बैनर प्रदर्शित किया। इस पर विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने आपत्ति जताई, जिससे तनाव बढ़ गया।

सुनील और खुर्शीद शेख के बीच हाथापाई

सुनील शर्मा की आपत्ति के बाद विवाद बढ़ गया और स्थिति हाथापाई तक पहुंच गई। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही कुछ समय के लिए स्थगित कर दी। बुधवार को उपमुख्यमंत्री सुरिंदर कुमार चौधरी ने अनुच्छेद 370 को बहाल करने का प्रस्ताव पेश किया, जिस पर सुनील शर्मा ने कड़ा विरोध जताया। इसके बाद विधानसभा में तीखी बहस हुई।

वहीद पारा द्वारा पेश किया प्रस्ताव

जम्मू-कश्मीर विधानसभा के उद्घाटन सत्र में सोमवार को अनुच्छेद 370 को लेकर प्रस्ताव पेश किया गया। पुलवामा से पीडीपी के विधायक वहीद पारा ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे और राज्य के दर्जे को बहाल करने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया। यह कदम 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के खिलाफ उनकी पार्टी के रुख के अनुरूप था।

सीएम ने किया ख़ारिज

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पीडीपी नेता वहीद पारा द्वारा पेश किए गए अनुच्छेद 370 पर प्रस्ताव को 'प्रतीकात्मक' बताते हुए खारिज कर दिया। उन्होंने यह आरोप लगाया कि प्रस्ताव वास्तविक इरादे से नहीं, बल्कि जनता का ध्यान आकर्षित करने के लिए पेश किया गया था।

अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि यदि इस मुद्दे पर गंभीरता से चर्चा करनी थी, तो इसे नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ परामर्श करके पेश किया जाना चाहिए था। उनके इस बयान ने पार्टी में आंतरिक कलह को उजागर किया, जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपने घोषणापत्र में अनुच्छेद 370 की बहाली और जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता को प्रमुख मुद्दा बनाया था।

व्यापक राजनीतिक बहस

2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के बाद विधानसभा के पहले सत्र में अनुच्छेद 370 को लेकर बहस ने जोर पकड़ लिया है। यह सत्र अत्यधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह एक दशक से अधिक समय बाद जम्मू-कश्मीर में निर्वाचित सरकार की वापसी का प्रतीक है। हाल के चुनावों में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के गठबंधन ने 90 सदस्यीय विधानसभा में 49 सीटें जीतीं, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भा..पा.) को 29 सीटें प्राप्त हुईं, जिससे एक विभाजित जनादेश सामने आया।

 

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