बिहार विधानसभा चुनाव से पहले प्रशांत किशोर को बड़ा झटका लगा है। उनकी पार्टी 'जन सुराज' से पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रसाद यादव और पूर्व सांसद मोनाजिर हसन ने कोर कमेटी से इस्तीफा दे दिया है।
Prashant Kishor News: बिहार में 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले चुनावी रणनीतिकार और 'जन सुराज' के सूत्रधार प्रशांत किशोर को बड़ा झटका लगा है। पार्टी की कोर कमेटी के दो प्रमुख सदस्य, पूर्व सांसद मोनाजिर हसन और पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रसाद यादव ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।
इस इस्तीफे की घोषणा निजी कारणों का हवाला देते हुए की गई है। इन दोनों नेताओं ने लंबे समय तक भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पूर्व सांसद मोनाजिर हसन ने आरजेडी और जेडीयू में भी कार्य किया है, जबकि पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रसाद यादव राजद से 'जन सुराज' में आए थे।
जन सुराज में नेतृत्व संकट?
मोनाजिर हसन और देवेंद्र प्रसाद यादव के इस्तीफे ने 'जन सुराज' में असंतोष के संकेत भी दिए हैं। हसन और यादव दोनों अनुभवी नेता हैं और राजद के महत्वपूर्ण राजनीतिक दलों से जुड़ाव रहे हैं। इन दोनों नेताओं का पार्टी में महत्वपूर्ण योगदान था, खासकर संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने में।
हाल ही में 'जन सुराज' की 125 सदस्यीय कोर कमेटी का गठन किया गया था, जिसमें इन दोनों नेताओं को शामिल किया गया था। उनकी अनुपस्थिति ने पार्टी की कार्यक्षमता पर सवाल उठाए हैं और संकेत दिया है कि 'जन सुराज' में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।
'जन सुराज' की चुनावी विफलताएं
हाल ही में बिहार में विधानसभा की चार सीटों पर उपचुनाव हुए थे। 'जन सुराज' पहली बार इन चुनावों में उतरी लेकिन सभी सीटें हार गईं। पीके की पार्टी ने इमामगंज में 37,000 से अधिक, बेलागंज में 17,000 से अधिक वोटों पर संतोष किया। इसके अलावा, बिहार विधान परिषद के तिरहुत स्नातक क्षेत्र के उपचुनाव में भी 'जन सुराज' हार गई। इन चुनावी विफलताओं ने पार्टी की चुनावी तैयारियों और भविष्य की योजनाओं पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
बिहार में 2025 विधानसभा चुनाव की तैयारियां
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव 2025 में होने वाले हैं। इनमें महागठबंधन और NDA के बीच कड़ी टक्कर की उम्मीद है। इन चुनावों में सभी प्रमुख राजनीतिक दल अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दे रहे हैं। विशेष रूप से 'जन सुराज' को इस बार अपनी रणनीति को और मजबूत करने की आवश्यकता है, ताकि पार्टी को पिछली विफलताओं का सामना न करना पड़े। 2025 में होने वाले चुनावों में प्रशांत किशोर को अब पार्टी को नई दिशा देने की चुनौती होगी, और देखना होगा कि वे इस स्थिति से कैसे निपटते हैं।