बिहार की राजनीति में इस समय बयानबाजी का दौर तेज हो चुका है, और आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए व 'इंडिया' गठबंधन के नेता एक-दूसरे पर तीखे हमले कर रहे हैं।
पटना: बिहार की राजनीति में इस समय बयानबाजी का दौर तेज हो चुका है, और आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए व 'इंडिया' गठबंधन के नेता एक-दूसरे पर तीखे हमले कर रहे हैं। इस बीच, उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए ‘व्याकुल’ शब्द का इस्तेमाल किया, जिसे पहले सम्राट चौधरी ने चर्चित बनाया था।
कैसे शुरू हुआ 'व्याकुल' विवाद?
दरअसल, साल 2021 में पंचायती राज मंत्री रहते हुए सम्राट चौधरी ने तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा को ‘ज्यादा व्याकुल नहीं होना है’ कहकर नाराज कर दिया था। यह विवाद इतना बढ़ा कि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को हस्तक्षेप करना पड़ा था। अब, इसी शब्द को विजय सिन्हा ने तेजस्वी यादव पर पलटवार के लिए इस्तेमाल किया हैं।
तेजस्वी यादव ने हाल ही में बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं और सरकारी रसोइयों की स्थिति को लेकर सरकार को घेरा था। इसके जवाब में विजय सिन्हा ने कहा, "तेजस्वी यादव सत्ता में वापसी के लिए व्याकुल हैं, लेकिन जनता अब उन्हें दोबारा जंगलराज नहीं लौटने देगी।" उन्होंने आगे कहा कि राजद-कांग्रेस के शासन में बिहार अपहरण, लूट और अराजकता का गढ़ बन गया था, और अब फिर से वही दौर लाने की कोशिश की जा रही हैं।
तेजस्वी का पलटवार
तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर राज्य में महिलाओं से जुड़े मुद्दों को उठाते हुए लिखा, "सदन और बिहार के अंदर कौन महिलाओं का सम्मान करता है और कौन उन्हें अपमानित करता है, यह जनता खुद तय करेगी।" इसके अलावा, उन्होंने सरकारी स्कूलों में काम करने वाले रसोइयों के आंदोलन को समर्थन देते हुए कहा कि उनकी सरकार आने पर उनका वेतन बढ़ाया जाएगा और उन्हें बीमा व स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी।
बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एनडीए और 'इंडिया' गठबंधन के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला लगातार जारी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में जहां एनडीए पूरी तैयारी में जुटा है, वहीं विपक्ष अब तक अपने नेता को तय नहीं कर पाया है। ऐसे में, ‘व्याकुल’ शब्द अब राजनीतिक वाद-विवाद का नया केंद्र बन गया है, जिसका इस्तेमाल दोनों पक्ष एक-दूसरे पर हमला करने के लिए कर रहे हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव नजदीक आते ही बिहार की राजनीति में ऐसी बयानबाजियां और तेज होंगी। अब देखना यह होगा कि जनता किसके ‘व्याकुल’ होने को चुनाव में सही साबित करती हैं।