प्रदेश जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार, प्रवक्ता अंजुम आरा और मनीष यादव ने मंगलवार को एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह कहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को चाहिए कि वे दुबई से स्मार्ट मीटर लाकर बिहार के लोगों को उसका प्रदर्शन करें।
Patna: तेजस्वी यादव पर स्मार्ट मीटर को लेकर विवाद बिहार की राजनीतिक खबरों में जदयू और कांग्रेस के बीच स्मार्ट मीटर के मुद्दे पर बहस छिड़ी हुई है। जदयू ने यह आरोप लगाया है कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने स्मार्ट मीटर का विरोध नहीं किया जब वे सरकार में थे।
वहीं, कांग्रेस का कहना है कि स्मार्ट मीटर के जरिए उपभोक्ताओं से अधिक बिजली बिल की वसूली की जा रही है। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस आज से जन-जागरण अभियान शुरू करने जा रही है।
केरल में स्मार्ट मीटर के विरोध में तेजस्वी
जदयू प्रवक्ताओं ने टिप्पणी की है कि केरल में भी स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं और वहां बड़ी संख्या में बिहार के लोग निवास करते हैं। उन्होंने सवाल उठाया है कि जो तेजस्वी यादव यहां हाय-तौबा मचाते हैं, वे केरल में स्मार्ट मीटर के खिलाफ आंदोलन करने कब जाएंगे? जब 112 लाख स्मार्ट मीटर लगाने का टेंडर जारी किया गया और 2023-24 में कंपनी के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, उस समय तेजस्वी यादव सरकार का हिस्सा थे। तब उन्होंने इसका विरोध क्यों नहीं किया?
जदयू के प्रवक्ताओं ने बताया कि स्मार्ट प्रीपेड़ मीटर का मुख्य उद्देश्य बिजली चोरी को रोकना और बिलिंग प्रक्रिया को ठीक करना है। पुराने मीटर को बदलने के लिए उपभोक्ताओं से कोई भी शुल्क नहीं लिया जाएगा। इसके साथ ही, उपभोक्ताओं के बीच जागरूकता फैलाने के लिए एक अभियान भी चलाया जा रहा है।
आज से स्मार्ट मीटर के खिलाफ कांग्रेस
बिजली के स्मार्ट मीटर के विरोध में कांग्रेस आज, यानी बुधवार से एक जन-जागरण अभियान की शुरुआत कर रही है। नालंदा में आयोजित होने वाली जनसभा में बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष डा. अखिलेश प्रसाद सिंह जन-जागरण का उद्घाटन करेंगे। वे समाज के विभिन्न वर्गों के साथ स्मार्ट प्री-पेड मीटर के माध्यम से कथित रूप से हो रही उगाही पर चर्चा करेंगे।
इस अभियान का उद्देश्य स्मार्ट मीटर के दुरुपयोग और इस योजना की वास्तविक मंशा से आम जनता को अवगत कराना है। बिहार कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौड़ ने आरोप लगाया है कि स्मार्ट मीटर के जरिए उपभोक्ताओं से अधिक बिजली बिल वसूला जा रहा है।
उन्होंने कहा कि कम बिजली की खपत करने के बावजूद उपभोक्ताओं को अधिक राशि का भुगतान करना पड़ता है, जो कि जनता की जेब पर बोझ डालने वाला तरीका है।