भारत के सर्वोच्च न्यायालय के दो वरिष्ठ न्यायाधीश, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत, 7 मार्च से 15 मार्च तक केन्या के दौरे पर हैं। यह यात्रा वैश्विक न्यायिक सहयोग को मजबूत करने और न्याय प्रणाली में तकनीकी नवाचारों को अपनाने के तरीकों पर चर्चा के लिए की जा रही हैं।
नई दिल्ली: भारत के सर्वोच्च न्यायालय के दो वरिष्ठ न्यायाधीश, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत, 7 मार्च से 15 मार्च तक केन्या के दौरे पर हैं। यह यात्रा वैश्विक न्यायिक सहयोग को मजबूत करने और न्याय प्रणाली में तकनीकी नवाचारों को अपनाने के तरीकों पर चर्चा के लिए की जा रही है। इस उच्च स्तरीय कार्यक्रम में केन्या और भारत के न्यायाधीशों के बीच न्यायिक दक्षता को बढ़ाने के संभावित तरीकों पर विचार किया जाएगा।
इस यात्रा का प्रमुख विषय न्याय वितरण प्रणाली में प्रौद्योगिकी का अधिकतम उपयोग करना है। न्यायमूर्ति गवई सर्वोच्च न्यायालयों के बीच आपसी सहयोग और न्यायिक प्रशासन में नवाचारों पर चर्चा करेंगे। वहीं, न्यायमूर्ति सूर्यकांत सेवा वितरण में सुधार, न्यायिक चुनौतियों और सर्वोत्तम न्यायिक प्रक्रियाओं पर अपने विचार साझा करेंगे। दोनों न्यायाधीश नैरोबी विश्वविद्यालय के लॉ स्कूल में भी व्याख्यान देंगे।
केन्या की मुख्य न्यायाधीश मार्था के कूम होंगी सहभागी
इस बैठक में केन्या के सर्वोच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश और अध्यक्ष, मार्था के कूम भी प्रमुख भूमिका निभा रही हैं। दिलचस्प बात यह है कि न्यायमूर्ति कूम 2023 में भारत की यात्रा कर चुकी हैं, जहां उन्होंने भारतीय सर्वोच्च न्यायालय की कार्यवाही में भाग लिया था और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मुलाकात की थी। अब, भारतीय न्यायाधीशों की यह यात्रा द्विपक्षीय न्यायिक संबंधों को और मजबूत करने का अवसर प्रदान कर रही हैं।
अगले मुख्य न्यायाधीश बनने की संभावना
न्यायमूर्ति बीआर गवई मुख्य न्यायाधीश पद के अगले दावेदार माने जा रहे हैं। वर्तमान में वे राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। उनके बाद, न्यायमूर्ति सूर्यकांत सर्वोच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति के अध्यक्ष और राष्ट्रमंडल विधिक शिक्षा संघ के मुख्य संरक्षक के रूप में कार्यरत हैं। ऐसे में, यह यात्रा उनके न्यायिक नेतृत्व की वैश्विक दृष्टि को भी रेखांकित करती हैं।
इस यात्रा से भारत और केन्या के बीच न्यायिक प्रणाली को लेकर नए सहयोग की संभावनाएं खुल सकती हैं। यह दौरा न केवल दोनों देशों के सर्वोच्च न्यायालयों को जोड़ने का कार्य करेगा, बल्कि न्यायिक सुधारों में तकनीक के समावेश को लेकर एक नई वैश्विक दृष्टि भी प्रदान करेगा।