दिल्ली की राजनीति में एक अहम मोड़ आया है, जब वरिष्ठ भाजपा नेता और रोहिणी से विधायक विजेंद्र गुप्ता को दिल्ली विधानसभा का नया अध्यक्ष (स्पीकर) चुना गया।
नई दिल्ली: दिल्ली की राजनीति में एक अहम मोड़ आया है, जब वरिष्ठ भाजपा नेता और रोहिणी से विधायक विजेंद्र गुप्ता को दिल्ली विधानसभा का नया अध्यक्ष (स्पीकर) चुना गया। भाजपा के कद्दावर नेता के रूप में पहचाने जाने वाले गुप्ता ने राजनीति में लंबा सफर तय किया है। खास बात यह है कि उन्होंने आम आदमी पार्टी (AAP) की प्रचंड लहर के बावजूद 2015 और 2020 के चुनावों में अपनी सीट बचाई थी।
छात्र राजनीति से विधानसभा अध्यक्ष तक
विजेंद्र गुप्ता का जन्म 14 अगस्त 1963 को हुआ था। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (SRCC) से पढ़ाई की। छात्र जीवन से ही उनका रुझान राजनीति की ओर था और वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ गए। यहीं से उनके राजनीतिक करियर की नींव रखी गई।
1980: विजेंद्र गुप्ता ने राजनीति में कदम रखा और जनता विद्यार्थी मोर्चा का हिस्सा बने।
1983: उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा के केशवपुरम जिला अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी सौंपी गई।
1997: उन्होंने नगर निगम चुनाव (MCD) में जीत हासिल कर पार्षद के रूप में राजनीतिक सफर शुरू किया।
2001-2002: एमसीडी में कानून एवं कर मामलों की समिति के अध्यक्ष रहे।
2002: दिल्ली भाजपा में सचिव बनाए गए।
2009: उन्होंने चांदनी चौक से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस के कपिल सिब्बल से हार गए।
2010: भाजपा ने उन्हें दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया।
2013: नई दिल्ली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, जहां उनका मुकाबला शीला दीक्षित और अरविंद केजरीवाल से था, लेकिन जीत नहीं सके।
AAP की लहर में भी बचाया अपना गढ़
2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 67 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया था, लेकिन भाजपा सिर्फ तीन सीटों पर सिमट गई। उन्हीं तीन विजेताओं में से एक विजेंद्र गुप्ता थे, जिन्होंने रोहिणी विधानसभा सीट से जीत दर्ज की। इसके बाद उन्हें दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता (LoP) की जिम्मेदारी सौंपी गई। 2020 के चुनाव में भी उन्होंने AAP की बड़ी जीत के बावजूद 12,000 से अधिक वोटों से रोहिणी की सीट बचाई। 2025 में लगातार तीसरी बार जीत हासिल करने के बाद अब वे दिल्ली विधानसभा के स्पीकर बने हैं।
जब विजेंद्र गुप्ता को सदन से उठाकर बाहर निकाला गया
दिल्ली विधानसभा में बतौर विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता कई बार सत्ताधारी दल के खिलाफ मुखर रहे। 2015 में AAP सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाने के कारण उन्हें सदन से बाहर कर दिया गया था। 30 नवंबर 2015 को दिल्ली विधानसभा में भाजपा विधायक ओपी शर्मा और आप विधायक अलका लांबा के बीच विवाद हुआ था।
इस पर तत्कालीन स्पीकर राम निवास गोयल ने विजेंद्र गुप्ता को सदन से बाहर जाने का निर्देश दिया। जब उन्होंने आदेश मानने से इनकार कर दिया, तो मार्शलों ने उन्हें कंधे पर उठाकर सदन से बाहर निकाल दिया।
अब बतौर स्पीकर निभाएंगे अहम भूमिका
दिल्ली विधानसभा में बतौर विपक्ष के नेता विपक्ष की आवाज बुलंद करने वाले विजेंद्र गुप्ता अब स्पीकर के तौर पर सभी विधायकों के आचरण और कार्यवाही की निगरानी करेंगे। भाजपा ने उन्हें यह जिम्मेदारी ऐसे समय दी है, जब दिल्ली की राजनीति में बड़े बदलाव हो रहे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि विजेंद्र गुप्ता एक सख्त, निष्पक्ष और अनुशासित स्पीकर के रूप में कैसा प्रदर्शन करते हैं और विधानसभा में कार्यवाही को किस दिशा में लेकर जाते हैं।