Education in the United States: अमेरिका में भारतीय छात्रों को बनाया निशाना, भविष्य पर छाया असुरक्षा का साया, जानें पूरी खबर

Education in the United States: अमेरिका में भारतीय छात्रों को बनाया निशाना, भविष्य पर छाया असुरक्षा का साया, जानें पूरी खबर
Last Updated: 12 अप्रैल 2024

साल 2024 की शुरुआत से अब तक अमेरिका में अलग-अलग हालात में दस भारतीय छात्रों की मृत्यु हो गई है. इन घटनाओं के कारण उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए भारतीय छात्रों की पहली पसंद माने जाने वाले अमेरिका से उनको डर लगने लगा. क्योकि वहां उनकी सुरक्षा पर खौफ का साया छाया हुआ हैं।

America: अमेरिका में पढ़ने वाले भारतीय मुल्क के छात्र मोहम्मद अब्दुल खान अरफात की क्लीवलैंड ओहायो में 9 अप्रैल को मौत हो गई. न्यू यॉर्क में भारतीय वाणिज्य दूतावास ने इस घटना की संपूर्ण जानकारी एक्स पर पोस्ट करके दी थी. जानकारी के मुताबिक भारतीय दूतावास इस मामले की तहकीकात करने के लिए स्थानीय एजेंसियों के संपर्क में है. अधिकारी ने बताया कि अब्दुल पिछले तीन हफ्तों से लापता चल रहे थे।

अब्दुल के परिवार से मांगी फिरौती

 अदिकारी ने Subkuz.com को बताया कि मोहम्मद अब्दुल खान अरफात मई 2023 में क्लीवलैंड यूनिवर्सिटी से आईटी में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त करने के लिए अमेरिका गए थे. अब्दुल ने अपने परिवार से आखरी बार फोन पर बात सात मार्च 2024 को की थी. इसके बाद 19 मार्च को किसी अनजान व्यक्ति ने अब्दुल के परिवार को कॉल करके 1,200 डॉलर की फिरौती मांगी। जानकारी के मुताबिक अब्दुल को ड्रग्स बेचने वाले माफिया गैंग ने अगवा कर लिया है. इस जानकारी के बाद जांच एजेंसियां लगातार अब्दुल की तलाश करने में लगी हुई थी, लेकिन अगले ही महीने अब्दुल की मौत की खबर गई।

अमेरिका में मरने वाले भारतीय छात्र

बताया गया है कि अब्दुल अरफात की मौत का मामला कोई पहला मामला नहीं है. इनके अलावा साल 2024 में दस भारतीय-अमेरिकी छात्रों की मौत हो गई है. इस साल आहायो में ही एक भारतीय छात्र सत्य साई गड्डे, क्लासिकल डांसर अमरनाथ कुमार घोष, आंध्र प्रदेश के पारुचुरी अभिजीत कुमार, पर्ड्यू यूनिवर्सिटी के छात्र समीर कुमार कामत, अनिल कुमार आचार्य, कनेटिकट में दो भारतीय छात्र गट्टू दिनेश कुमार और निकेश कुमार, 18 साल के अकुल कुमार धवन, इंडियाना वेस्लेयन यूनिवर्सिटी के छात्र सैयद मजहीर अली और ओहायो के छात्र श्रेयस कुमार रेड्डी की मौत हो गई थी।

अच्छे भविष्य पर असुरक्षा का काला साया

Subkuz.com को अधिकारी ने रिपोर्ट में बताया कि 16 जनवरी को हरियाणा के रहने वाले छात्र विवेक कुमार सैनी को जॉर्जिया में हथौड़ा मार कर जान से मार डाला गया. उन्होंने अमेरिका में इसी साल अपनी एमबीए की डिग्री पूरी की थी. Subkuz.com के साथ बातचीत में विवेक कुमार सैनी के भाई शिवम कुमार सैनी ने कहा, " विवेक पढ़ाई में बहुत होशियार था. उसका सपना था कि अमेरिका में अच्छी पढाई करके भारत में भी अच्छी नौकरी प्राप्त का लूंगा.” लेकिन किसी के जाने के बाद ही सबको अहसास होता है कि अमेरिका से अच्छा तो अपना भारत ही था।

 

अमेरिका के गैर-सरकारी संगठन 'टीम एड' के संस्थापक मोहन कुमार नानापनेनी ने न्यूज एजेंसी Subkuz.com को बताया कि उनकी टीम को हर दिन किसी किसी भारतीय व्यक्ति की मौत की खबर जरूर आती है. इनमें से ज्यादातर भारतीय छात्र या नये एच-1बी वीजा धारक व्यक्ति होते हैं. अगर किसी भारतीय की मौत अमेरिका जैसे बड़े देशों में हो जाती है तो यह संस्था उनके शव को भारत पहुंचाने में परिवार की बहुत मदद करती हैं। बताया गया है कि सभी छात्रों की मौत अलग-अलग परिस्थितियों में और कई कारणों से हुई है लेकिन लगातार छात्रों की मौत के कारण अमेरिका में रह रहे भारतीय छात्रों की सुरक्षा को लेकर भी लोगों के मन में सवाल उमड़ रहे हैं।

अमेरिका क्यों है पढ़ने वाले छात्रों की पहली पसंद

जानकारी के मुताबिक पढ़ने-लिखने के लिए सबसे अच्छा माहौल, रिसर्च करने के मौके, स्कॉलरशिप के अलग-अलग विकल्प, दुनिया की सबसे बेहतर यूनिवर्सिटीज होने कारण अमेरिका अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए सबसे बेस्ट स्थान रहा है. खासकर साइंस और टेक्नॉलजी में दिलचस्पी लेने वाले छात्रों के लिए अमेरिक फर्स्ट और लास्ट चॉइस होती हैं।

बताया गया कि अमेरिका में प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के लिए अलग-अलग विकल्प मिल जाते है, इसके साथ अंतरराष्ट्रीय छात्रों को डिग्री पूरी करने के बाद यहां पर या फिर और देश में रोजगार पाने के लिए ज्यादा जदोजहद निहि करना पड़ता हैं. अधिकारी ने एक रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक जानकारी देते हुए बताया कि 2022-23 में अमेरिका जाने वाले भारतीय मूल के छात्रों की संख्या में 33 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हुई है. इस साल रिकॉर्ड 2,67,943 भारतीय छात्रों ने उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए अमेरिका देश को प्राथमिकता दी हैं का रुख किया. अमेरिका में अध्ययन करने वाले दस लाख अंतरराष्ट्रीय छात्रों में लगभग 26 प्रतिशत छात्र भारतीय मूल के हैं।

क्या कम होगा 'अमेरिकन ड्रीम'

अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय छात्रों को मिल रहे तमाम अवसरों और उच्च स्तर की शिक्षा के बीच उनकी सुरक्षा लेकर चिंता करना अहम हो गया है. बताया कि लगातार छात्रों की मौत की खबर मिलने से अमेरिका जाकर पढ़ाई करने की सोचने वाले भारतीय छात्रों को सोचने पर मजबूर कर दिया हैं . शिवम कुमार ने बताया कि, "विवेक कुमार की मौत से पहले कई आस -पड़ोस के छात्र अमेरिका जाकर पढाई करने के बारे में रूचि दिखा रहे थे, लेकिन उसकी मौत की सूचना के बाद इन लोगों का मन बदल गया और उन्होंने नहीं जाने का फैसला किया है. अब नौकरी के लिए भी अमेरिका नहीं जाना चाहते हैं।

भारतीय मूल के छात्र प्रदीप कुमार ने बताया कि अमेरिका आने से पहले नस्लभेद और हेट क्राइम की घटनाओं को पढ़कर हमें यह जरूर सोचता चहिये था की हमें अमेरिका जाना है या नहीं. ऐसी घटनाएं यहां आने वाले छात्रों का मनोबल को डगमगा देगी। बताया कि भारत में बेहतर रिसर्च और फंडिंग कम है वरना शायद ही कोई अमेरिका जैसे अन्य देशों में पढाई के लिए जाते। अब सभी छात्रों के मन में डर बैठ गया है कि किस को प्राथमिकता दे. मुझे ऐसा लगता है कि बहुत से ऐसे छात्र हैं जो पढाई के लिए अमेरिका आना चाहते थे लेकिन इन घटनाओं को देखने और सुनने के बाद शायद ही आने की सोच सकते हैं।

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