जीएल वघेल के अनुसार, जफराबाद तालुका के नवी जिकादरी गांव में एक बच्चा अपने घर के बाहर खेल रहा था, तभी अचानक वहां एक शेरनी आ गई और उस पर हमला कर दिया। यह घटना दर्शाती है कि वन्यजीवों का मानव बस्तियों के निकट आना कितना खतरनाक हो सकता हैं।
गांधीनगर: गुजरात के अमरेली जिले से आई यह खबर वास्तव में बेहद दुखद और चिंताजनक है। खेतिहर मजदूर का पांच साल का बच्चा एक शेरनी के हमले का शिकार हो गया, जो मानव-वन्यजीव संघर्ष की गंभीरता को दर्शाता है। ऐसे मामलों में यह आवश्यक है कि स्थानीय अधिकारियों और वन विभाग के द्वारा प्रभावी सुरक्षा उपाय किए जाएं, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।
घर के बाहर खेल रहे बच्चे को शेरनी ने बनाया शिकार
यह घटना वाकई में बहुत ही दुखद है। जीएल वघेल के अनुसार, बच्चा जब अपने घर के बाहर खेल रहा था, तभी शेरनी ने उस पर हमला कर दिया। यह न केवल एक निर्दोष बच्चे की जान लेने वाला एक दुखद मामला है, बल्कि यह मानव-वन्यजीव संघर्ष की गंभीरता को भी उजागर करता है। बच्चे के शव का मिलना और उसकी जान नहीं बच पाना बहुत ही संवेदनशील और चितित करने वाला हैं।
ऐसी घटनाएं हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि हमें वन्यजीवों और मानवों के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए। स्थानीय अधिकारियों को शेरनी को पकड़ने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
गुजरात में बढ़ी शेरों की संख्या
गुजरात में एशियाई शेरों की बढ़ती हुई आबादी एक महत्वपूर्ण संकेत है, लेकिन यह भी चिंता का विषय है कि उनकी आबादी अब संरक्षित क्षेत्रों से बाहर फैल रही है। 1990 में 284 से बढ़कर 2020 में 674 शेरों की संख्या तक पहुंचना एक सकारात्मक विकास है, लेकिन इस विकास के साथ मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में भी वृद्धि हो सकती हैं।
जब शेरों का वितरण क्षेत्र 2015 में 22,000 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर 2020 में 30,000 वर्ग किलोमीटर हो गया है, तो यह दर्शाता है कि शेरों को अपने निवास स्थान के लिए अधिक जगह चाहिए। इसका अर्थ यह भी है कि वे मानव बस्तियों के निकट आ रहे हैं, जिससे हमलों की संभावना बढ़ जाती हैं।