ज्ञानवापी प्रकरण से जुड़े मुकदमों की सुनवाई, जो वाराणसी के जिला जज संजीव पाण्डेय की अदालत में होनी थी, फिलहाल टल गई है। जिला जज के अवकाश पर होने के कारण इस मामले में सुनवाई नहीं हो सकी। अब इस प्रकरण की अगली सुनवाई 4 जनवरी को होगी।
वाराणसी: ज्ञानवापी मामले से जुड़े मुकदमों की सुनवाई, जो शनिवार को वाराणसी के जिला जज संजीव पाण्डेय की अदालत में होनी थी, जिला जज के अवकाश पर होने के कारण टल गई। अब इन लंबित मुकदमों की सुनवाई के लिए अदालत ने चार जनवरी 2024 की तारीख निर्धारित की है। ज्ञानवापी प्रकरण से जुड़े ये मुकदमे लंबे समय से विचाराधीन हैं, और इसमें हिंदू और मुस्लिम पक्षों के बीच पूजा स्थल और संपत्ति के अधिकार से जुड़े विवाद पर न्यायालय में सुनवाई हो रही है। अगली सुनवाई में इस मामले में नए तर्कों और दलीलों की उम्मीद की जा रही हैं।
क्या है पूरा मामला?
वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग को लेकर इंटरनेट मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने डीयू के प्रोफेसर डॉ. रतन लाल की याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह की पीठ ने डॉ. रतन लाल की ओर से प्राथमिकी रद्द करने की मांग को खारिज करते हुए कहा कि प्रथमदृष्टया ऐसा लगता है कि उन्होंने समाज के सद्भाव में अशांति उत्पन्न करने का प्रयास किया।
अदालत ने कहा कि उनकी पोस्ट समाज के एक बड़े वर्ग की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से की गई प्रतीत होती है। दिल्ली हाई कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार संविधान के तहत है, लेकिन इसका उपयोग ऐसा नहीं होना चाहिए जिससे किसी वर्ग विशेष की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचे। इस प्रकार, कोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए प्राथमिकी रद्द करने से इंकार कर दिया।
दिल्ली हाई कोर्ट ने डीयू के प्रोफेसर डॉ. रतन लाल की याचिका खारिज करते हुए कहा कि एफआईआर दर्ज होने के बावजूद उनकी टिप्पणी समाज के सद्भाव में अशांति पैदा करने वाली है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि एक इतिहासकार और शिक्षक होने के नाते, याचिकाकर्ता पर समाज के प्रति बड़ी जिम्मेदारी है, क्योंकि वह आम जनता के लिए आदर्श माने जाते हैं। शिवलिंग से जुड़ी धार्मिक मान्यताओं का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता की पोस्ट न केवल धार्मिक भावनाओं को आहत करती है, बल्कि सांप्रदायिक तनाव को भी बढ़ावा देती हैं।
कोर्ट ने जोर देकर कहा कि एक बुद्धिजीवी के रूप में किसी को भी इस तरह की टिप्पणियां करने का अधिकार नहीं है। वहीं, अयोध्या में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पंचनारायण महायज्ञ में सनातन धर्म के गौरव की रक्षा का संदेश दिया और ऐतिहासिक मंदिरों पर हमला करने वालों की दुर्गति का जिक्र करते हुए कहा कि पवित्र स्थलों को नष्ट करने वालों का वंश नष्ट हो गया।